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Bharat Bandh: भारत बंद का मिला-जुला असर, बिहार में अधिक तो दिल्ली में बंद का कोई असर नहीं

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Wed, 09 Jul 2025 02:56 PM IST
सार

बिहार में राजद-कांग्रेस के चक्का जाम के कारण भारत बंद ज्यादा प्रभावी दिखाई दे रहा है जहां इन दलों के कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह बसें-ट्रेन यातायात को प्रभावित किया है। पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों में भी इसका असर दिखाई दे रहा है, लेकिन देश की राजधानी दिल्ली इस बंद से पूरी तरह अछूती दिखाई दी।

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Mixed effect of Bharat Bandh, more in Bihar but no effect in Delhi
बिहार में भारत बंद - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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भारत बंद का पूरे देश में मिला-जुला असर देखा जा रहा है। बिहार में राजद-कांग्रेस के चक्का जाम के कारण भारत बंद ज्यादा प्रभावी दिखाई दे रहा है जहां इन दलों के कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह बसें-ट्रेन यातायात को प्रभावित किया है। पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों में भी इसका असर दिखाई दे रहा है, लेकिन देश की राजधानी दिल्ली इस बंद से पूरी तरह अछूती दिखाई दे रही है जहां सड़कों पर बसें सामान्य तरीके से चल रही हैं। स्कूल-कॉलेज खुले हैं और निजी संस्थानों-बैंकों में सामान्य कामकाज हो रहा है। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) इस भारत बंद में शामिल नहीं है।  
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दस के करीब वामपंथी केंद्रीय कर्मचारी संघों ने आज नौ जुलाई को भारत बंद का आह्वान किया था। दावा है कि इन संघों में 25 करोड़ के करीब निजी-सरकारी और सहकारी संस्थाओं के कर्मचारी शामिल हैं और ये सभी इस भारत बंद के समर्थन में हैं। इन श्रमिक संघों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने पिछले दस वर्षों से श्रमिक संघों से कोई मुलाकात नहीं की है और सरकार श्रमिकों-कर्मचारियों के हित में कोई निर्णय नहीं ले रही है। इन संघों ने आरोप लगाया है कि सरकार कर्मचारियों-श्रमिकों की बजाय उद्योगपतियों के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले रही है। 
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26 हजार हो न्यूनतम वेतन 
श्रमिक संघों की मांग है कि निजी-सहकारी क्षेत्रों में काम करने वाली संस्थाओं में न्यूनतम वेतन 26 हजार किया जाए। इसका सबसे बड़ा कारण है कि बढ़ती महंगाई में गरीब श्रमिकों-कर्मचारियों को अपने बच्चों को पढ़ाना लिखाना संभव नहीं रह गया है। उनकी मजदूरी का अधिकतम हिस्सा केवल भोजन की आवश्यकताओं को पूरा करने में निकल जाता है। 

दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने पिछले अप्रैल माह से अकुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 18,456 रूपये और कुशल श्रमिकों का वेतन 24,356 कर दिया है। लेकिन देश के कई राज्यों में श्रमिकों का वेतन अभी भी बहुत दयनीय स्थिति में है। इससे उनका सामान्य जीवन जीना भी मुश्किल हो गया है। श्रमिकों की मांग है कि वर्तमान समय में एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए न्यूनतम वेतन 26 हजार कर दिया जाना चाहिए।       

व्यापारी शामिल नहीं
देश के व्यापारियों के संगठन कैट ने कहा है कि वह इस बंद में शामिल नहीं है। संगठन से जुड़े सभी व्यापारी सभी राज्यों में अपना सामान्य कामकाज कर रहे हैं। कैट का मानना है कि सरकार ने कर्मचारियों के लिए बेहतर काम किया है। कैट के अनुसार, देशभर के किसी भी वाणिज्यिक बाजार पर भारत बंद का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। सभी व्यापारिक बाज़ार और कारोबारी केंद्र सामान्य रूप से खुले हैं और प्रतिदिन की तरह व्यापारिक गतिविधियां सामान्य रूप से जारी हैं।
 
भाजपा सांसद और कैट नेता प्रवीण खंडेलवाल ने कहा है कि यह स्पष्ट है कि देशभर के व्यापारियों ने इस बंद का कोई समर्थन नहीं किया है। उन्होंने अपने प्रतिष्ठान खुले रखकर कारोबार को जारी रखने का फैसला किया है। व्यापारिक समुदाय आर्थिक गतिविधियों और राष्ट्रीय प्रगति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के साथ एकजुट खड़ा है। ऐसे बंद या गतिविधियों का समर्थन नहीं करता जो रचनात्मक उद्देश्य की पूर्ति नहीं करते। 
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