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Lok Sabha: PM मोदी बोले- 'गरीबी हटाओ' कांग्रेस का सबसे पसंदीदा जुमला; जिनको कोई नहीं पूछता, उनको मोदी पूजता है
न्यूज डेस्क, अमर उजाला
Published by: पवन पांडेय
Updated Sat, 14 Dec 2024 06:20 PM IST
सार
PM Modi in LS: पीएम मोदी ने लोकसभा में संविधान के 75 वर्ष पूरे होने की गौरवशाली यात्रा की चर्चा में हिस्सा लिया। इस दौरान पीएम मोदी ने देश के महापुरुषों के वक्तव्यों के साथ-साथ संविधान की 25वीं बरसी पर लगाए गए आपातकाल का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा- इस देश की प्रगति विविधता में एकता जश्न मनाने में रही है।
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लोकसभा में पीएम मोदी का भाषण
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में भारतीय संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर बहस में हिस्सा लिया। इस दौरान पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत में तीन महापुरुषों के वक्तव्यों का जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा- भारत का लोकतंत्र और अतीत बहुत ही समृद्ध रहा है। विश्व के लिए बहुत प्रेरक रहा है। इसीलिए भारत आज मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में जाना जाता है। मैं तीन महापुरुषों के कोट इस सदन के सामने पेश करना चाहता हूं। राजर्षि टंडन जी, उन्होंने कहा था कि सदियों के बाद हमारे देश में एक बार फिर ऐसी बैठक बुलाई गई है। यह हमारे मन में हमारे गौरवशाली अतीत की याद दिलाती है। जब हम स्वतंत्र हुआ करते थे, जब सभाएं आयोजित की जाती थीं, जब विद्वान लोग चर्चा के लिए मिला करते थे।
राधाकृष्णन और बाबासाहेब के वक्तव्य का जिक्र
पीएम मोदी ने अपने भाषण में आगे कहा कि, मैं दूसरा कोट पढ़ रहा हूं राधाकृष्णन जी का, उन्होंने कहा था कि इस देश के लिए गमतांत्रिक व्यवस्था नई नहीं है। यह इतिहास की शुरुआत से ही है। पीएम ने कहा- तीसरा कोट मैं बाबासाहेब आंबेडकर का कह रहा हूं ऐसा नहीं है कि भारत के लोगों को पता नहीं है कि लोकतंत्र कैसा होता है। एक समय था जब भारत में कई गणतंत्र हुआ करते थे।
'हमारा संविधान भी भारत की एकता का आधार'
पीएम मोदी ने आगे कहा कि- हमारा संविधान भी भारत की एकता का आधार है। हमारे संविधान के निर्माण में इस देश के बड़े दिग्गज रहे हैं। समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व था। सभी भारत की एकता के लिए बहुत संवेदनशील थे। बाबासाहेब आंबेडकर जी ने चेताया था कि समस्या यह है कि देश में जो विविधता से भरा जनमानस है, उसे किस तरह एकमत किया जाए। कैसे देश के लोगों को एक साथ होकर निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया जाए, जिससे देश में एकता की भावना पैदा हो। मुझे बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आजादी के बाद विकृत मानसिकता के कारण अगर सबसे बड़ा प्रहार हुआ है तो वह संविधान के मूलभाव पर प्रहार हुआ है। इस देश की प्रगति विविधता में एकता जश्न मनाने में रही है।
लेकिन गुलामी की मानसिकता में पैदा हुए लोग, जिनके लिए हिंदुस्तान 1947 में ही पैदा हुआ, वह विविधता में एकता को जश्न मनाने के बजाय, उसमें इस तरह जहर बोते रहे कि उससे चोट पहुंचे।
हमने देश में एकता का भाव मजबूत किया- पीएम
पीएम मोदी ने कहा- मैं संविधान के प्रकाश में इन बातों को रख रहा था। पिछले 10 साल देश की जनता ने हमें जो बहुमत दिया है, उसमें हमने देश में एकता का भाव मजबूत किया है। जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 देश की एकता में रोड़ा बन रहा था। हमने अनुच्छेद 370 को हटा दिया। वन नेशन-वन टैक्स यानी जीएसटी, वन नेशन-वन राशन कार्ड हमने लागू किया। आज देश का कोई व्यक्ति अगर कहीं बीमार हो गया तो उसके पास देश में आयुष्मान कार्ड है। हमने वन नेशन-वन इलेक्ट्रिक ग्रिड के सपने को पूरा कर दिया। आज बिजली को देश के किसी भी जगह से कहीं भी दिया जा सकता है।
'संविधान की 25 और 50 बरसीं पर क्या हुआ?'
