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Nex Gen GST: जीएसटी में अब पांच और 18 फीसद के होंगे स्लैब, 2047 तक एक देश-एक टैक्स की राह आसान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Sat, 16 Aug 2025 10:12 PM IST
सार
केंद्र सरकार ने जीएसटी में बड़े बदलाव के संकेत दिया है। मौजूदा चार टैक्स स्लैब की जगह अब केवल 5% और 18% स्लैब रखने की योजना है। 99% सामान 12% से 5% पर और 90% सामान 28% से 18% पर लाए जाएंगे। सरकार का दावा है कि इससे दाम घटेंगे और खपत बढ़ेगी। इसे ‘अगली पीढ़ी का जीएसटी’ कहा जा रहा है, जो 2047 तक एकल जीएसटी दर लागू करने की राह खोलेगा।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर ढांचे में बड़े बदलाव का संकेत दिया है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने इसे ‘अगली पीढ़ी का जीएसटी’ नाम दिया है, जो मौजूदा चार टैक्स स्लैब की जगह सिर्फ दो स्लैब यानि पांच और 18 फीसद में व्यवस्था को सरल बनाएगा। अधिकारियों का कहना है कि यह सुधार भविष्य में एकल जीएसटी दर (सिंगल टैक्स स्लैब) की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा। माना जा रहा है सरकार का लक्ष्य है कि 2047 तक भारत एक राष्ट्र-एक टैक्स व्यवस्था की ओर बढ़ सके।
वर्तमान में जीएसटी में 5%, 12%, 18% और 28% की चार दरें लागू हैं। प्रस्तावित बदलाव के तहत 12% और 28% स्लैब को खत्म कर केवल पांच और 18 फीसद स्लैब रखा जाएगा। लगभग 99% वस्तुएं जो अभी 12% टैक्स के दायरे में हैं, जैसे बटर, जूस और ड्राई फ्रूट्स, उन्हें 5% पर लाने का सुझाव है। वहीं 28% टैक्स में आने वाले लगभग 90% सामान जैसे टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन और सीमेंट को 18% स्लैब में लाने की तैयारी है।
खपत और उपभोग बढ़ाने की रणनीति
अधिकारियों ने कहा कि टैक्स कम करने का मकसद लोगों की जेब में ज्यादा पैसा छोड़ना है ताकि खपत और उपभोग बढ़े। उनका मानना है कि कम टैक्स से दाम घटेंगे, जिससे मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। एक अधिकारी ने कहा कि लो टैक्स का मतलब है लोगों की जेब में ज्यादा पैसा और इसका सीधा असर बाजार पर दिखेगा। सरकार का मानना है कि भले ही शुरुआत में राजस्व पर असर पड़े, लेकिन खपत बढ़ने से घाटा भर जाएगा।
इन सुधारों पर की गई चर्चा
सूत्रों ने बताया कि इस सुधार पर छह महीने से ज्यादा समय तक दर्जनों बैठकों में चर्चा हुई। हर वस्तु की अलग-अलग समीक्षा की गई, चाहे वह किसानों के लिए कीटनाशक हो, छात्रों के लिए पेंसिल हो या एमएसएमई के लिए कच्चा माल। इन सबको ध्यान में रखते हुए वस्तुओं को ‘मेरिट गुड्स’ और ‘स्टैंडर्ड गुड्स’ में बांटा गया है। अधिकारियों का कहना है कि यह बदलाव केवल अल्पकालिक समाधान नहीं बल्कि एक स्थायी ढांचा होगा जो टैक्स में स्थिरता लाएगा और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) जैसी समस्याओं को भी दूर करेगा।
ये भी पढ़ें- उपमुख्यमंत्री शिवकुमार बोले- केवल राजनीति कर रही BJP, सरकार जांच प्रक्रिया को लेकर गंभीर
2047 तक एकल टैक्स स्लैब का लक्ष्य
सूत्रों ने कहा कि भारत अभी विविध आय और उपभोग क्षमता वाला देश है, इसलिए एकल जीएसटी दर का समय अभी नहीं आया है। लेकिन जैसे-जैसे भारत विकसित देशों की कतार में पहुंचेगा, यह संभव होगा। एक अधिकारी ने कहा कि 2047 तक जब भारत विकसित राष्ट्र बनेगा, तब एकल स्लैब जीएसटी लागू करने की संभावना बढ़ जाएगी। अभी का ‘अगली पीढ़ी का जीएसटी’ उस लक्ष्य तक पहुंचने का पूर्वाभ्यास माना जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव और आत्मनिर्भरता का संदेश
