{"_id":"66c135b58a7e254eeb066953","slug":"nano-zinc-will-save-kidneys-of-diabetic-patients-indian-scientists-experimented-on-rats-2024-08-18","type":"story","status":"publish","title_hn":"Health: नजर ना आने वाला नैनो जिंक बचाएगा मधुमेह रोगियों की किडनी, भारतीय वैज्ञानिकों ने चूहों पर किया प्रयोग","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
Health: नजर ना आने वाला नैनो जिंक बचाएगा मधुमेह रोगियों की किडनी, भारतीय वैज्ञानिकों ने चूहों पर किया प्रयोग
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: विशांत श्रीवास्तव
Updated Sun, 18 Aug 2024 05:13 AM IST
सार
नजर न आने वाला नैनो जिंक अब मधुमेह रोगियों की किडनी की रक्षा करेगा। भारतीय वैज्ञानिकों ने नेफ्रोपैथी के खतरे से बचाने में जिंक ऑक्साइड के नैनोकणों की क्षमता का लगाया पता लगाया है। साथ ही वैज्ञानिकों का चूहों पर किया प्रयोग कारगर साबित हुआ है।
विज्ञापन
Diabetes
- फोटो : istock
विज्ञापन
विस्तार
भारतीय शोधकर्ताओं ने मधुमेह निदान की दिशा में जिंक ऑक्साइड नैनोपार्टिकल्स की क्षमता का पता लगाया है। यह किडनी के काम को बेहतर बनाने और डायबिटिक नेफ्रोपैथी से निपटने में मददगार हो सकता है।
इससे मधुमेह से जुड़ी किडनी संबंधी समस्याओं के प्रबंधन में नए चिकित्सीय रास्ते खुलेंगे। डायबिटिक नेफ्रोपैथी लंबे समय तक मधुमेह के कारण होने वाली एक जटिल समस्या है। गुर्दे के काम में धीरे-धीरे आने वाली गिरावट के कारण होता है, जो अक्सर अंतिम चरण के गुर्दे की बीमारी (ईएसआरडी) में बदला जाता है। टाइप-1 मधुमेह के 20 से 50 फीसदी रोगियों को नेफ्रोपैथी की समस्या होती है। अध्ययन के अनुसार मधुमेह के रोगियों में उच्च रक्त शर्करा गुर्दे में ऑक्सीडेटिव तनाव उत्पन्न करता है और सूजन वाले अणुओं को सक्रिय करता है।
चूहों पर किया गया प्रयोग कारगर
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान, पुणे के अघारकर अनुसंधान संस्थान (एआरआई) में पशु मॉडल में किए गए अध्ययनों ने जिंक ऑक्साइड नैनोपार्टिकल के ग्लूकोज कम करने, इंसुलिन मीमेटिक और बीटा प्रसारक के अच्छे प्रभावों को साबित किया है।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी से पीड़ित विस्टार चूहों पर किए गए एक अध्ययन में इंसुलिन से किए गए उपचार मधुमेह प्रभावित चूहों पर ज्यादा कारगर साबित हुए हैं। यह भी देखा गया कि इनमें जिंक ऑक्साइड नैनोपार्टिकल द्वारा किए गए उपचार ने गुर्दे के काम में काफी सुधार किया।
मधुमेह से छुटकारा पाने के लिए किया नया प्रयोग
शधकर्ताओं का कहना है कि दुनिया भर में मधुमेह या डायबिटीज के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में मधुमेह के रोगियों की संख्या 42.2 करोड़ हो गई। मधुमेह से पूरी तरह से छुटकारा पाने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने नया प्रयोग किया है। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह व्यवस्थित पोडोसाइट पर जिंक ऑक्साइड नैनोपार्टिकल के प्रभावों को सामने लाने वाला पहला सफल अध्ययन है।
नेफ्रोपैथी का संबंध जिंक की कमी से
