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शोध: जिंक के साथ माइक्रोग्रीन्स सेहत के लिए फायदेमंद, कुपोषण के खतरों से बाहर निकालने में भी मददगार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: जलज मिश्रा Updated Tue, 29 Aug 2023 05:47 AM IST
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सार

बायोफोर्टिफिकेशन बीज से पोषण को बढ़ाने के लिए फसलों को उगाने की प्रक्रिया है। यह खाद्य फोर्टिफिकेशन से अलग है, जिसमें कटाई के बाद के प्रसंस्करण के दौरान खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों को मिलाया जाता है।

Microgreens with zinc are beneficial for health also helpful in getting rid of malnutrition
malnutrition - फोटो : istock
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विस्तार
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छोटे पौधों में मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक खनिजों को शामिल करने का सबसे प्रभावी तरीका बायोफोर्टिफिकेशन विधियों का उपयोग करना है। एक नए शोध में शोधकर्ताओं ने बताया कि जिंक के साथ बायोफोर्टिफाइड माइक्रोग्रीन्स लोगों को कुपोषण के खतरे से बाहर निकाल कर सेहतमंद बना सकते हैं।

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बायोफोर्टिफिकेशन फसलों की पोषण गुणवत्ता में सुधार करने की प्रक्रिया है। इसे कृषि संबंधी विधियों, पारंपरिक प्रजनन या जैव तकनीक के माध्यम से हासिल किया जा सकता है। ब्रिटेन के सब्जी फसल विज्ञान के शोधकर्ता और सहायक प्रोफेसर फ्रांसिस्को डि गोइया के अनुसार माइक्रोग्रीन्स सब्जियों और जड़ी-बूटियों के अंकुर से पैदा होते हैं, जो लगभग दो से तीन इंच लंबे होते हैं। मूली, ब्रोकोली, शलजम, गाजर, चार्ड, लेट्यूस, पालक, अमरंथ, फूलगोभी, पत्तागोभी, चुकंदर, अजमोद और तुलसी समेत पौधों की कई किस्में हैं, जिन्हें माइक्रोग्रीन्स  के रूप में उगाया जा सकता है। माइक्रोग्रीन्स, स्प्राउट  के परिष्कृत रूप हैं। स्प्राउट्स को ग्रोइंग मीडियम के बगैर उगाया जाता है और इसके सभी भाग (जड़ और अंकुरित बीज) खाए जाते हैं, जबकि माइक्रोग्रीन्स को ग्रोइंग मीडियम (मिट्टी या मिट्टी रहित माध्यम) में उगाया जाता है और मिट्टी के ऊपर के भाग को काटकर खाया जाता है।

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यह है प्रक्रिया
बायोफोर्टिफिकेशन बीज से पोषण को बढ़ाने के लिए फसलों को उगाने की प्रक्रिया है। यह खाद्य फोर्टिफिकेशन से अलग है, जिसमें कटाई के बाद के प्रसंस्करण के दौरान खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों को मिलाया जाता है। दुनिया के गरीब और कुपोषित क्षेत्रों में या प्राकृतिक आपदा के बाद तबाही की परिस्थितियों में जिंक के घोल में  बीजों को भिगोना पोषक तत्वों से भरपूर माइक्रोग्रीन्स के उत्पादन के लिए एक व्यावहारिक और असरदार रणनीति है।

ऐसे तैयार होते हैं माइक्रोग्रीन्स
बीज अंकुरित होने के बाद पौधे के जीवन चक्र में अंकुरण पहला चरण होता है। जब पौधा छोटा होता है वह अपनी पहली टहनी और जड़ से आगे बढ़ता है तो यह माइक्रोग्रीन अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। माइक्रोग्रीन्स अनिवार्य रूप से पत्तियों, तनों और जड़ों के साथ छोटे में ही परिपक्व पौधा बन जाता है। तने के तीन से पांच इंच लंबे होने और पत्तियों का पहला समूह दिखाई देने के बाद उन्हें आमतौर पर काटा जाता है। रोजाना माइक्रोग्रीन्स खाने से फल और सब्जियां खाने के समान ही स्वास्थ्य लाभ होते हैं।

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