सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   India News ›   Pahalgam: How did India surround Pakistan, stance of the countries of the world? HM reiterated the commitment

Pahalgam: भारत ने पाकिस्तान को किस तरह घेरा, दुनिया के देशों का क्या है रुख? गृह मंत्री ने दोहराई वचनबद्धता

Shashidhar Pathak शशिधर पाठक
Updated Thu, 01 May 2025 10:20 PM IST
विज्ञापन
सार

भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच दुनिया के अन्य देशों के रुख को अपने पक्ष में करने के लिए भारत लगातार बैठकें कर रहा है। वहीं पाकिस्तानी सेना की तरफ से सीमा पर हलचल बढ़ा दी गई है। उधर अमेरिका भी दोनों देशों के संपर्क में है, जबकि चीन अपनी पुरानी नीति पर चल रहा है।

Pahalgam: How did India surround Pakistan, stance of the countries of the world? HM reiterated the commitment
पीएम मोदी की शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक - फोटो : ANI

विस्तार
Follow Us

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत के हुक्मरान बहुत संभलकर बयान दे रहे हैं। इसके जवाब में पाकिस्तान कश्मीर को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। ट्रंप प्रशासन दोनों देशों के संपर्क में है। ऐसे में एक बड़ा सवाल है कि क्या पाकिस्तान के आतंकी शिविरों पर भारत करारा हमला करेगा?
विज्ञापन
loader
Trending Videos


भारत की क्या है तैयारी?
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का ताजा बयान आया है। उन्होंने आतंकवाद पर भारत की जीरो टॉलरेंस की नीति का हवाला देते हुए आतंकियों के चुन-चुनकर खात्मे की वचनबद्धता दोहराई है। विदेश मंत्री जयशंकर अभी बहुत कूटनीतिक हो चले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम में आतंकी हमले की प्रतिक्रिया में अकल्पनीय और कठोर कार्रवाई का भरोसा दिया है, जबकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अभी लगातार बैठकें कर रहे हैं और सैन्य बलों की तैयारी से अपडेट हो रहे हैं। 
विज्ञापन
विज्ञापन


अब आंतरिक तैयारी की तरफ चलते हैं। सीडीएस जनरल अनिल चौहान बेहतरीन रणनीति के लिए जाने जाते हैं। वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ गजब की केमिस्ट्री बनाते हैं। सेना मुख्यालय के सूत्र बताते हैं कि तीनों सेनाध्याक्षों के अलावा कोस्टगार्ड और सीमा सुरक्षा बल के साथ भी नियमित मीटिंग और संपर्क का सिलसिला तेजी से चल रहा है। सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी और वायुसेनाध्यक्ष एयरचीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह को अपने लक्ष्य का पता है। सबसे दिलचस्प है कि भारत ने स्पष्ट संदेश देने के लिए अपने सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का भी पुर्नगठन कर दिया और पूर्व रॉ प्रमुख आलोक जोशी इसके अध्यक्ष बनाए गए हैं। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी कहा है कि पूरा विपक्ष पहलगाम में आतंकी घटना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है।

पाकिस्तान भी मचा रहा शोर
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने समेत कई कदम उठाए। पाकिस्तान ने भी 1971 में शिमला समझौते से बाहर निकलने का शोर मचाना शुरू कर दिया। यह पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश है। पड़ोसी देश की काफी समय से कोशिश है कि कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय मध्यस्थता करे। अमेरिका जैसे देश आगे आएं, लेकिन 1971 में हुए शिमला समझौते ने उसके हाथ-पांव बांध रखे हैं। भारत ने हमेशा इस समझौते का हवाला देकर किसी भी तीसरे देश की मध्यस्थता से इनकार किया है। पाकिस्तान के हुक्मरान एक बार इसी कोशिश में हैं। इसके तहत उन्होंने भारत से अपने ऊपर बड़े हमले का खतरा बताया है। 

