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Make in India: पीएम मोदी की अपील 'विदेशी सामानों के उपयोग से परहेज', 'कैट' ने की सिंगल विंडो सिस्टम की मांग
डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: राहुल कुमार
Updated Wed, 28 May 2025 05:07 PM IST
सार
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, सिंगल विंडो व्यवस्था के अलावा व्यापारियों पर दूसरे कानूनों एवं नियमों के पालन का बोझ भी कम से कम हो। इसके साथ ही आम उपयोग में आने वाली वस्तुएं, जो विदेश से आती हैं, उन पर ड्यूटी का अधिभार ज्यादा हो।
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पीएम मोदी
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
भाजपा सांसद और कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेशी उत्पादों से परहेज करने की अपील का समर्थन करते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री की यह अपील, केवल अर्थव्यवस्था से जुड़ी नहीं है, बल्कि यह आत्म-सम्मान, आर्थिक स्वतंत्रता और हमारे देश के स्थानीय उत्पादकों व व्यापारियों के सशक्तिकरण का आह्वान है। यह 'आत्मनिर्भर भारत' के प्रति उनके अटूट संकल्प को दर्शाती है। एक ऐसा भारत, जहां देशवासी स्वयं के बनाए उत्पादों का निर्माण, उपभोग और निर्यात करें। खंडेलवाल ने कहा, पीएम मोदी की अपील को कारगर बनाने के लिए जरूरी है कि व्यापारियों एवं निर्माताओं को 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' विजन के अंतर्गत सिंगल विंडो व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए, जिससे उनकी विभिन्न विभागों से संबंधित समस्याएं, एक ही स्थान पर हल हो जाएं।
खंडेलवाल ने कहा, सिंगल विंडो व्यवस्था के अलावा व्यापारियों पर दूसरे कानूनों एवं नियमों के पालन का बोझ भी कम से कम हो। इसके साथ ही आम उपयोग में आने वाली वस्तुएं, जो विदेश से आती हैं, उन पर ड्यूटी का अधिभार ज्यादा हो। इससे उनका आयात कम हो और भारतीय सामान का निर्माण एवं उपयोग अधिक हो। खंडेलवाल ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की अपील का मूल भाव यह है कि भारतीय उत्पादों के ही उपयोग की श्रृंखला को शुरू करने के लिए हम कम से कम रोजमर्रा की जरूरतों के लिए स्वदेशी उत्पादों का ही उपयोग करें। इससे एक सशक्त कदम आगे बढ़ सकेगा। अभी कुछ वस्तुओं के निर्माण के लिए हमें विदेशी निर्यात पर निर्भर रहना पड़ता है, ऐसी वस्तुओं के स्वदेशी निर्माण के लिए आवश्यक कदम उठाये जाएं। उन्होंने यह भी कहा की ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा विदेशी सामान बेचा जा रहा है, उन पर भी कड़ाई से लगाम कसी जाए।
खंडेलवाल ने कहा कि यह अपील छोटे व्यापारियों, लघु उद्योग और विनिर्माताओं की भावना से पूरी तरह मेल खाती है, जो वास्तव में भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। हर विदेशी उत्पाद, जिसे हम देशी विकल्प से बदलते हैं, वह हमारे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है, रोजगार पैदा करता है और आयात पर हमारी निर्भरता को कम करता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मौजूदा वैश्विक परिप्रेक्ष्य में, जब आपूर्ति श्रृंखलाएं बदल रही हैं और देश विश्वसनीय साझेदारों की तलाश में हैं, भारत को इस अवसर का लाभ उठाते हुए वैश्विक विनिर्माण और सेवा केंद्र बनने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। यह कार्य हमारे उद्यमियों के नेतृत्व में होना चाहिए। हमें अब 'स्वदेशी' को केवल भावना नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आर्थिक रणनीति बनाना होगा। खंडेलवाल ने उपभोक्ताओं से आह्वान किया कि वे सोच-समझकर खरीदारी करें। दैनिक आवश्यकताओं, इलेक्ट्रॉनिक्स, परिधान, खिलौने, फर्नीचर से लेकर डिजिटल सेवाओं तक, हर क्षेत्र में भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता दें। इतना ही नहीं, उन्होंने ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म्स, रिटेलर्स और कॉर्पोरेट्स से आग्रह किया कि वे भी अपने प्लेटफ़ॉर्म और दुकानों पर भारतीय उत्पादों को प्रमुखता दें।