यह कदम ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारत के निर्यात पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामानों पर 25% शुल्क लगाया है और इसे 27 अगस्त से 50% तक करने की योजना है। इसका असर भारत के 40 अरब डॉलर के निर्यात जैसे जेम्स एंड ज्वेलरी, टेक्सटाइल्स और फुटवियर पर पड़ेगा। इस चुनौती के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर ‘आत्मनिर्भर भारत’ का संदेश दिया और देशवासियों से स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की अपील की।
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अगले कदम और राजनीतिक पहलू
सूत्रों के अनुसार यह प्रस्ताव सबसे पहले राज्यों के मंत्रियों के समूह (जीओएम) को भेजा जाएगा। उनकी सहमति के बाद इसे जीएसटी काउंसिल में रखा जाएगा। जीएसटी काउंसिल, जिसमें केंद्र और सभी राज्यों के प्रतिनिधि होते हैं और जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करती हैं, इस पर अंतिम निर्णय लेगी। भाजपा का मानना है कि ‘अगली पीढ़ी का जीएसटी’ से न केवल टैक्स ढांचे में सरलता आएगी बल्कि आम उपभोक्ता और छोटे कारोबारियों दोनों को राहत मिलेगी। काउंसिल की बैठक अगले महीने होने की संभावना है।
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वर्तमान में जीएसटी में 5%, 12%, 18% और 28% की चार दरें लागू हैं। प्रस्तावित बदलाव के तहत 12% और 28% स्लैब को खत्म कर केवल पांच और 18 फीसद स्लैब रखा जाएगा। लगभग 99% वस्तुएं जो अभी 12% टैक्स के दायरे में हैं, जैसे बटर, जूस और ड्राई फ्रूट्स, उन्हें 5% पर लाने का सुझाव है। वहीं 28% टैक्स में आने वाले लगभग 90% सामान जैसे टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन और सीमेंट को 18% स्लैब में लाने की तैयारी है।
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खपत और उपभोग बढ़ाने की रणनीति
अधिकारियों ने कहा कि टैक्स कम करने का मकसद लोगों की जेब में ज्यादा पैसा छोड़ना है ताकि खपत और उपभोग बढ़े। उनका मानना है कि कम टैक्स से दाम घटेंगे, जिससे मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। एक अधिकारी ने कहा कि लो टैक्स का मतलब है लोगों की जेब में ज्यादा पैसा और इसका सीधा असर बाजार पर दिखेगा। सरकार का मानना है कि भले ही शुरुआत में राजस्व पर असर पड़े, लेकिन खपत बढ़ने से घाटा भर जाएगा।
इन सुधारों पर की गई चर्चा
सूत्रों ने बताया कि इस सुधार पर छह महीने से ज्यादा समय तक दर्जनों बैठकों में चर्चा हुई। हर वस्तु की अलग-अलग समीक्षा की गई, चाहे वह किसानों के लिए कीटनाशक हो, छात्रों के लिए पेंसिल हो या एमएसएमई के लिए कच्चा माल। इन सबको ध्यान में रखते हुए वस्तुओं को ‘मेरिट गुड्स’ और ‘स्टैंडर्ड गुड्स’ में बांटा गया है। अधिकारियों का कहना है कि यह बदलाव केवल अल्पकालिक समाधान नहीं बल्कि एक स्थायी ढांचा होगा जो टैक्स में स्थिरता लाएगा और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) जैसी समस्याओं को भी दूर करेगा।
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2047 तक एकल टैक्स स्लैब का लक्ष्य
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अंतरराष्ट्रीय दबाव और आत्मनिर्भरता का संदेश
यह कदम ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारत के निर्यात पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामानों पर 25% शुल्क लगाया है और इसे 27 अगस्त से 50% तक करने की योजना है। इसका असर भारत के 40 अरब डॉलर के निर्यात जैसे जेम्स एंड ज्वेलरी, टेक्सटाइल्स और फुटवियर पर पड़ेगा। इस चुनौती के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर ‘आत्मनिर्भर भारत’ का संदेश दिया और देशवासियों से स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की अपील की।
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