Piyush Goyal: भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा में दिखाया दम, मंत्री गोयल ने बताया कैसे ऊर्जा क्षेत्र बना ग्लोबल मॉडल?
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बिजली और ऊर्जा को लेकर ग्लोबल मॉडल बनने के बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि देश भविष्य में बिजली की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए तैयार है।
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केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है, देश में बिजली की कोई कमी नहीं है और भविष्य में बढ़ने वाली मांग को पूरा करने की पूरी क्षमता भारत के पास मौजूद है। पर्याप्त बिजली उपलब्धता और 500 गीगावाट की राष्ट्रीय ग्रिड क्षमता के कारण भारत तेजी से डेटा सेंटर के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बनकर उभर रहा है। पिछले 11 वर्षों में भारत के ऊर्जा क्षेत्र ने ऐतिहासिक परिवर्तन देखा है। मजबूत नीति, स्पष्ट दृष्टि और लगातार प्रयासों के चलते देश बिजली की कमी से निकलकर ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास की ओर बढ़ा है।
भारत के ऊर्जा क्षेत्र को लेकर आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में मंत्री गोयल ने कहा कि भारत की 500 गीगावाट की राष्ट्रीय ग्रिड दुनिया की सबसे बड़ी ग्रिडों में शामिल है, जो देश को एक मजबूत और भरोसेमंद बिजली ढांचा प्रदान करती है। यूरोप और अमेरिका के पास राष्ट्रीय ग्रिड नहीं है, जबकि भारत के पास एक मजबूत राष्ट्रीय ग्रिड है। यही वजह है कि भारत डेटा सेंटर के लिए पसंदीदा देश बन रहा है। आने वाले वर्षों में डेटा सेंटर और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) के विस्तार के साथ यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि आम लोगों, किसानों, उद्योगों और व्यावसायिक संस्थानों की बिजली जरूरतें पूरी हों।
11 वर्षों में भारत सौर ऊर्जा उत्पादन में तीसरे स्थान पर
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, भारत के ऊर्जा क्षेत्र की पिछले 11 वर्षों की यात्रा यह साबित करती है कि मजबूत सोच, ईमानदार इरादे और लगातार मेहनत से किसी भी देश की तकदीर बदली जा सकती है। केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की भावना साकार हुई है। वित्त वर्ष 2024–25 में देश ने अब तक का सबसे अधिक 1,048 मिलियन टन कोयला उत्पादन दर्ज किया है। जबकि कोयले के आयात में करीब 8 प्रतिशत की कमी आई है। पिछले 11 वर्षों में भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 46 गुना बढ़ी है। जिससे भारत इस क्षेत्र में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। वहीं पवन ऊर्जा क्षमता 2014 में 21 गीगावॉट से बढ़कर 2025 में 53 गीगावॉट हो गई है।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा, भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रिफाइनिंग हब बनकर उभरा है। रिफाइनिंग क्षमता को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने पर काम किया जा रहा है। 34,238 किलोमीटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन को मंजूरी दी जा चुकी है, जिनमें से 25,923 किलोमीटर पाइप लाइन चालू हैं। शांति विधेयक के जरिए परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी को अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि, देश अब अतिरिक्त बिजली उत्पादन, मजबूत ग्रिड एकीकरण और नवीकरणीय ऊर्जा में नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ चुका है। यह बदलाव संयोग से नहीं हुआ, बल्कि स्पष्ट सोच और लगातार प्रयासों का नतीजा है। आज भारत बिजली की कमी के दौर से निकलकर बिजली सुरक्षा तक पहुंच चुका है और अब बिजली की स्थिरता और सतत विकास की ओर बढ़ रहा है। यह बदलाव पांच प्रमुख स्तंभों पर आधारित है। भारत के ऊर्जा क्षेत्र में परिवर्तन का पहला स्तंभ सार्वभौमिक पहुंच है। सौभाग्य योजना के तहत देश के हर घर तक बिजली पहुंचाई गई है। साथ ही उजाला कार्यक्रम के तहत 47.4 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए हैं, जिससे बिजली बिल में बचत हुई है और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आई है। 10 करोड़ घरों को स्वच्छ रसोई गैस कनेक्शन मिलने से महिलाओं का जीवन अधिक स्वस्थ हुआ है। साथ ही पीएम-कुसुम योजना के तहत किसान अब ऊर्जा प्रदाता की भूमिका निभा रहे हैं।
ऊर्जा उपकरणों पर जीएसटी का प्रतिशत घटा
मंत्री गोयल ने कहा कि, आज दूसरा स्तंभ किफायती ऊर्जा है। सौर, पवन और अन्य स्वच्छ ऊर्जा उपकरणों पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है। 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य तय समय से पहले ही हासिल कर लिया गया, जिसे पहले 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। इसके अलावा सौर और पवन ऊर्जा की बिक्री के लिए अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन शुल्क भी समाप्त कर दिया गया है। जबकि तीसरा स्तंभ उपलब्धता है। उन्होंने बताया कि बिजली की कमी 2013 में 4.2 प्रतिशत थी, जो 2025 में घटकर 0.1 प्रतिशत रह गई है। साथ ही एकीकृत राष्ट्रीय ग्रिड के निर्माण से देश 250 गीगावॉट की रिकॉर्ड पीक बिजली मांग को पूरा करने में सक्षम हुआ है।
मंत्री ने कहा कि चौथा स्तंभ वित्तीय स्थिरता है। पीएम-उदय योजना के तहत किए गए सुधारों से बिजली वितरण क्षेत्र मजबूत हुआ है और डिस्कॉम के बकाया 2022 में 1.4 लाख करोड़ रुपये से घटकर 2025 में 6,500 करोड़ रुपये रह गए हैं। जबकि पांचवां स्तंभ सतत विकास और वैश्विक जिम्मेदारी है। भारत पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने वाला जी-20 का पहला देश बन गया है और अब देश की स्थापित बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत हिस्सा गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से आता है।
मंत्री ने आगे कहा कि 2047 में आजादी के 100 वर्ष पूरे होने की ओर बढ़ते हुए, भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखकर रणनीति को नए सिरे से तैयार किया जा रहा है। गोयल ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का उल्लेख करते हुए बताया कि इसके तहत 2030 तक हर वर्ष 5 एमएमटी उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है और इससे जीवाश्म ईंधन के आयात में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमी लाने का उद्देश्य है। उन्होंने पीएम सूर्य घर योजना का भी जिक्र किया, जिसके तहत करीब 20 लाख घरों में रूफटॉप सोलर लगाए जा रहे हैं। गोयल ने भरोसा जताया कि विकसित भारत 2047 की दिशा में आगे बढ़ते हुए भारत का ऊर्जा क्षेत्र वैश्विक स्तर पर एक उदाहरण बनेगा, जहां बड़े पैमाने, तेज गति और सतत विकास को एक साथ सफलतापूर्वक साधा गया है।