खंडेलवाल ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी की यह अपील केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक आर्थिक दिशा है। यदि घरेलू मांग विदेशी उत्पादों से हटकर भारतीय उत्पादों की ओर मुड़ती है, तो एमएसएमई और स्थानीय विनिर्माताओं को बड़ा लाभ मिलेगा। अब समय आ गया है कि भारतीय उपभोक्ता 'वोकल फॉर लोकल' के ब्रांड एंबेसडर बनें। सरकार को भी नीति समर्थन, सरकारी खरीद में प्राथमिकता और प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि देश में उत्पादन को बढ़ावा मिले। 'यह एक निर्णायक क्षण है। यदि हर भारतीय यह संकल्प ले कि वह केवल भारतीय उत्पाद ही खरीदेगा, तो हम जमीनी स्तर से एक नई आर्थिक क्रांति की पटकथा लिख सकते हैं।'
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खंडेलवाल ने कहा, सिंगल विंडो व्यवस्था के अलावा व्यापारियों पर दूसरे कानूनों एवं नियमों के पालन का बोझ भी कम से कम हो। इसके साथ ही आम उपयोग में आने वाली वस्तुएं, जो विदेश से आती हैं, उन पर ड्यूटी का अधिभार ज्यादा हो। इससे उनका आयात कम हो और भारतीय सामान का निर्माण एवं उपयोग अधिक हो। खंडेलवाल ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की अपील का मूल भाव यह है कि भारतीय उत्पादों के ही उपयोग की श्रृंखला को शुरू करने के लिए हम कम से कम रोजमर्रा की जरूरतों के लिए स्वदेशी उत्पादों का ही उपयोग करें। इससे एक सशक्त कदम आगे बढ़ सकेगा। अभी कुछ वस्तुओं के निर्माण के लिए हमें विदेशी निर्यात पर निर्भर रहना पड़ता है, ऐसी वस्तुओं के स्वदेशी निर्माण के लिए आवश्यक कदम उठाये जाएं। उन्होंने यह भी कहा की ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा विदेशी सामान बेचा जा रहा है, उन पर भी कड़ाई से लगाम कसी जाए।
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खंडेलवाल ने कहा कि यह अपील छोटे व्यापारियों, लघु उद्योग और विनिर्माताओं की भावना से पूरी तरह मेल खाती है, जो वास्तव में भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। हर विदेशी उत्पाद, जिसे हम देशी विकल्प से बदलते हैं, वह हमारे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है, रोजगार पैदा करता है और आयात पर हमारी निर्भरता को कम करता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मौजूदा वैश्विक परिप्रेक्ष्य में, जब आपूर्ति श्रृंखलाएं बदल रही हैं और देश विश्वसनीय साझेदारों की तलाश में हैं, भारत को इस अवसर का लाभ उठाते हुए वैश्विक विनिर्माण और सेवा केंद्र बनने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। यह कार्य हमारे उद्यमियों के नेतृत्व में होना चाहिए। हमें अब 'स्वदेशी' को केवल भावना नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आर्थिक रणनीति बनाना होगा। खंडेलवाल ने उपभोक्ताओं से आह्वान किया कि वे सोच-समझकर खरीदारी करें। दैनिक आवश्यकताओं, इलेक्ट्रॉनिक्स, परिधान, खिलौने, फर्नीचर से लेकर डिजिटल सेवाओं तक, हर क्षेत्र में भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता दें। इतना ही नहीं, उन्होंने ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म्स, रिटेलर्स और कॉर्पोरेट्स से आग्रह किया कि वे भी अपने प्लेटफ़ॉर्म और दुकानों पर भारतीय उत्पादों को प्रमुखता दें।
खंडेलवाल ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी की यह अपील केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक आर्थिक दिशा है। यदि घरेलू मांग विदेशी उत्पादों से हटकर भारतीय उत्पादों की ओर मुड़ती है, तो एमएसएमई और स्थानीय विनिर्माताओं को बड़ा लाभ मिलेगा। अब समय आ गया है कि भारतीय उपभोक्ता 'वोकल फॉर लोकल' के ब्रांड एंबेसडर बनें। सरकार को भी नीति समर्थन, सरकारी खरीद में प्राथमिकता और प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि देश में उत्पादन को बढ़ावा मिले। 'यह एक निर्णायक क्षण है। यदि हर भारतीय यह संकल्प ले कि वह केवल भारतीय उत्पाद ही खरीदेगा, तो हम जमीनी स्तर से एक नई आर्थिक क्रांति की पटकथा लिख सकते हैं।'