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Operation Sindoor: जैश के शिविरों के तार हमास से भी जुड़े, तस्करी के जरिये पहुंचते थे नाटो के हथियार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिव शुक्ला
Updated Fri, 09 May 2025 07:32 AM IST
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सार
भारतीय सैन्य बलों ने बुधवार तड़के ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में सक्रिय दहशतगर्दों के नौ ठिकानों को निशाना बनाया और पलक झपकते उन्हें पूरी तरह नेस्ताबूद कर दिया। वहीं अब खुलासा हुआ है कि जैश के शिविरों के तार आतंकी संगठन हमास से भी जुड़े थे।

बहावलपुर में भारतीय हमले में तबाह आतंकी ठिकाना
- फोटो : पीटीआई

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विस्तार
ऑपरेशन सिंदूर के तहत ध्वस्त आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के दो शिविर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के दो अलग-अलग छोरों पर स्थित हैं। बहावलपुर का मरकज सुभान अल्लाह और नारोवाल स्थित सरजाल शिविर दोनों का इस्तेमाल जैश अपना फिदायीन दस्ता तैयार करने के लिए करता था,। इनके तार हमास से जुड़ रहे हैं। यही नहीं, जैश के लिए ये उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के हथियारों को जमा करने वाले केंद्र भी थे।
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद अंतरिक्ष से ली गई तस्वीरें जारी
- फोटो : एएनआई / रॉयटर्स
अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि 15 एकड़ में फैला बहावलपुर केंद्र अब्दुल रऊफ असगर की निगरानी में चलता था। यह केंद्र अफगानिस्तान में नाटो सैनिकों के छोड़े हथियारों और गोला-बारूद जमा करने के लिए भी कुख्यात रहा है। ये हथियार तस्करी के जरिये अफगानिस्तान से यहां लाए जाते थे। अफगानिस्तान में लड़ने वाले जैश कमांडर अक्सर यहां आते-जाते रहते थे। असगर ने खैबर पख्तूनख्वा के अपराधियों के नेटवर्क के जरिये यहां पर एम-4 सीरीज की राइफलें और अन्य हथियार भी जुटा रखे थे। वह हथियारों की तस्करी में भी शामिल रहा है। इस शिविर में स्नाइपर राइफलें, कवच-भेदी गोलियां, नाइट विजन डिवाइस और राइफलों का बड़ी खेप रखी जाती थी। नरोवाल स्थित केंद्र के बारे में अधिकारियों ने कहा कि इस मरकज को फलस्तीन हमास समूह की रणनीतियां सीखने के लिए भी इस्तेमाल किया गया।
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ऑपरेशन सिंदूर के तहत पीओजेके के मुजफ्फराबाद में हमले के बाद का मंजर
- फोटो : एएनआई / रॉयटर्स
एक दशक से हमास से नजदीकी
फलस्तीनी लड़ाकों के संगठन हमास और जैश की जुगलबंदी कोई नई नहीं है। बल्कि दोनों के बीच 2014 में बढ़ी जब एक जैश आतंकी मोहम्मद अदनान अली (कोडनेम डॉक्टर) ने थाईलैंड में एक अन्य समूह खालिस्तान टाइगर फोर्स के गुर्गों रमनदीप सिंह उर्फ गोल्डी के पैराग्लाइडर प्रशिक्षण की व्यवस्था की। अधिकारियों के मुताबिक, जैश का तरफ से घुसपैठ के लिए सुरंगों और पैराग्लाइडिंग का इस्तेमाल हमास की कार्यप्रणाली से प्रेरित है।
फलस्तीनी लड़ाकों के संगठन हमास और जैश की जुगलबंदी कोई नई नहीं है। बल्कि दोनों के बीच 2014 में बढ़ी जब एक जैश आतंकी मोहम्मद अदनान अली (कोडनेम डॉक्टर) ने थाईलैंड में एक अन्य समूह खालिस्तान टाइगर फोर्स के गुर्गों रमनदीप सिंह उर्फ गोल्डी के पैराग्लाइडर प्रशिक्षण की व्यवस्था की। अधिकारियों के मुताबिक, जैश का तरफ से घुसपैठ के लिए सुरंगों और पैराग्लाइडिंग का इस्तेमाल हमास की कार्यप्रणाली से प्रेरित है।
फरवरी में रावलकोट पहुंचे थे हमास नेता
अधिकारियों के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों और हमास नेताओं के बीच नियमित संपर्क होता रहा है। इस साल फरवरी में हमास के कुछ नेताओं ने रावलकोट पहुंचकर कश्मीर एकजुटता दिवस पर रैली को संबोधित किया था। इसमें लश्कर और जैश के शीर्ष कैडर शामिल हुए थे। रैली को हमास प्रवक्ता खालिद कद्दौमी ने संबोधित किया था।
अधिकारियों के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों और हमास नेताओं के बीच नियमित संपर्क होता रहा है। इस साल फरवरी में हमास के कुछ नेताओं ने रावलकोट पहुंचकर कश्मीर एकजुटता दिवस पर रैली को संबोधित किया था। इसमें लश्कर और जैश के शीर्ष कैडर शामिल हुए थे। रैली को हमास प्रवक्ता खालिद कद्दौमी ने संबोधित किया था।