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Modi Govt: दवा-सौंदर्य प्रसाधन पर सख्त कानून ला रही मोदी सरकार, जांच-निगरानी होगी कड़ी; मसौदा तैयार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: लव गौर
Updated Wed, 15 Oct 2025 04:06 PM IST
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सार
Modi Government: देश में सामने आए कफ सिरप से मासूम बच्चों की मौत के मामलों के बाद केंद्र सरकार दवा-सौंदर्य प्रसाधन पर गुणवत्ता जांच और निगरानी के लिए सख्त कानून की तैयारी कर रही है। इसके लिए मसौदा तैयार हो चुका है।

'औषधि, चिकित्सा उपकरण और सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम 2025' का मसौदा तैयार
- फोटो : ANI
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विस्तार
कई राज्यों में दूषित कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामलों के बाद केंद्र सरकार दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों की सख्त गुणवत्ता जांच और निगरानी के लिए कानून लाने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के अनुसार 'औषधि, चिकित्सा उपकरण और सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम 2025' का मसौदा मोदी सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश कर सकती है।
देश में चिकित्सा उत्पादों के लिए सुरक्षा और गुणवत्ता नियंत्रण मानदंडों के सख्त अनुपालन की बढ़ती मांग के बीच, केंद्र सरकार चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों के नियमन के साथ-साथ दवा गुणवत्ता परीक्षण और बाजार निगरानी के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत करने के लिए एक कानून बना रही है।
इस कानून का मसौदा तैयार करने के पीछे एक प्रमुख कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सहित दुनिया भर के स्वास्थ्य नियामकों द्वारा भारतीय दवा निर्माताओं द्वारा गुणवत्ता संबंधी गंभीर खामियों को लेकर बार-बार की गई शिकायतें और चिंताएं हैं। एक दिन पहले मंगलवार (14 अक्तूबर) को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक उच्च-स्तरीय बैठक में भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) डॉ. राजीव रघुवंशी मसौदा पेश किया गया। जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने की थी।
बैठक के दौरान भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रस्तावित कानून की रूपरेखा प्रस्तुत की। यह बैठक मध्य प्रदेश में दूषित कफ सिरप के कारण कई बच्चों की मौत के कुछ दिनों बाद हो रही है।
तत्काल कार्रवाई का मिलेगा वैधानिक अधिकार
सूत्रों ने बताया कि स्वीकृत होने के बाद नया कानून सीडीएससीओ अधिकारियों को घरेलू उपयोग और निर्यात दोनों के लिए भारत में निर्मित दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों की सख्त गुणवत्ता जांच और निगरानी सुनिश्चित करने का वैधानिक अधिकार प्रदान करेगा। बताया जा रहा है कि नए कानून के तहत, सीडीएससीओ को पहली बार नकली या घटिया दवाओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने के लिए वैधानिक अधिकार प्रदान किए जाएंगे।
नया कानून अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित
इसी के साथ लाइसेंसिंग प्रक्रिया को डिजिटल बनाने, राज्य-स्तरीय नियामकों के बीच समन्वय बढ़ाने और परीक्षण प्रयोगशालाओं की क्षमताओं को उन्नत करने के प्रावधान भी शामिल होंगे। बता दें कि यह नया कानून 1940 के औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम का स्थान लेगा और इसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य निर्माण से लेकर बाजार वितरण तक, हर स्तर पर जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। गौरतलब है कि नकली और घटिया दवाओं की समस्या अधिकारियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय रही है।

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इस कानून का मसौदा तैयार करने के पीछे एक प्रमुख कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सहित दुनिया भर के स्वास्थ्य नियामकों द्वारा भारतीय दवा निर्माताओं द्वारा गुणवत्ता संबंधी गंभीर खामियों को लेकर बार-बार की गई शिकायतें और चिंताएं हैं। एक दिन पहले मंगलवार (14 अक्तूबर) को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक उच्च-स्तरीय बैठक में भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) डॉ. राजीव रघुवंशी मसौदा पेश किया गया। जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने की थी।
बैठक के दौरान भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रस्तावित कानून की रूपरेखा प्रस्तुत की। यह बैठक मध्य प्रदेश में दूषित कफ सिरप के कारण कई बच्चों की मौत के कुछ दिनों बाद हो रही है।
तत्काल कार्रवाई का मिलेगा वैधानिक अधिकार
सूत्रों ने बताया कि स्वीकृत होने के बाद नया कानून सीडीएससीओ अधिकारियों को घरेलू उपयोग और निर्यात दोनों के लिए भारत में निर्मित दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों की सख्त गुणवत्ता जांच और निगरानी सुनिश्चित करने का वैधानिक अधिकार प्रदान करेगा। बताया जा रहा है कि नए कानून के तहत, सीडीएससीओ को पहली बार नकली या घटिया दवाओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने के लिए वैधानिक अधिकार प्रदान किए जाएंगे।
नया कानून अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित
इसी के साथ लाइसेंसिंग प्रक्रिया को डिजिटल बनाने, राज्य-स्तरीय नियामकों के बीच समन्वय बढ़ाने और परीक्षण प्रयोगशालाओं की क्षमताओं को उन्नत करने के प्रावधान भी शामिल होंगे। बता दें कि यह नया कानून 1940 के औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम का स्थान लेगा और इसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य निर्माण से लेकर बाजार वितरण तक, हर स्तर पर जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। गौरतलब है कि नकली और घटिया दवाओं की समस्या अधिकारियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय रही है।