PM Modi US Visit: अमेरिका ने मोदी के लिए इसलिए बिछाया रेड कारपेट, इन दो अहम समझौतों के लिए यूएस बना रहा माहौल
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विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चार दिन की अमेरिका यात्रा के लिए बाइडन सरकार ने यूं ही नहीं रेड कारपेट बिछाया है। बाइडन सरकार को इस बात का पूरा अंदाजा है कि प्रधानमंत्री मोदी की एक हां भर से अमेरिका की लड़खड़ाती हुए अर्थव्यवस्था में न सिर्फ जबरदस्त उछाल आएगा। बल्कि अगले कई सालों के लिए अमेरिका को बड़ी आर्थिक बूस्टर डोज भी मिल जाएगी। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी की पहली राजकीय यात्रा को लेकर अमेरिकी सरकार में काफी उत्साह बना हुआ है। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से पहले देश के दो नेताओं को अमेरिका ने राजकीय यात्रा के लिए आमंत्रित किया था। दोनों यात्राओं के बाद अमेरिका ने भौगोलिक और आर्थिक स्थिति में मजबूत डील भी की थी। इसलिए अनुमान यही लगाया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की राजकीय यात्रा के बाद इंडो-यूएस की कुछ प्रमुख डील के साथ भारत और अमेरिका एक नए रिश्तों की राह पर आगे बढ़ेंगे। फिलहाल 21 जून से शुरू होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस अमेरिकी राजकीय यात्रा को लेकर दुनिया के कई ताकतवर देशों की निगाहें लगी हुई हैं।
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भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था में निवेश चाहता है अमेरिका
विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी राजकीय यात्रा कई मामलों में बड़ी अहम होने वाली है। दुनिया के अलग-अलग देशों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाने वाले भारतीय विदेश सेवा के रिटायर्ड अधिकारी अमरेंद्र कठुआ कहते हैं कि अमेरिका को इस बात का अंदाजा है कि पूरी दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से आगे बढ़ रही है। अमेरिका ऐसे ही कई मुद्दों पर भारत के लिए रेड कारपेट बिछा कर इंतजार कर रहा है। सेंटर फॉर वर्ल्ड इकनॉमिक डाटा एंड एनालिसिस के डायरेक्टर अनुज पुरवार कहते हैं कि जिस तरीके से दुनिया की अलग-अलग टॉप रैंकिंग एजेंसियों की ओर से दुनिया के प्रमुख मुल्कों की अर्थव्यवस्थाओं की रैंकिंग की जा रही है, उसमें अमेरिका बहुत से मामलों में पिछड़ता हुआ नजर आ रहा है। वह कहते हैं कि अगले कुछ दशकों में जिस तरीके से भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था के तौर पर देखा जा रहा है, ठीक उसी तर्ज पर अमेरिका को तेजी से गिरती हुई अर्थव्यवस्था के तौर पर आंका जा रहा है। यही वजह है कि अमेरिका सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था वाले देश भारत के लिए रेड कारपेट बिछा कर पीएम मोदी का इंतजार कर रहा है।
यह दो रक्षा डील हैं महत्वपूर्ण
दरअसल मोदी के लिए अमेरिका ने जो रेड कारपेट वेलकम करने की तैयारी की है, उसके पीछे कई अहम डील मानी जा रही हैं। विदेशी मामलों के जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी की राजकीय यात्रा के दौरान बहुत से मुद्दों के बीच में दो बड़े रक्षा समझौते भी हो सकते हैं। इसमें पहला और अहम समझौता जीई 414 के फाइटर जेट इंजन को भारत ने बनाए जाने को लेकर है। इसमें अमेरिकी कंपनी और भारत की एचएएल के साथ मिलकर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ यहां इंजन बनाए जाने का काम शुरू होगा। जबकि दूसरा अहम समझौता अमेरिकी ड्रोन को लेकर है। रक्षा मामलों से जुड़े विश्लेषकों के मुताबिक भारत, अमेरिका के साथ तकरीबन तीन अरब डॉलर के एमक्यू 9 ड्रोन खरीद का समझौता करने वाला है। रक्षा मामलों से जुड़े विशेषज्ञ सुबोध सब्बरवाल कहते हैं कि ड्रोन खरीद समझौता अगर होता है, तो अमेरिका की भारत के साथ बारह साल बाद सबसे बड़ी डील मानी जाएगी। इससे पहले 2011 में भारत में अमेरिका से सी-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट खरीदने के लिए 4 अरब डॉलर का रक्षा समझौता किया था।
