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Nagaland Politics: नगालैंड की सियासत में बड़ा बदलाव, एनडीपीपी-एनपीएफ में विलय पर 12 सितंबर को होगा बड़ा फैसला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोहिमा
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Mon, 08 Sep 2025 09:58 PM IST
सार
नगालैंड की सत्तारूढ़ एनडीपीपी 12 सितंबर को एनपीएफ के साथ संभावित विलय पर फैसला करेगी। मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के नेतृत्व को एनपीएफ ने प्रदेश के लिए अहम बताते हुए उन्हें पार्टी में लौटने का प्रस्ताव दिया है। 2017 में बनी एनडीपीपी आज 32 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि एनपीएफ केवल दो सीटों पर सिमट गई है। विलय होने पर प्रदेश का राजनीतिक समीकरण बदल सकता है।
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नेफ्यू रियो
- फोटो : ANI
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विस्तार
नगालैंड की राजनीति में बड़ा मोड़ आने वाला है। राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) 12 सितंबर को अपनी केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के साथ विलय पर अंतिम फैसला करेगी। पार्टी नेताओं ने सोमवार को इसकी पुष्टि की। इससे पहले एनपीएफ नेतृत्व ने अपनी फ्रंटल संगठनों और पदाधिकारियों को इस प्रस्ताव पर अनौपचारिक ब्रीफिंग दी थी।
एनडीपीपी की बैठक बंद कमरे में होगी जिसमें औपचारिक तौर पर एनपीएफ के साथ विलय के प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी। पार्टी का कहना है कि फैसला उसके संविधान के अनुसार लोकतांत्रिक प्रक्रिया से ही होगा।
एनपीएफ ने पास किया प्रस्ताव
शनिवार को एनपीएफ की केंद्रीय कार्यकारिणी परिषद ने एक प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो से पार्टी में लौटने की अपील की थी। एनपीएफ नेताओं का कहना है कि नागा जनता के व्यापक हित में रियो का नेतृत्व बेहद अहम है।
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2017 से अब तक एनडीपीपी का सफर
एनडीपीपी का गठन 2017 में हुआ और उसने 2018 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन एनपीएफ सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया। उस समय 60 सदस्यीय विधानसभा में एनपीएफ के पास 26 सीटें थीं जबकि नई बनी एनडीपीपी ने 18 सीटें जीतीं। भाजपा के साथ प्री-पोल गठबंधन ने उसे बहुमत दिलाया।
2023 चुनाव और मौजूदा समीकरण
2023 के विधानसभा चुनाव में एनडीपीपी सबसे बड़ी पार्टी बनी और 25 सीटें हासिल कीं। बाद में सात एनसीपी विधायकों के जुड़ने से उसकी ताकत बढ़कर 32 हो गई। भाजपा अब भी 12 सीटों पर कायम है। शेष 16 विधायक गठबंधन में सहयोग दे रहे हैं, जिनमें एनपीएफ के दो, एनपीपी के पांच और अन्य दलों के विधायक शामिल हैं।
रियो का राजनीतिक सफर
नेफ्यू रियो का नगालैंड की राजनीति में लंबा और प्रभावशाली सफर रहा है। 2002 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर नागा पीपुल्स काउंसिल को पुनर्जीवित किया, जिसे बाद में एनपीएफ नाम दिया गया। रियो लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहे और 2014 में लोकसभा पहुंचे। 2018 में उन्होंने एनपीएफ छोड़कर एनडीपीपी का दामन थामा और भाजपा के साथ गठबंधन कर सत्ता में लौटे।
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बदल सकता है राजनीतिक समीकरण
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर एनडीपीपी और एनपीएफ का विलय होता है तो नगालैंड में एक मजबूत क्षेत्रीय शक्ति का उदय होगा। इससे भाजपा के साथ गठबंधन समीकरणों पर भी असर पड़ सकता है। फिलहाल एनपीएफ केवल दो विधायकों तक सिमटी है, जबकि एनडीपीपी प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है।
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एनडीपीपी की बैठक बंद कमरे में होगी जिसमें औपचारिक तौर पर एनपीएफ के साथ विलय के प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी। पार्टी का कहना है कि फैसला उसके संविधान के अनुसार लोकतांत्रिक प्रक्रिया से ही होगा।
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एनपीएफ ने पास किया प्रस्ताव
शनिवार को एनपीएफ की केंद्रीय कार्यकारिणी परिषद ने एक प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो से पार्टी में लौटने की अपील की थी। एनपीएफ नेताओं का कहना है कि नागा जनता के व्यापक हित में रियो का नेतृत्व बेहद अहम है।
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2017 से अब तक एनडीपीपी का सफर
एनडीपीपी का गठन 2017 में हुआ और उसने 2018 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन एनपीएफ सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया। उस समय 60 सदस्यीय विधानसभा में एनपीएफ के पास 26 सीटें थीं जबकि नई बनी एनडीपीपी ने 18 सीटें जीतीं। भाजपा के साथ प्री-पोल गठबंधन ने उसे बहुमत दिलाया।
2023 चुनाव और मौजूदा समीकरण
2023 के विधानसभा चुनाव में एनडीपीपी सबसे बड़ी पार्टी बनी और 25 सीटें हासिल कीं। बाद में सात एनसीपी विधायकों के जुड़ने से उसकी ताकत बढ़कर 32 हो गई। भाजपा अब भी 12 सीटों पर कायम है। शेष 16 विधायक गठबंधन में सहयोग दे रहे हैं, जिनमें एनपीएफ के दो, एनपीपी के पांच और अन्य दलों के विधायक शामिल हैं।
रियो का राजनीतिक सफर
नेफ्यू रियो का नगालैंड की राजनीति में लंबा और प्रभावशाली सफर रहा है। 2002 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर नागा पीपुल्स काउंसिल को पुनर्जीवित किया, जिसे बाद में एनपीएफ नाम दिया गया। रियो लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहे और 2014 में लोकसभा पहुंचे। 2018 में उन्होंने एनपीएफ छोड़कर एनडीपीपी का दामन थामा और भाजपा के साथ गठबंधन कर सत्ता में लौटे।
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