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राफेल: पूर्व वायुसेनाध्यक्ष धनोआ बोले- राजनीतिक फायदे के लिए मामले को उठाना गलत
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Sneha Baluni
Updated Thu, 14 Nov 2019 02:27 PM IST
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पूर्व वायुसेनाध्यक्ष बीएस धनोआ
- फोटो : ANI
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उच्चतम न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने गुरुवार को राफेल सौदे पर सुनवाई की। अदालत ने केंद्र सरकार को राहते देते हुए राफेल सौदे से जुड़ी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि इस मामले में अलग से जांच की जरूरत नहीं है। इसे लेकर पूर्व वायुसेना अध्यक्ष से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रतिक्रिया दी है।
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पूर्व वायुसेना अध्यक्ष बीएस धनोआ ने कहा, 'मुझे लगता है कि हम उलझे हुए हैं। दिसंबर 2018 में मैंने एक बयान जारी किया था कि सुप्रीम कोर्ट ने एक अच्छा निर्णय दिया है और उस समय कुछ लोगों ने कहा कि मैंने राजनीति से प्रेरित बयान दिया, जो गलत था।'
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उन्होंने आगे कहा, 'मुझे उम्मीद है कि यह मामला अब शांत हो जाएगा। मुझे लगता है कि राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह के मामलों को उठाना और अपने सशस्त्र बलों के हित को पीछे रखना सही नहीं है।'
BS Dhanoa, former chief of the Air Staff: I hope the matter is now laid to rest. Raking up such issues to get political gains, putting the interest of your armed forces behind, I think is not right. #RafaleVerdict pic.twitter.com/QUMYFTZjhM
— ANI (@ANI) November 14, 2019
वहीं अदालत के फैसले पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'मैं सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करता हूं और यह हमारी सरकार के रुख का समर्थन करता है। हमारी सरकार के निर्णय लेने की पारदर्शिता को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। मुझे लगता है कि रक्षा तैयारियों से संबंधित मामलों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। दुर्भाग्य से कुछ लोग अपने निजी फायदे के लिए ऐसा करते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री की छवि खराब करने की कोशिश की। मैं कहना चाहूंगा कि यह विशेष रूप से कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं द्वारा किया गया था।'
बता दें कि राफेल सौदे पर देश के विपक्षी दल लंबे समय से सवाल उठाते आ रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने इसमें घोटाला किया है और अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए उन्हें दसॉल्ट एविएशन का ऑफसेट ठेका दिलाया गया। हालांकि केंद्र सरकार शुरुआत से इन आरोपों को सिरे से खारिज करती रही है। सरकार का दावा है कि वायुसेना को मजबूत बनाने के लिए इस सौदे को जल्दी पूरा करना जरूरी था।