पिछले कुछ दिनों से लगातार चौथी बार मिसाइल परीक्षण का नोटिस दिया है। हालांकि, अभी तक एक भी मिसाइल परीक्षण नहीं किया है। दोनों देशों की नौसेनाएं 85-90 किमी की दूरी पर युद्धाभ्यास की स्थिति में तैनात हैं। सात दिनों से पाकिस्तान लगातार संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन कर रहा है। उसने भी संदेश देते हुए अपने आईएसआई प्रमुख को एनएसए बना दिया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव को चरम पर होने का संदेश देने के लिए पाकिस्तान के गृहमंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री समेत अन्य युद्ध जैसे हालात पैदा होने का माहौल बना रहे हैं। इतना ही नहीं, पाकिस्तान के परमाणु शक्ति संपन्न देश होने का हवाला तक दे रहे हैं। कूटनीति के जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान ने एक बार फिर कुटिल चाल चलना शुरू किया है ताकि पहलगाम आतंकी हमले के बहाने, कश्मीर मुद्दे को दोनों देशों के मध्य चौथे युद्ध जैसी स्थिति खड़ी होने के रूप में प्रचारित किया जा सके।

यह भी पढ़ें - India-Pakistan Tension: भारत की कार्रवाई से खौफ में पाकिस्तान, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से लगाई मदद की गुहार

क्या है तकनीकी पेंच?
पहलगाम की बायसरन घाटी में यह हमला 22 अप्रैल को हुआ। बायसरन घाटी नियंत्रण रेखा से काफी दूर (करीब 200 किमी) और भारतीय भू-भाग में स्थित है। इस हमले के सूत्रधारों में कश्मीर के कुछ बाशिंदे भी शामिल बताए जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान इस हमले में अपना हाथ होने से साफ इनकार कर देता है। वह इसे कश्मीर के स्थानीय लोगों की भारत से नाराजगी और उनकी कश्मीर को भारत से आजाद कराने की उनकी मुहिम से जोड़ता रहा है। उसकी यह कोशिश अभी भी जारी है। 

मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले, पठानकोट एयर बैस पर हमला, उरी में सैन्य शिविर पर हमला या फिर पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला जैसी तमाम स्थितियों में पाकिस्तान हमेशा एकतरफा राग अलापता रहा है। ऐसे हमले के बाद वह जांच में सहयोग करने की दुहाई देने से भी नहीं चूकता। विदेश मामलों के वरिष्ठ पत्रकार रंजीत कुमार कहते हैं कि पाकिस्तान को अपनी भौगोलिक स्थिति, अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक समीकरण और इस तरह के कुतर्कों के सहारे बचने में मदद मिलती रही है। लेकिन कंधार विमान अपहरण के बाद पाकिस्तान की पोल खुल गई थी। इसके बाद मुंबई हमले और बाद के घटनाक्रमों में बोनकाब हुआ था।

क्या है अंतरराष्ट्रीय समीकरण और राष्ट्रपति ट्रंप की मंशा?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में लगातार युद्ध के पक्ष में न होने का संदेश दे रहे हैं। वह रूस और यूक्रेन के बीच में युद्ध रोकने की कोशिश में लगे हैं। बिना परमाणु हथियारों वाले ईरान की कल्पना को साकार करने में लगे हैं। फलस्तीन के गाजा पर इस्राइल को संतुलन बनाने का संदेश दे रहे हैं। हालांकि, कहा जा रहा है कि इसके साथ अमेरिका वहां अपना बेस बनाने की भी तैयारी कर रहा है। इसी तरह से अमेरिका की कोशिश रूस की सहमति से यूक्रेन में भी शांतिपूर्ण तरीके से अपना प्रभाव बनाने की संभावना जताई जा रही है। 

चीन के प्रभुत्व को संतुलित करने के लिए अमेरिका एशिया और खासकर दक्षिण एशिया में अपनी नीति में थोड़ा बदलाव करने का संदेश दे रहा है। अमेरिका ने भारत की आपत्तियों के बूावजूद अभी पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान श्रृंखला और मदद के सिलसिला को बंद नहीं किया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने बयान दिया है कि वह भारत और पाकिस्तान के संपर्क में हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने अमेरिकी समकक्ष से बात की है। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार से बात की है। इससे यही संदेश है कि अमेरिका का दबाव बढ़ रहा है।

