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Lok Sabha: 'खुसरो और तुलसीदास के जन्मस्थान ASI के तहत संरक्षित स्मारक नहीं', लोकसभा में गजेंद्र सिंह का जवाब

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शुभम कुमार Updated Mon, 24 Mar 2025 03:53 PM IST
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सार

महान कवि तुलसीदास और अमीर खुसरो की जन्मस्थली 'पटियाली और सोरोंं' को संरक्षित स्मारक बताने के दावों पर अपना जवाब दिया। उन्होंने लोकसभा में कहा कि पटियाली और सोरों एएसआई के तहत संरक्षित स्मारक नहीं हैं।

No proposal for preservation, development of birthplace sites of Khusro, Tulsidas: Gajendra Singh Shekhawat
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत - फोटो : एक्स@gssjodhpur
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विस्तार
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उत्तर प्रदेश के एटा लोकसभा क्षेत्र में स्थित अमीर खुसरो और तुलसीदास के जन्मस्थान, पटियाली और सोरों, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत संरक्षित स्मारक नहीं हैं। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोमवार को संसद में यह जानकारी दी। साथ ही साथ ही मंत्री ने बताया कि एटा क्षेत्र में खुसरो और तुलसीदास के जन्मस्थल संरक्षण और विकास के लिए फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है। 

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एएसआई के देखरेख में शामिल नहीं है ये दोनों स्मारके
मामले में मंत्री से पूछा गया था कि क्या केंद्र इन दो महान कवियों के जन्मस्थलों को उनके साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान को देखते हुए किसी विशेष योजना के तहत संरक्षित और विकसित करने का प्रस्ताव रखता है। इसके जवाब में मंत्री ने बताया कि एएसआई देशभर में 3,698 स्मारकों की देखरेख करता है, लेकिन पटियाली और सोरों इनमे शामिल नहीं हैं।
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इसके साथ ही उन्होंने अपने जवाब में ये बात सपष्ट किया कि फिलहाल तो इन स्थानों के संरक्षण और विकास के लिए कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इसके साथ ही  अलावा जब मंत्री से यह भी पूछा गया था कि क्या सरकार इन स्थानों को राष्ट्रीय धरोहर स्थल घोषित करने का कोई विचार कर रही है, तो मंत्री ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव अभी विचाराधीन नहीं है।

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अमीर खुसरो और तुलसीदास 
गौतरलब है कि अमीर खुसरो और तुलसीदास दोनों ही महान कवि थे। खुसरो को उनके दोहों के लिए और तुलसीदास को रामचरितमानस जैसी महाकाव्य रचना के लिए जाना जाता है। अमीर खुसरो 13वीं शताब्दी में पैदा हुए थे और उन्हें उनके दोहों और सूफी काव्य के लिए जाना जाता है। तुलसीदास, जो 16वीं शताब्दी में जन्मे थे, ने अपनी प्रसिद्ध रचना रामचरितमानस" के जरिए भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी। दोनों कवियों की पंक्तियां आज भी साहित्यकारों और आम लोगों के लिए खास है।

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