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Parliament: संसद से निरसन एवं संशोधन विधेयक 2025 पारित, राज्यसभा में ध्वनि मत से मिली मंजूरी; पढ़ें सब कुछ

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Wed, 17 Dec 2025 06:03 PM IST
सार

सरकार का कहना है कि यह कदम पुराने, बेकार और जटिल कानूनों से राहत देगा और आम लोगों के लिए व्यवस्था को सरल बनाएगा। वहीं विपक्ष का मानना है कि कानूनों के असर की जमीनी जांच जरूरी है। फिलहाल, यह विधेयक देश के कानूनी ढांचे को आधुनिक और सरल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

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Parliament passes Repealing and Amending Bill to repeal, amend 71 obsolete and outdated laws
New Parliament Building - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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संसद ने बुधवार को 71 पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को रद्द (निरस्त) या संशोधित करने वाला विधेयक पारित कर दिया। इसका मकसद आम नागरिकों की जीवन को आसान बनाना और कानूनी प्रक्रिया को सरल करना है। यह निरसन एवं संशोधन विधेयक 2025 पहले लोकसभा में पारित हुआ था और बुधवार को राज्यसभा में ध्वनि मत से मंजूरी मिल गई। इससे पहले इसे लोकसभा ने मंजूरी दी थी।
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क्या बोले कानून मंत्री?
विधेयक पेश करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सरकार का लक्ष्य सिर्फ व्यापार करने में आसानी ही नहीं, बल्कि जीवन जीने में आसानी यानी आम लोगों का जीवन आसान बनाना भी है। उन्होंने बताया कि समय के साथ जो कानून बेकार हो चुके हैं या जिनमें त्रुटियां हैं, उन्हें हटाना जरूरी है।

उन्होंने भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 का उदाहरण देते हुए कहा कि पहले कुछ धर्मों के लोगों को वसीयत के लिए अदालत से सत्यापन कराना पड़ता था, जबकि मुसलमानों पर यह नियम लागू नहीं था। मेघवाल ने कहा, 'संविधान धर्म, जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं देता। यह सरकार संविधान के अनुसार काम करती है।' उन्होंने इन सुधारों को औपनिवेशिक सोच से मुक्ति की दिशा में कदम बताया।

विधेयक पर विपक्ष की राय
कांग्रेस सांसद विवेक के. तन्खा ने सरकार के दावे से असहमति जताई। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ कागजी कार्रवाई है और जमीन पर इसके असर का सही आकलन नहीं किया गया।

किन कानूनों को हटाया या बदला जाएगा?
इस विधेयक के तहत 71 पुराने कानूनों को पूरी तरह रद्दकिया जाएगा। इनमें भारतीय ट्रामवे अधिनियम, 1886; लेवी चीनी मूल्य समतुल्यकरण निधि अधिनियम, 1976; बीपीसीएल कर्मचारियों की सेवा शर्तों से जुड़ा अधिनियम, 1988 शामिल है। इसके अलावा चार कानूनों में संशोधन किया जाएगा, जिनमें सामान्य खंड अधिनियम, 1897; सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 (डाक और रजिस्टर्ड पोस्ट से जुड़े शब्दों को अपडेट करने के लिए); भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 (कुछ मामलों में वसीयत के लिए कोर्ट सत्यापन की अनिवार्यता खत्म); आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (ड्राफ्टिंग की गलती सुधारने के लिए) शामिल है।

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2014 से अब तक क्या हुआ?
कानून मंत्री ने बताया कि 2014 के बाद से अब तक 1,577 पुराने कानूनों पर कार्रवाई की गई है। 1,562 कानून पूरी तरह रद्दकिए गए और 15 कानूनों को नए रूप में दोबारा लागू किया गया।

अन्य सांसदों की भागीदारी
इस चर्चा में भाजपा, कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, वाईएसआरसीपी, बीजेडी, एआईएडीएमके, सीपीआई(एम), आईयूएमएल, बसपा, आप और अन्य दलों के सांसदों ने हिस्सा लिया। कुछ सांसदों ने इसे जनता के लिए राहत बताया, तो कुछ ने नागरिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिहाज से और गहराई से समीक्षा की जरूरत पर जोर दिया।

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