Captain Brijesh Thapa: सेना दिवस के दिन हुआ जन्म, अब देश के लिए हुए बलिदान; मां-पिता बोले- बृजेश पर गर्व है
बलिदानी कैप्टन बृजेश थापा के माता-पिता का कहना है कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। कैप्टन बृजेश थापा का जन्म 15 जनवरी को सेना दिवस के दिन हुआ था। बलिदानी सैन्य अधिकारी के पिता भी सेना में अफसर रह चुके हैं।
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जम्मू-कश्मीर के डोडा जिला मुख्यालय से करीब तीस किलोमीटर दूर जंगल और ऊंचे पहाड़ों से घिरे इलाके देसा में सोमवार शाम साढ़े सात बजे के करीब भारतीय सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हो गई। जाबांज सैनिक पूरी बहादुरी के साथ आतंकियों की गोलियों का मुंहतोड़ जवाब दे रहे थे। इसी बीच सेना के कैप्टन बृजेश थापा, जवान नायक डी राजेश, सिपाही बिजेंद्र और अजय सिंह घायल हो गए। उन्हें इलाज के लिए तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका और सभी वीरगति को प्राप्त हो गए।
माता-पिता को अपने बेटे पर गर्व
बलिदानी कैप्टन बृजेश थापा के माता-पिता का कहना है कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। कैप्टन बृजेश थापा का जन्म 15 जनवरी को सेना दिवस के दिन हुआ था। बलिदानी सैन्य अधिकारी के पिता भी सेना में अफसर रह चुके हैं। कर्नल भुवनेश थापा (सेवानिवृत्त) ने बताया कि उनके पुत्र बृजेश थापा उनके परिवार की तीसरी पीढ़ी के सैन्य अधिकारी थे। बृजेश थापा बचपन से ही अपने पिता से प्रेरित थे और सेना में जाना चाहते थे। भुवनेश थापा ने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। बलिदानी कैप्टन के परिजन दार्जिलिंग के लेबोंग में रहत हैं। भुवनेश थापा ने कहा कि यह एक सैन्य अभियान था और ऐसे अभियानों में हमेशा खतरा बना रहता है। उन्होंने आगे कहा कि चाहे कैसा भी खतरा हो, सैन्य कर्मियों को गंभीरता से इनसे निपटना पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘मेरे बेटे ने अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा और गंभीरता से निभाया।’
मां निलिमा के आंसू नहीं थम रहे
उधर कैप्टन बृजेश थापा की मां निलिमा थापा के आंसू नहीं थम रहे। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने बेटे के बलिदान पर गर्व है और उन्होंने देश के लिए बहुत कुछ किया। हालांकि निलिमा थापा ने यह भी कहा कि यह उनके परिवार के लिए बड़ी क्षति है और इस वजह से वे दुखी हैं। उन्होंने कहा,‘कर्तव्य तो कर्तव्य होता है, जब आप एक बार कैप और बेल्ट पहन लेते हैं, तो आप अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हट सकते। ये हमारे वीर जवान हैं, जो देशवासियों की रक्षा के लिए देश की सीमाओं पर तैनात हैं।’
14 जुलाई को आखिरी बार फोन पर बात हुई थी
बलिदानी कैप्टेन के पिता कर्नल थापा ने कहा कि बृजेश एक योग्य इंजीनियर थे लेकिन, उन्होंने सेना में जाने का फैसला लिया था। उन्होंने कहा कि बृजेश ने पांच वर्ष पहले भारतीय सेना में शामिल हुए थे। कर्नल थापा के अनुसार कैप्टन बृजेश ने आखिर बार 14 जुलाई को अपने परिवार से फोन पर बातचीत की थी। सोमवार की रात को परिवार को बृजेश के बलिदान के बारे में पता चला। बलिदानी सैन्य अधिकारी की मां ने कहा कि बृजेश सेना की 145 वायु रक्षा रेजिमेंट से थे और 10वीं राष्ट्रीय राइफल्स में प्रतिनियुक्ति पर थे। निलिमा थापा ने आगे बताया कि बृजेश मार्च महीने में छुट्टी पर घर आए थे। बृजेश का जन्म पंजाब के जालंधर में हुआ था और उन्होंने मुंबई में सैनिक स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा हासिल की थी।