शोध में कहा गया है कि जिंक ऑक्साइड नैनोपार्टिकल ने खून में भारी मात्रा में शुगर से होने वाली सूजन के कारण कोशिका नष्ट होने से रोकने में सुरक्षा प्रदान की। जर्नल लाइफ साइंसेज में प्रकाशित शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि जिंक ऑक्साइड नैनोपार्टिकल मधुमेह संबंधी जटिलताओं के इलाज के लिए एक चिकित्सीय एजेंट के रूप में काम कर सकता है।
मधुमेह रोगियों में डायबिटिक नेफ्रोपैथी का संबंध जिंक की कमी से है। जिंक ऑक्साइड, नैनोपार्टिकल जैव द्वारा उपलब्ध जिंक आयनों की निरंतर रिलीज के लिए एक भंडार के रूप में कार्य करता है।
Trending Videos
इससे मधुमेह से जुड़ी किडनी संबंधी समस्याओं के प्रबंधन में नए चिकित्सीय रास्ते खुलेंगे। डायबिटिक नेफ्रोपैथी लंबे समय तक मधुमेह के कारण होने वाली एक जटिल समस्या है। गुर्दे के काम में धीरे-धीरे आने वाली गिरावट के कारण होता है, जो अक्सर अंतिम चरण के गुर्दे की बीमारी (ईएसआरडी) में बदला जाता है। टाइप-1 मधुमेह के 20 से 50 फीसदी रोगियों को नेफ्रोपैथी की समस्या होती है। अध्ययन के अनुसार मधुमेह के रोगियों में उच्च रक्त शर्करा गुर्दे में ऑक्सीडेटिव तनाव उत्पन्न करता है और सूजन वाले अणुओं को सक्रिय करता है।
विज्ञापन
विज्ञापन
चूहों पर किया गया प्रयोग कारगर
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान, पुणे के अघारकर अनुसंधान संस्थान (एआरआई) में पशु मॉडल में किए गए अध्ययनों ने जिंक ऑक्साइड नैनोपार्टिकल के ग्लूकोज कम करने, इंसुलिन मीमेटिक और बीटा प्रसारक के अच्छे प्रभावों को साबित किया है।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी से पीड़ित विस्टार चूहों पर किए गए एक अध्ययन में इंसुलिन से किए गए उपचार मधुमेह प्रभावित चूहों पर ज्यादा कारगर साबित हुए हैं। यह भी देखा गया कि इनमें जिंक ऑक्साइड नैनोपार्टिकल द्वारा किए गए उपचार ने गुर्दे के काम में काफी सुधार किया।
मधुमेह से छुटकारा पाने के लिए किया नया प्रयोग
शधकर्ताओं का कहना है कि दुनिया भर में मधुमेह या डायबिटीज के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में मधुमेह के रोगियों की संख्या 42.2 करोड़ हो गई। मधुमेह से पूरी तरह से छुटकारा पाने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने नया प्रयोग किया है। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह व्यवस्थित पोडोसाइट पर जिंक ऑक्साइड नैनोपार्टिकल के प्रभावों को सामने लाने वाला पहला सफल अध्ययन है।
नेफ्रोपैथी का संबंध जिंक की कमी से
शोध में कहा गया है कि जिंक ऑक्साइड नैनोपार्टिकल ने खून में भारी मात्रा में शुगर से होने वाली सूजन के कारण कोशिका नष्ट होने से रोकने में सुरक्षा प्रदान की। जर्नल लाइफ साइंसेज में प्रकाशित शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि जिंक ऑक्साइड नैनोपार्टिकल मधुमेह संबंधी जटिलताओं के इलाज के लिए एक चिकित्सीय एजेंट के रूप में काम कर सकता है।
मधुमेह रोगियों में डायबिटिक नेफ्रोपैथी का संबंध जिंक की कमी से है। जिंक ऑक्साइड, नैनोपार्टिकल जैव द्वारा उपलब्ध जिंक आयनों की निरंतर रिलीज के लिए एक भंडार के रूप में कार्य करता है।