अपने भाषण में पीएम मोदी संविधान के 25 और 50वीं बरसीं का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा- संविधान के जब 25 साल थे, तब हमारे देश में इमरजेंसी लाई गई। नागरिकों के अधिकारों को लूट लिया गया। प्रेस की स्वतंत्रता को ताले लगा दिए गए। कांग्रेस के माथे पर ये जो पाप है न, यह धुलने वाला नहीं है। लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया था। और संविधान के जब 50 साल हुए तब क्या संविधान को भुला दिया गया था। तब अटल जी की सरकार थी। जब देश संविधान का 50 वर्ष मना रहा था। तब यह मेरा भी सौभाग्य था कि मुझे संवैधानिक प्रक्रिया से मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल गया था। तब मैंने तय किया था मुख्यमंत्री के नाते कि हम संविधान के 60 साल मनाएंगे।
पीएम ने कहा- जब मैंने संविधान दिवस मनाने के लिए कहा था, तब एक नेता ने कहा था कि 26 जनवरी तो है, संविधान दिवस की क्या जरूरत। इसी सदन की बात है। अच्छा होता कि संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर लोग संविधान की चर्चा करते, लेकिन यहां कुछ और ही बात हुई।
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राधाकृष्णन और बाबासाहेब के वक्तव्य का जिक्र
पीएम मोदी ने अपने भाषण में आगे कहा कि, मैं दूसरा कोट पढ़ रहा हूं राधाकृष्णन जी का, उन्होंने कहा था कि इस देश के लिए गमतांत्रिक व्यवस्था नई नहीं है। यह इतिहास की शुरुआत से ही है। पीएम ने कहा- तीसरा कोट मैं बाबासाहेब आंबेडकर का कह रहा हूं ऐसा नहीं है कि भारत के लोगों को पता नहीं है कि लोकतंत्र कैसा होता है। एक समय था जब भारत में कई गणतंत्र हुआ करते थे।
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'हमारा संविधान भी भारत की एकता का आधार'
पीएम मोदी ने आगे कहा कि- हमारा संविधान भी भारत की एकता का आधार है। हमारे संविधान के निर्माण में इस देश के बड़े दिग्गज रहे हैं। समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व था। सभी भारत की एकता के लिए बहुत संवेदनशील थे। बाबासाहेब आंबेडकर जी ने चेताया था कि समस्या यह है कि देश में जो विविधता से भरा जनमानस है, उसे किस तरह एकमत किया जाए। कैसे देश के लोगों को एक साथ होकर निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया जाए, जिससे देश में एकता की भावना पैदा हो। मुझे बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आजादी के बाद विकृत मानसिकता के कारण अगर सबसे बड़ा प्रहार हुआ है तो वह संविधान के मूलभाव पर प्रहार हुआ है। इस देश की प्रगति विविधता में एकता जश्न मनाने में रही है।
लेकिन गुलामी की मानसिकता में पैदा हुए लोग, जिनके लिए हिंदुस्तान 1947 में ही पैदा हुआ, वह विविधता में एकता को जश्न मनाने के बजाय, उसमें इस तरह जहर बोते रहे कि उससे चोट पहुंचे।
हमने देश में एकता का भाव मजबूत किया- पीएम
पीएम मोदी ने कहा- मैं संविधान के प्रकाश में इन बातों को रख रहा था। पिछले 10 साल देश की जनता ने हमें जो बहुमत दिया है, उसमें हमने देश में एकता का भाव मजबूत किया है। जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 देश की एकता में रोड़ा बन रहा था। हमने अनुच्छेद 370 को हटा दिया। वन नेशन-वन टैक्स यानी जीएसटी, वन नेशन-वन राशन कार्ड हमने लागू किया। आज देश का कोई व्यक्ति अगर कहीं बीमार हो गया तो उसके पास देश में आयुष्मान कार्ड है। हमने वन नेशन-वन इलेक्ट्रिक ग्रिड के सपने को पूरा कर दिया। आज बिजली को देश के किसी भी जगह से कहीं भी दिया जा सकता है।
'संविधान की 25 और 50 बरसीं पर क्या हुआ?'
अपने भाषण में पीएम मोदी संविधान के 25 और 50वीं बरसीं का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा- संविधान के जब 25 साल थे, तब हमारे देश में इमरजेंसी लाई गई। नागरिकों के अधिकारों को लूट लिया गया। प्रेस की स्वतंत्रता को ताले लगा दिए गए। कांग्रेस के माथे पर ये जो पाप है न, यह धुलने वाला नहीं है। लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया था। और संविधान के जब 50 साल हुए तब क्या संविधान को भुला दिया गया था। तब अटल जी की सरकार थी। जब देश संविधान का 50 वर्ष मना रहा था। तब यह मेरा भी सौभाग्य था कि मुझे संवैधानिक प्रक्रिया से मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल गया था। तब मैंने तय किया था मुख्यमंत्री के नाते कि हम संविधान के 60 साल मनाएंगे।
पीएम ने कहा- जब मैंने संविधान दिवस मनाने के लिए कहा था, तब एक नेता ने कहा था कि 26 जनवरी तो है, संविधान दिवस की क्या जरूरत। इसी सदन की बात है। अच्छा होता कि संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर लोग संविधान की चर्चा करते, लेकिन यहां कुछ और ही बात हुई।
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