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Maharashtra: ओबीसी कार्यकर्ताओं और फडणवीस सरकार में बनी बात, आश्वासन के बाद नागपुर में खत्म हुआ आंदोलन
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Thu, 04 Sep 2025 01:52 PM IST
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सार
महाराष्ट्र में नागपुर स्थित संविधान चौक पर ओबीसी संगठनों का छह दिन से चल रहा आंदोलन गुरुवार को खत्म हो गया। ओबीसी कार्यकर्ताओं ने मराठा आरक्षण को लेकर आशंका जताई थी, लेकिन सरकार ने साफ किया कि ओबीसी आरक्षण प्रभावित नहीं होगा। मंत्री अतुल सावे ने आश्वासन दिया कि ओबीसी का कोटा कोई नहीं छुएगा।

देवेंद्र फडणवीस, सीएम महाराष्ट्र
- फोटो : PTI
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विस्तार
महाराष्ट्र में आरक्षण को लेकर घमासान मचा हुआ है। मनोज जरांगे के आंदोलन से तो सरकार जूझ ही रही थी कि उसी बीच ओबीसी आरक्षण को लेकर भी संग्राम शुरू हो गया था। हालांकि नागपुर में छह दिनों से जारी ओबीसी समुदाय का आंदोलन आखिरकार गुरुवार को समाप्त हो गया। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि मराठा आरक्षण को लेकर लिए गए फैसले से ओबीसी आरक्षण पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
ओबीसी कार्यकर्ताओं को आश्वस्त करने के लिए राज्य के ओबीसी कल्याण मंत्री अतुल सावे खुद आंदोलन स्थल पहुंचे और कहा कि ओबीसी कोटे को बिल्कुल भी नहीं छुएगा। अतुल सावे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्रियों की ओर से प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सरकार ओबीसी समुदाय के मौजूदा आरक्षण की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सरकार ने मराठा आरक्षण पर सहमति बना ली है और यह फैसला ओबीसी कोटे को प्रभावित किए बिना लागू किया जाएगा।
आंदोलन की पृष्ठभूमि
राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ ने 30 अगस्त को नागपुर के संविधान चौक पर भूख हड़ताल शुरू की थी। यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब मराठा आरक्षण की मांग को लेकर कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन उपवास शुरू किया। सरकार ने जरांगे की कई मांगें मान लीं, जिसमें योग्य मराठाओं को कुंभी जाति का प्रमाणपत्र जारी करना भी शामिल है।
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ओबीसी समुदाय की आपत्तियां
ओबीसी संगठन मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने का विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि सभी मराठाओं को एक साथ कुंभी प्रमाणपत्र देना उचित नहीं होगा। महासंघ ने सरकार के सामने 14 मांगें रखी थीं, जिनमें मराठाओं की ओबीसी में एंट्री रोकना और बिना ऐतिहासिक सबूत के कुंभी प्रमाणपत्र न देना प्रमुख था।
सरकार की पहल और भरोसा
मंत्री सावे ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि उनकी 14 में से 12 मांगें सरकार मानने के लिए तैयार है। बाकी दो मुद्दों पर अगले हफ्ते मुंबई में होने वाली बैठक में चर्चा होगी। उन्होंने यह भी बताया कि ओबीसी उद्यमियों को आर्थिक मदद दिलाने के लिए बैंकों से सीआईबीआईएल स्कोर में राहत की बात होगी और गारंटर की संख्या दो से घटाकर एक कर दी गई है।
ये भी पढ़ें- बाढ़ से 1400 गांव और 4.5 लाख लोग प्रभावित... 37 की मौत, दो दिन भारी बारिश; इसलिए बिगड़े हालात
विकास निगमों को बढ़ी फंडिंग
सावे ने कहा कि मुख्यमंत्री फडणवीस ने ओबीसी समेत विभिन्न समुदायों के लिए 22 विकास निगम बनाए हैं। पहले चरण में प्रत्येक निगम को पांच करोड़ रुपये मिले थे, जिसे अब 50 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया है। इस साल लगभग 1,200 करोड़ रुपये इन निगमों और संबंधित योजनाओं के जरिए समुदायों तक पहुंचेंगे। आंदोलन खत्म होने की घोषणा राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबन तायवड़े ने की। भाजपा एमएलसी परिनय फुके भी मौके पर मौजूद रहे।

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ओबीसी कार्यकर्ताओं को आश्वस्त करने के लिए राज्य के ओबीसी कल्याण मंत्री अतुल सावे खुद आंदोलन स्थल पहुंचे और कहा कि ओबीसी कोटे को बिल्कुल भी नहीं छुएगा। अतुल सावे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्रियों की ओर से प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सरकार ओबीसी समुदाय के मौजूदा आरक्षण की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सरकार ने मराठा आरक्षण पर सहमति बना ली है और यह फैसला ओबीसी कोटे को प्रभावित किए बिना लागू किया जाएगा।
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आंदोलन की पृष्ठभूमि
राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ ने 30 अगस्त को नागपुर के संविधान चौक पर भूख हड़ताल शुरू की थी। यह आंदोलन तब शुरू हुआ जब मराठा आरक्षण की मांग को लेकर कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन उपवास शुरू किया। सरकार ने जरांगे की कई मांगें मान लीं, जिसमें योग्य मराठाओं को कुंभी जाति का प्रमाणपत्र जारी करना भी शामिल है।
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ओबीसी समुदाय की आपत्तियां
ओबीसी संगठन मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने का विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि सभी मराठाओं को एक साथ कुंभी प्रमाणपत्र देना उचित नहीं होगा। महासंघ ने सरकार के सामने 14 मांगें रखी थीं, जिनमें मराठाओं की ओबीसी में एंट्री रोकना और बिना ऐतिहासिक सबूत के कुंभी प्रमाणपत्र न देना प्रमुख था।
सरकार की पहल और भरोसा
मंत्री सावे ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि उनकी 14 में से 12 मांगें सरकार मानने के लिए तैयार है। बाकी दो मुद्दों पर अगले हफ्ते मुंबई में होने वाली बैठक में चर्चा होगी। उन्होंने यह भी बताया कि ओबीसी उद्यमियों को आर्थिक मदद दिलाने के लिए बैंकों से सीआईबीआईएल स्कोर में राहत की बात होगी और गारंटर की संख्या दो से घटाकर एक कर दी गई है।
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विकास निगमों को बढ़ी फंडिंग
सावे ने कहा कि मुख्यमंत्री फडणवीस ने ओबीसी समेत विभिन्न समुदायों के लिए 22 विकास निगम बनाए हैं। पहले चरण में प्रत्येक निगम को पांच करोड़ रुपये मिले थे, जिसे अब 50 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया है। इस साल लगभग 1,200 करोड़ रुपये इन निगमों और संबंधित योजनाओं के जरिए समुदायों तक पहुंचेंगे। आंदोलन खत्म होने की घोषणा राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबन तायवड़े ने की। भाजपा एमएलसी परिनय फुके भी मौके पर मौजूद रहे।
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