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BJP: 270 दिन पुरानी रिपोर्ट पर भरोसा करते तो न होती भाजपा की ऐसी स्थिति, जानिए ऐसा क्या था जिसने बदल दी तस्वीर
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सार
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भाजपा को हुए नुकसान की वजह?
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अमर उजाला
विस्तार
उत्तर प्रदेश में भाजपा की जो बदहाल स्थिति हुई उसके पीछे वैसे तो पार्टी के रणनीतिकार आकलन करेंगे। लेकिन नतीजों के साथ जो सियासी गलियारों में चर्चाएं की जा रहीं हैं वह यही है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रत्याशियों के न बदलने के चलते ऐसे हालात बने। सियासी जानकार बताते हैं कि चुनाव घोषित होने से तकरीबन एक साल पहले भाजपा के एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम के सर्वे में इस बात की जानकारी सामने आई थी की बहुत से नेता, सांसद और मंत्री जनता से कटे हुए हैं। उसके बाद अभी जब टिकट का वितरण किया गया इस तरीके के सवाल उठाए गए थे। फिलहाल लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद अब पार्टी के नेताओं ने अंदरूनी तौर पर कई तरह के सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
कई कैबिनेट मंत्री चुनाव हारे
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के बड़े-बड़े दिग्गज नेता और मोदी सरकार के कई कैबिनेट मंत्री चुनाव हार गए। इन नतीजे के बाद अब सवाल सबसे ज्यादा इस बात के उठ रहे हैं कि आखिर ऐसी क्या वजह रही, जिसके चलते भारतीय जनता पार्टी को इस तरह का नुकसान हुआ है। दरअसल भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों ने उत्तर प्रदेश में जमीनी हकीकत समझने के लिए केंद्र से अलग-अलग जिलों और लोकसभा क्षेत्र में नेताओं को भेजा था। इस दौरान महाजनसंपर्क अभियान और देश के नेताओं की जनता से सीधी पकड़ का जमीनी आकलन भी किया गया था। इस दौरान इस बात की जानकारी हुई थी कि भारतीय जनता पार्टी के कई सांसद और बड़े-बड़े नेता जमीन पर न तो भीड़ इकट्ठा कर पाए थे और ना ही कई तय लक्ष्य पूरे कर पाए थे। हालात ऐसे हो गए थे कि इस महाजनसंपर्क अभियान की तारीख को भी बढ़ाना पड़ा था।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस महाअभियान की रिपोर्ट से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नद्दा ने भी नाराजगी जताई थी। इस संबंध में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यूपी के प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महासचिव धर्मपाल सिंह से रिपोर्ट भी मांगी थी।
इस सूची में कई ऐसे सांसदों के नाम भी थे जिनके टिकट तक काटे जाने की चर्चाएं शुरू हुई थीं। उस दौरान भाजपा के ऐसे नेताओं ने दिल्ली तक की दौड़ लगानी शुरू कर दी थी। हालांकि बाद में इस महाजन संपर्क अभियान में तमाम खामियां पाए जाने वाले सांसदों के टिकट पर कोई भी फैसला नहीं लिया गया।
पार्टी की लापरवाही का नतीजा
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषण ब्रजेंद्र शुक्ला कहते हैं कि जिन सांसदों के टिकट काटे जाने की चर्चाएं हो रही थी। उनको दोबारा टिकट दे दिया गया। वह कहते हैं कि इन सांसदों और मंत्रियों में से कई लोग ऐसे हैं जो अब अपना चुनाव हार चुके हैं। शुक्ल कहते हैं कि इसको अगर पार्टी के लिहाज से लापरवाही कहा जाए तो भी कुछ गलत नहीं होगा। क्योंकि जो इशारे पिछले साल जुलाई में मिल गए थे उसके आधार पर कोई भी फैसला नहीं लिया गया। नतीजा हुआ कि 4 जून को आए लोकसभा चुनाव के नतीजे में भारतीय जनता पार्टी का उत्तर प्रदेश में बदहाल प्रदर्शन दिखा। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान विधायक कहते हैं कि जब कई सांसदो का रिपोर्ट कार्ड ठीक नहीं था तो उनका बदला जाना जरूरी था।
उत्तर प्रदेश में लचर प्रदर्शन के कई और अहम कारण
भारतीय जनता पार्टी के उक्त विधायक अपना नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि कई सांसद इस चुनाव में ऐसे थे जिनको अपने स्थानीय स्तर पर विधायकों का विरोध झेलना पड़ा। वह बताते हैं कि ऐसा नहीं है इसकी जानकारी पार्टी के नेताओं के पास नहीं थीं। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इनमें से कई ऐसे सांसद हैं जिनके क्षेत्र में ऐसे सवालिया निशान उठे थे और वो इस लोकसभा का चुनाव हार गए हैं। हालांकि सियासी जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में लचर प्रदर्शन के कई और अहम कारण हैं। राजनैतिक जानकार दीपक शर्मा कहते हैं कि जिसमें टिकटों के बटवारे से लेकर गठबंधन की मजबूती और उनके टिकट वितरण रहे।