अमेरिका के अलावा भारत का विश्वसनीय सामरिक साझीदार देश रूस है। रूस इस समय यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझा है। पिछले कई महीनों से रूस काफी गुणा-भाग करके अंतरराष्ट्रीय मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। उसने भारत के पहलगाम में आतंकी हमले की निंदा की है, लेकिन इसके आगे के बारे में कुछ स्पष्ट कहना मुश्किल है। यही स्थिति इस्राइल की भी है। भारत का पड़ोसी देश चीन इस मामले में अपनी पुरानी लाइन पर चल रहा है। चीन की रणनीति भारत और पाकिस्तान के मामले में इस्लामाबाद का सहयोग करते हुए शैडो बॉक्सिंग की रहती है।

क्या भिड़ेंगे दोनों देश?
भारत की सैन्य ताकत के मुकाबले पाकिस्तान की क्षमता काफी कम है। उसके पास हवाई हमले से बचने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली का अभाव है। एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं है और पनडुब्बी, डिस्ट्रायर, युद्धपोत की क्षमता में भी कमजोर है। भारत के पास किसी भी देश के सैन्य संतुलन को बिगाड़ देने वाली सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल है, लेकिन दोनों देश परमाणु हथियार से संपन्न हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच में तनाव की दशा में पाकिस्तान हमेशा इन हथियारों के इस्तेमाल की धमकी देता है। पाकिस्तान की परमाणु डॉक्टरिन में परमाणु हथियार को पहले उपयोग करने की नीति स्पष्ट है, जबकि भारत ने अपनी डॉक्टरिन में पहले उपयोग न करने की प्रतिबद्धता दोहराई है। 

चीन परोक्ष रूप से और आवश्यकतानुसार अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान का साथ देता है। उपरोक्त को केन्द्र में रखकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों देशों पर तनाव कम करने और युद्ध जैसी स्थिति से बचने का दबाव बनाता है। दोनों देशों ने कारगिल घुसपैठ के दौरान भी युद्ध की स्थिति से बचने की कोशिश की थी। संसद पर आतंकी हमले के भारत ने ऑपरेशन पराक्रम शुरू किया, लेकिन युद्ध की स्थिति नहीं आई। 2008 और 2016 या इसके बाद भी दोनों देश युद्ध, टकराव से बचे। ऐसे में दोनों देशों में सैन्य संघर्ष अथवा युद्ध जैसी स्थिति की कोई संभावना नहीं है।

यह भी पढ़ें - India-Pakistan Tension: दहशत में पड़ोसी, भारत से सटी सीमाओं पर पाकिस्तानी सैनिकों के साथ चीन से मिले तोप तैनात

...तो क्या भारत पड़ोसी देश पाकिस्तान के आतंकी शिविरों पर हमला करेगा?
यह संभव है। भारतीय सैन्य बलों ने नियंत्रण रेखा को पार करके पाक अधिकृत कश्मीर में घोषित तौर पर दो सर्जिकल स्ट्राइक करके आतंकी शिविरों को नष्ट किया है। भारत पिछले कुछ दशक से अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का मुखर विरोधी रहा है और आतंकवाद विरोधी लॉबी का महत्वपूर्ण सदस्य है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी भारत लगातार आतंकवाद को नासूर बनाकर इससे पीड़ित होने का अपना दर्द साझा करता है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान अपनी धरती से आतंकवाद को शह देकर भारत के विरुद्ध प्रायोजित करता है। आतंकवाद के सरगना को पाकिस्तान में वहां की सरकार संरक्षण देती है। प्रमाण सहित दस्तावेजों के आधार पर भारत ने पाकिस्तान को न केवल अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेरा है, बल्कि उसे मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय सहायता को रोकने की अपील भी की है। 

इसमें भारत को बड़ी सफलता भी मिली है। ऐसे में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आतंकवाद और आतंकवादियों के विरुद्ध बयान को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आंतरिक सुरक्षा मामलों के मंत्री के नाते अमित शाह ने आक्रामक लहजे और बड़े ही कूटनीतिक तरीके से आतंकवादियों को सख्त सबक सिखाने की बात कही है। इस तरह से भारत एक ठोस रणनीति के साथ मई तीसरे सप्ताह तक आतंकवाद के विरुद्ध सख्त कदम उठा सकता है।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed