NITI Aayog meeting: नई संसद में पहले ही बिल पर हारेगी सरकार! मुख्यमंत्रियों के बहिष्कार से पैदा हुए नए समीकरण
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विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नई संसद का उद्घाटन करने के लिए तैयार हैं। इसके साथ ही विपक्षी दलों ने भी इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर अपनी राजनीति साधने की तैयारी कर ली है। लेकिन नई संसद के उद्घाटन से ठीक एक दिन पहले यानी 27 मई को ही नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार कर सरकार को इस बात का एहसास करा दिया है कि उसकी आगे की राह आसान नहीं होने वाली है। राज्यसभा का गणित देखते हुए दिल्ली सेवाओं पर लाए गए अध्यादेश को कानून बनाने में भी सरकार को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। तो क्या नई संसद की पहली परीक्षा में ही सरकार हार सकती है?
किन मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक का किया बहिष्कार
आम आदमी पार्टी ने सबसे पहले नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने की रणनीति अपनाई। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख कहा कि सरकार लोकतंत्र की भावना के अनुसार नहीं चल रही है, लिहाजा नीति आयोग की बैठक में शामिल होने का उनका कोई इरादा नहीं है। उनके साथ पंजाब के आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी नीति आयोग की बैठक में जाने से इनकार कर दिया।
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इन दो नेताओं के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी नीति आयोग की बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया। राजस्थान में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी नीति आयोग की बैठक में नहीं शामिल हुए।
क्या हैं नए समीकरण?
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली पर लाए गए केंद्र के अध्यादेश को कानून बनने से रोकने के लिए पूरे देश की यात्रा कर रहे हैं। अब तक वे ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और भारत राष्ट्र समिति के नेता केसीआर से मुलाकात कर चुके हैं। आम आदमी पार्टी का दावा है कि इन नेताओं ने उन्हें इस बात का आश्वासन दिया है कि इस बिल को संसद में लाए जाने पर वे इनके खिलाफ मतदान करेंगे।
अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से भी मुलाकात कर इस मुद्दे पर उनका समर्थन पाने की अपील कर चुके हैं। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अभी अपना अंतिम रुख स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन यदि केजरीवाल को इस मुद्दे पर कांग्रेस का समर्थन भी मिल जाता है, तो इस बिल को पास कराने में सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
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चूंकि, नीतीश कुमार सरकार को घेरने के लिए सभी विपक्षी दलों के नेताओं से लगातार मुलाकात कर रहे हैं, नई संसद के उद्घाटन के मुद्दे पर भी विपक्षी दलों में एकता दिखाई पड़ रही है, माना जा रहा है कि नई संसद में कानून पर मतदान को लेकर भी विपक्षी दल एक साझा मंच पर आकर सरकार को घेरने की रणनीति अपना सकते हैं। यदि सरकार अपने पहले ही बिल को पास कराने में चुनौतियों का सामना करती है, तो इससे सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा हो सकती है।
भाजपा ने क्या कहा?
पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को कहा कि नीति आयोग की बैठक में शामिल न होकर ये मुख्यमंत्री यह संकेत दे रहे हैं कि वे अपनी जनता के हितों के साथ खड़े नहीं हैं। उन्होंने कहा कि नीति आयोग की बैठक किसी दल की राजनीति के लिए नहीं, बल्कि देश के विकास का खाका तैयार करने के लिए होती है, लेकिन इसका राजनीतिकरण करना विपक्षी दलों की संकीर्ण मानसिकता को दिखाता है।