सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   OPS 91 lakh govt employees included in NPS not accept UPS rally held at Jantar Mantar on Nov 17

OPS: एनपीएस में शामिल 91 लाख सरकारी कर्मियों को मंजूर नहीं UPS, 17 नवंबर को जंतर-मंतर पर होगी ‘महारैली'

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Fri, 15 Nov 2024 04:37 PM IST
सार

OPS  News:  इस साल जब केंद्र सरकार ने एनपीएस में सुधार कर एक नई पेंशन योजना 'यूनिफाइड पेंशन स्कीम' लागू करने की घोषणा की थी। हालांकि सरकार ने इसे अगले वर्ष पहली अप्रैल से लागू करने की बात कही है।

विज्ञापन
OPS 91 lakh govt employees included in NPS not accept UPS rally held at Jantar Mantar on Nov 17
पुरानी पेंशन योजना। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

केंद्र सरकार द्वारा एनपीएस में सुधार कर लाई गई 'यूनिफाइड पेंशन स्कीम' (यूपीएस) से सरकारी कर्मचारी संतुष्ट नहीं हैं। देशभर के 91 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी, पुरानी पेंशन बहाली के लिए ऑल इंडिया एनपीएस एम्पलाइज फेडरेशन (एआईएनपीएसईएफ) के बैनर तले एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन चला रहे हैं। इस आंदोलन का नाम 'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' रखा गया है। 'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंजीत सिंह पटेल ने बताया, 17 नवंबर को नई दिल्ली में ओपीएस बहाली के लिए 'पेंशन जयघोष महारैली' की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। 
Trending Videos


पटेल का दावा है कि जंतर-मंतर पर होने वाली रैली में केंद्र एवं विभिन्न प्रदेशों की सरकारों के कर्मचारी भारी संख्या में शिरकत करेंगे। एनपीएस कर्मियों का फोकस नाम पर नहीं, बल्कि ओपीएस की आत्मा पर है। फेडरेशन ने केंद्र सरकार से मांग है कि पेंशन की गणना 25 वर्ष के स्थान पर 20 वर्ष की जाए और कर्मचारी के अंशदान पर जीपीएफ की मान्यता रहे, ताकि वह कर्मी को पूरा वापस मिल जाए। पेंशन जयघोष महारैली का समय दोपहर 12 बजे रखा गया है। 
विज्ञापन
विज्ञापन


बता दें कि इस साल जब केंद्र सरकार ने एनपीएस में सुधार कर एक नई पेंशन योजना 'यूनिफाइड पेंशन स्कीम' लागू करने की घोषणा की थी। हालांकि सरकार ने इसे अगले वर्ष पहली अप्रैल से लागू करने की बात कही है। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बुलाई गई कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक का बहिष्कार किया था। वजह, एआईडीईएफ की मांग थी कि पुरानी पेंशन बहाल की जाए। कर्मचारियों को एनपीएस में सुधार या कोई नई पेंशन योजना मंजूर नहीं है। दूसरे कर्मचारी संगठनों ने भी यूपीएस पर नाखुशी जताई। इसके कुछ दिन बाद ही एनएमओपीएस ने 26 सितंबर को देश के सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। इनकी मांग थी कि कर्मचारियों को पुरानी पेंशन ही चाहिए। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के सदस्यों ने दो अक्तूबर को प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक वे गैर-अंशदायी 'पुरानी पेंशन' योजना हासिल नहीं कर लेते, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। इनके अलावा रेलवे के विभिन्न कर्मचारी संगठन भी यूनिफाइड पेंशन स्कीम के विरोध में खड़े हो गए हैं। वे भी आवाज बुलंद कर रहे हैं। 

एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना था, कर्मचारियों ने यूपीएस के खिलाफ अपने आंदोलन को दोबारा से प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। अंशदायी पेंशन योजना, 'यूपीएस' का पुरजोर विरोध किया जाएगा। पिछले 20 वर्षों से केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी, अंशदायी पेंशन योजना के खिलाफ लड़ रहे हैं। उनकी मांग, गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल कराना है। सरकारी कर्मचारियों के पास अब यही विकल्प बचा है कि वे यूपीएस में शामिल हों या एनपीएस में बने रहें। 