इसलिए भारत पर दांव लगा रहा अमेरिका
पुरवार कहते हैं कि अलग-अलग एजेंसियों की आई रैंकिंग के मुताबिक इस साल के अंत तक पूरे विश्व की जीडीपी ग्रोथ 3.12 फीसदी से कम रहने वाली है। उसमें अमेरिका की अपनी ग्रोथ 1.37 फीसदी के पास रहने का अनुमान है। जो पूरे विश्व की जीडीपी ग्रोथ का आधा भी नहीं है। ऐसे में अमेरिका के लिए आर्थिक स्तर पर विश्व में अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए बड़ी चुनौतियां सामने आने वाली हैं। सेंटर फॉर वर्ल्ड इकोनॉमिक डाटा एंड एनालिसिस के आकलन के मुताबिक भारत जब अपनी आजादी का सौवां वर्ष मना रहा होगा, तो उसकी जीडीपी ग्रोथ यूरोपियन यूनियन से ज्यादा होगी। यही नहीं इकोनॉमिक डाटा एनालिसिस करने वाली दुनिया की तमाम एजेंसियों के मुताबिक अगले 50 सालों में भारत, अमेरिका की जीडीपी ग्रोथ को पीछे छोड़कर विश्व की बड़ी आर्थिक शक्ति बन चुका होगा। अनुज कहते हैं कि भारत की इसी संभावना को देखते हुए अमेरिका समेत दुनिया के तमाम मुल्क दांव लगाकर न सिर्फ व्यापार की बात करते हैं, बल्कि यहां इन्वेस्टमेंट की भी बात कर रहे हैं।
सेमीकंडक्टर्स और टेक्नोलॉजी के किए जाएंगे करार
प्रधानमंत्री मोदी की पहली अमेरिका की राजकीय यात्रा में सिर्फ रक्षा समझौते ही नहीं, बल्कि तकनीकी क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण करार किए जाने की तैयारियां चल रहीं हैं। जानकारी के मुताबिक इनीशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी के चलते भारत और अमेरिका के बीच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर्स, हाई परफारमेंस कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी समेत क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे कुछ अहम क्षेत्रों में आपसी करार किए जा सकते हैं। अमेरिका स्थित शिकागो स्थित इंडो यूएस ग्लोबल कम्प्यूटिंग मास्टर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर कंवलजीत सिंह कहते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेमीकंडक्टर्स समय टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में किए जाने वाले समझौते से भारत और अमेरिका के बीच न सिर्फ रिश्ते बेहतर होंगे, बल्कि दोनों देशों के युवाओं को इस फील्ड में काम करने का बेहतर मौका भी मिलेगा और बड़ा प्लेटफार्म भी उपलब्ध होगा।
प्रधानमंत्री मोदी से पहले इन दो नेताओं की हुई राजकीय यात्रा
प्रधानमंत्री मोदी की इस राजकीय यात्रा से पहले देश के दो बड़े नेताओं की भी अमेरिका की राजकीय यात्रा हो चुकी है। देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन और प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से न्योता भेजकर अमेरिका का राजकीय मेहमान बनाया गया और यात्रा हुई। विदेशी मामलों के जानकार और भारतीय विदेश सेवा से रिटायर्ड डॉक्टर पी. शिव नायर कहते हैं कि 60 साल पहले 1963 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन अमेरिका की राजकीय यात्रा पर गए थे। उसके बाद 2009 में कांग्रेस की सरकार में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी राजकीय यात्रा पर यूएस पहुंचे थे। डॉक्टर नायर कहते हैं कि डॉक्टर मनमोहन सिंह की इस यात्रा के दौरान अमेरिका के बीच बड़ी न्यूक्लियर डील साइन हुई थी। वह कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के पीएम बनने के बाद इस यात्रा से पहले छह बार अमेरिका जा चुके हैं, लेकिन पहली राजकीय यात्रा के दौरान समूचा विश्व टकटकी लगाकर देख रहा है।