Old Pension: पुरानी पेंशन को लेकर जंतर-मंतर पर गरजे असैनिक रक्षा कर्मी, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला
Old Pension: रक्षा मंत्रालय की एचवीएफ अवाडी जो एक आयुध निर्माणी है, वहां से रिटायर हुए कर्मचारियों को एनपीएस के जरिए जो लाभ मिले हैं, उसमें रिटायरमेंट पर दो हजार रुपये से पांच हजार रुपये की एनपीएस पेंशन मिली है, जबकि पुरानी पुरानी पेंशन योजना में इन्हें यही आर्थिक लाभ कई गुना मिलता...
विस्तार
केंद्र सरकार में पुरानी पेंशन बहाल कराने के लिए असैनिक रक्षा कर्मचारी संगठन ‘अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ’ (एआईडीईएफ) ने सोमवार को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर हुंकार भरी। कर्मियों ने केंद्र सरकार को चेताते हुए कहा, अगर पुरानी पेंशन दोबारा से लागू नहीं की गई, तो इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलेंगे। ये कर्मियों का हक है। एआईडीईएफ महासचिव सी. श्रीकुमार ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है। इस फैसले में कहा गया है कि पेंशन न तो एक इनाम है, और न ही अनुग्रह की बात है, जो कि नियोक्ता की इच्छा पर निर्भर हो।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की है। उन्होंने जंतर-मंतर पर कर्मचारियों को संबोधित किया। स्टाफ साइड की जेसीएम के सचिव एवं रेल कर्मियों के शीर्ष नेता शिवगोपाल मिश्रा सहित कई विभागों की एसोसिएशनों एवं यूनियनों के पदाधिकारियों ने इस प्रदर्शन में भाग लिया है।
पुरानी पेंशन को लेकर क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
श्रीकुमार ने कहा, भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश बीडी चंद्रचूड, जस्टिस बीडी तुलजापुरकर, जस्टिस ओ. चिन्नप्पा रेड्डी एवं जस्टिस बहारुल इस्लाम शामिल थे, के द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद-32 के अंतर्गत रिट पिटीशन संख्या 5939 से 5941, जिसको डीएस नाकरा एवं अन्य बनाम भारत गणराज्य के नाम से जाना जाता है, में दिनांक 17 दिसंबर 1981 को दिए गए प्रसिद्ध निर्णय का उल्लेख करना आवश्यक है। इसके पैरा 31 में कहा गया है, ...चर्चा से तीन बातें सामने आती हैं। एक, पेंशन न तो एक इनाम है और न ही अनुग्रह की बात है, जो कि नियोक्ता की इच्छा पर निर्भर हो। यह 1972 के नियमों के अधीन, एक निहित अधिकार है जो प्रकृति में वैधानिक है, क्योंकि उन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के खंड ‘50’ का प्रयोग करते हुए अधिनियमित किया गया है। पेंशन, अनुग्रह राशि का भुगतान नहीं है, बल्कि यह पूर्व सेवा के लिए भुगतान है। यह उन लोगों के लिए सामाजिक, आर्थिक न्याय प्रदान करने वाला एक सामाजिक कल्याणकारी उपाय है, जिन्होंने अपने जीवन के सुनहरे दिनों में, नियोक्ता के इस आश्वासन पर लगातार कड़ी मेहनत की है कि उनके बुढ़ापे में उन्हें ठोकरें खाने के लिए नहीं छोड़ दिया जाएगा।
एआईडीईएफ ने केंद्र सरकार के समक्ष रखी ये मांगें
- एक जनवरी 2004 को या उसके बाद भर्ती हुए कर्मचारियों के लिए लागू की गई राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को वापस लिया जाए। कर्मियों को सीएसएस पेंशन नियम 1972 के अंतर्गत, पुरानी पेंशन योजना के दायरे में लाया जाए।
- एक जनवरी 2004 को या उसके बाद भर्ती हुए कर्मचारियों के लिए उनके जीपीएफ खाते में रिटर्न के साथ संचित अंशदान को जमा करते हुए, जीपीएफ योजना को लागू किया जाए। अगर सरकार ये मांग मान लेती है, तो यह कदम उन कर्मियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा, जो एक जनवरी 2004 को या उसके बाद सेवा में आए हैं। इससे सरकारी विभागों की उत्पादकता और दक्षता में सुधार होगा, जो बदले में देश की शासन प्रणाली को भी लाभान्वित करेगा।
एनपीएस एक परिभाषित पेंशन योजना नहीं है
रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एचवीएफ अवाडी जो एक आयुध निर्माणी है, वहां से रिटायर हुए कर्मचारियों को एनपीएस के जरिए जो लाभ मिले हैं, वे हैरान करने वाले हैं। इन कर्मियों को रिटायरमेंट पर दो हजार रुपये से पांच हजार रुपये की एनपीएस पेंशन मिली है, जबकि पुरानी पुरानी पेंशन योजना में इन्हें यही आर्थिक लाभ कई गुना मिलता। एनपीएस एक परिभाषित पेंशन योजना नहीं है। यह एक अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता के रूप में सरकार प्रत्येक माह अपना-अपना अंशदान करते हैं। एआईडीईएफ ने शुरू से ही अन्य विभागों जैसे रेलवे डाक एवं दूसरे महकमों के साथ केंद्र सरकार की इस योजना का विरोध किया है। विभिन्न मंचों से इस मुद्दे को उठाया गया है, लेकिन सरकार ने कोई सुनवाई नहीं की।
पुरानी पेंशन व्यवस्था में मिल रहे ये फायदे
पुरानी पेंशन योजना सुपरिभाषित लाभ वाली योजना है। जिन कर्मियों की न्यूनतम दस वर्ष की क्वॉलिफाइंग सर्विस होती है, वह पेंशन के लिए पात्र होते हैं। उनको अंतिम आहरित वेतन का 50 फीसदी मासिक पेंशन के रूप में दिया जाता है। यह गारंटीशुदा पेंशन राशि 9000 रुपये, महंगाई भत्ते की बढ़ोतरी के आधीन होती है। इस मासिक पेंशन में से 40 फीसदी के बराबर की धनराशि को सेवानिवृत्ति के अवसर पर परिवर्तित किया जा सकता है, अर्थात जिसको अग्रिम तौर पर लिया जा सकता है तथा 15 वर्ष के बाद इसकी वापसी एवं बहाली की जाती है। अग्रिम तौर पर एकमुश्त भुगतान प्राप्त कर सकते हैं। कम्युटेशन के पश्चात शेष पेंशन और पूर्ण पेंशन पर महंगाई भत्ते का 15 वर्ष तक भुगतान किया जाता है। यदि 15 वर्ष से पहले पेंशनभोगी की मृत्यु हो जाती है तो शेष परिवर्तित पेंशन के पुनर्भुगतान की कोई आवश्यकता नहीं होती।
बढ़ती आयु के साथ ये फायदा भी
इसके अलावा 80 वर्ष की आयु के बाद पेंशनधारक को बीस फीसदी बढ़ोतरी का लाभ मिलता है। 85 वर्ष के बाद तीस फीसदी, 90 वर्ष की आयु के बाद 40 फीसदी वृद्धि, 95 साल की आयु पूरी होने पर 50 फीसदी और 100 साल के पेंशनधारक को सौ फीसदी वृद्धि का लाभ प्राप्त होता है। जब भी वेतन आयोग द्वारा कर्मियों के वेतनमानों का रिवीजन किया जाता है, तो उसी के अनुरुप पेंशन का भी रिवीजन होता है। अपंगता के मामले में असाधारण पेंशन दी जाती है। ग्रेच्युटी एवं कम्युटेशन के भुगतान पर किसी भी प्रकार का आयकर नहीं लगता है।
एनपीएस में 10 फीसदी अंशदान
एनपीएस में कर्मी को मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 फीसदी अंशदान देना होता है। सरकार भी मैचिंग ग्रांट के रूप में समान धनराशि का अंशदान करती है। हालांकि बाद में सरकार ने अपने अंशदान को बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया है। संपूर्ण धनराशि को भारतीय जीवन बीमा, एसबीआई एवं यूटीआई के तीन फंड मैनेजरों के बीच बांट दिया गया है। पंद्रह फीसदी के बराबर की धनराशि को शेयर मार्केट में तथा 85 फीसदी के बराबर की धनराशि को सरकारी एवं निजी बांड में निवेश करते हैं। एनपीएस में निवेश के ऊपर रिटर्न की कोई गारंटी नहीं है। इसमें मूल धनराशि में भी नुकसान का जोखिम होने का खतरा मौजूद रहता है। केंद्र सरकार के कर्मियों के मामले में 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर एनपीएस कर्मी के रिटायर होने के समय उपलब्ध धनराशि में से 60 फीसदी के बराबर धनराशि का भुगतान, सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी को किया जाता है। शेष 40 फीसदी धनराशि को प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं।
रिटायर्ड कर्मी को मिलता है ये विकल्प
सेवानिवृत्त कर्मचारी को यह विकल्प दिया जाता है कि वह किस कंपनी की प्रतिभूति में निवेश करना चाहता है। पेंशन वेल्थ की 40 फीसदी धनराशि का प्रतिभूतियों में निवेश करना अनिवार्य है। 60 वर्ष की आयु पूरी होने से पहले कर्मचारी के स्वैच्छिक रुप से सेवानिवृत्त होने वाले केस में भी उस कर्मी को पेंशन वेल्थ की केवल 60 फीसदी धनराशि का ही भुगतान किया जाता है। पेंशन वेल्थ का 40 फीसदी हिस्सा प्रतिभूतियों में निवेश होता है। अन्य तरीकों से सेवा में नहीं रहने वाले कर्मचारी को केवल 20 फीसदी का भुगतान किया जाता है। शेष 80 फीसदी भाग को पेंशन के लिए प्रतिभूति में निवेश किया जाता है। हालांकि यह कहा गया है कि इस 40 फीसदी अथवा 80 फीसदी धनराशि के ऊपर किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन निवेश की गई वास्तविक धनराशि पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया जाता है।