बतौर श्रीकुमार, यूपीएस कुछ नहीं है, बल्कि एनपीएस का विस्तार है। राज्य सरकार के कर्मचारी संगठनों ने भी यूपीएस को खारिज कर दिया है। कई राज्यों में रैलियां और विरोध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। वे यूपीएस को स्वीकार नहीं कर सकते। वजह, यह एक अंशदायी प्रकृति की योजना है। कर्मचारियों की संचित निधि, जिसमें उन्होंने 3 दशकों से अधिक समय तक योगदान दिया है, उसे वापस नहीं लौटाया जाएगा। भले ही पेंशन की पात्रता 25 साल रखी गई है, लेकिन कर्मचारियों को पेंशन 60 साल की उम्र के बाद ही मिलेगी। पुरानी पेंशन योजना में मिलने वाले कई लाभ एनपीएस/यूपीएस में नहीं मिलते हैं। यूपीएस में सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलती। 

नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के अध्यक्ष मंजीत सिंह पटेल ने बताया, 20 वर्ष की नौकरी के बाद 50 प्रतिशत पेंशन का आधार सुनिश्चित बनाया जाए। कर्मचारी अंशदान की ब्याज सहित यानी जीपीएफ की तरह वापसी हो। वीआरएस/अनिवार्य सेवानिवृत्ति/सेवानिवृत्ति पर संपूर्ण राशि की वापसी सुनिश्चित की जाए। पटेल कहते हैं, केंद्र सरकार को ये मांगें माननी ही पड़ेंगी। 17 नवंबर को जंतर-मंतर पर हो रही रैली में देशभर से लाखों कर्मचारी भाग लेंगे। इनमें दिल्ली, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गुजरात, असम, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, तमिलनाडु, चंडीगढ़ और महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेशों के अलावा केंद्रीय कर्मचारियों के संगठन भी शामिल हैं। 

पटेल के अनुसार, हमने पहले भी रणनीतिक रूप से सरकार को कदम दर कदम, एनपीएस पर झुकाया है। केंद्र सरकार को एनपीएस पर पीछे हटना पड़ा है। अब पुरानी पेंशन के मामले में कर्मचारियों की दो महत्वपूर्ण डिमांड बची हैं। पहली है पेंशन की गणना 25 वर्ष के स्थान पर 20 वर्ष हो और दूसरी, कर्मचारी के अंशदान पर जीपीएफ की मान्यता रहे, ताकि वह कर्मियों पूरा वापस मिल जाए। ये दोनों मुद्दे, इस बार 17 नवंबर की रैली के बाद हल हो जाएंगे। पेंशन तो हम हुबहू पुरानी ही लेकर रहेंगे। बस उसका नाम ओपीएस नहीं होगा। बतौर पटेल, नाम तो पहले भी ओपीएस नहीं था। नाम कुछ भी हो सकता है, हमारा फोकस नाम पर नहीं है, बल्कि ओपीएस की आत्मा पर है। कर्मचारियों का सरकार के लिए सुझाव है, नाम चाहे कुछ भी रख लो, लेकिन उन्हें ओपीएस के सभी प्रावधानों का फायदा दे। 

एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने बताया, गांधी जयंती दिवस पर एआईडीईएफ के प्रत्येक सदस्य ने शपथ ली थी कि वे, एक रक्षा नागरिक कर्मचारी, विनाशकारी एनपीएस और यूपीएस अंशदायी पेंशन योजना से मुक्त होने के लिए सभी संघर्षों और आंदोलनों में शामिल होने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वे सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 (अब 2021) के तहत गैर अंशदायी पेंशन प्राप्त करने के लिए सभी ट्रेड यूनियन एक्शन कार्यक्रमों का समर्थन करते हैं और उनमें भाग लेंगे। कर्मचारियों ने प्रतिज्ञा की है कि वे जब तक गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन योजना हासिल नहीं कर लेते, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। सभी सरकारी कर्मचारियों की इस वास्तविक और उचित मांग को वास्तविकता में बदलने के लिए वे सब एक हैं। इस बाबत दूसरे कर्मचारी संगठनों से भी चर्चा हो रही है। पुरानी पेंशन बहाली के लिए आंदोलन को आगे बढ़ाया जा रहा है। 
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed