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Rajya Sabha: 'बांधों के प्रबंधन में कोई लापरवाही नहीं...', पंजाब की बाढ़ पर केंद्र सरकार बोली- बारिश जिम्मेदार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Mon, 01 Dec 2025 05:56 PM IST
सार

Central Government on Punjab Floods: केंद्र सरकार ने पंजाब में हालिया बाढ़ को लेकर यह दावा खारिज कर दिया कि भाखड़ा और पोंग बांधों का खराब प्रबंधन इसका कारण था। जल शक्ति मंत्रालय ने राज्यसभा में कहा कि बाढ़ की मुख्य वजह कैचमेंट क्षेत्रों में अत्यधिक बारिश के कारण बांधों में रिकॉर्ड जलप्रवाह होना था।

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Rajya Sabha central government says no negligence in dam management rain is responsible for punjab floods
राज्यसभा। - फोटो : ANI
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विस्तार
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केंद्र सरकार ने पंजाब में हाल ही में आई बाढ़ को लेकर उठे सवालों पर साफ कहा है कि भाखड़ा और पोंग जैसे बड़े बांधों की खराब प्रबंधन प्रणाली इसकी वजह नहीं थी। जल शक्ति मंत्रालय ने राज्यसभा में लिखित जवाब देते हुए कहा कि बाढ़ की मुख्य वजह कैचमेंट क्षेत्रों में हुई अत्यधिक बारिश थी, जिसके कारण बांधों में असाधारण मात्रा में पानी आया। मंत्रालय ने यह भी कहा कि बाढ़ नियंत्रण के सभी नियमों का पालन करते हुए ही पानी छोड़ा गया।

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राज्यसभा में दिए लिखित जवाब में जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने बताया कि 2025 में पोंग और भाखड़ा में क्रमशः 3,49,522 क्यूसेक और 1,90,603 क्यूसेक तक पानी का प्रवाह दर्ज किया गया। इस अत्यधिक जलप्रवाह के चलते तय नियमों के अनुसार ही पानी छोड़ा गया। उन्होंने कहा कि पानी छोड़ने की प्रक्रिया नियम वक्र (रूल कर्व), बांध सुरक्षा मानकों और सतलुज व ब्यास नदियों की सीमित वहन क्षमता के अनुसार हुई।
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खराब प्रबंधन की वजह से बाढ़ नहीं बढ़ी
मंत्रालय ने स्पष्ट कहा कि बांधों का संचालन पूरी तरह तकनीकी मानकों के तहत किया गया था। उसके अनुसार बाढ़ को अधिकतम स्तर तक रोकने और उसके असर को कम करने के लिए जलाशयों को नियमों के अनुसार नियंत्रित किया गया। सरकार ने यह भी बताया कि पानी छोड़ने के सभी फैसले एक तकनीकी समिति द्वारा लिए गए, जिसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, केंद्रीय जल आयोग और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के प्रतिनिधि शामिल थे।

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मानसून से पहले पर्याप्त ‘बफर लेवल’ बनाए गए
सरकार ने यह भी कहा कि मानसून से पहले भाखड़ा और पोंग दोनों बांधों में पर्याप्त बफर स्टोरेज बना कर रखा गया था। जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, बांधों से पानी छोड़ा गया तो उससे पहले कम से कम 24 घंटे की अग्रिम सूचना दी गई। मंत्रालय ने दोहराया कि मानसून से पहले जलाशयों का जलस्तर औसत के भीतर था और बफर स्तर पूरी तरह सुरक्षित थे, इसलिए किसी प्रकार की लापरवाही का प्रश्न ही नहीं उठता।

जल निकासी प्रणाली को मजबूत करना
मंत्रालय ने बताया कि तटबंधों को मजबूत करना और जल निकासी व्यवस्था को सुधारना राज्यों की जिम्मेदारी है। केंद्र ने कहा कि राज्य सरकारें अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार इन कार्यों को करती हैं। साथ ही मंत्रालय ने Dam Safety Act, 2021 के प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि अब हर तीन घंटे में जल संबंधी डेटा साझा करना अनिवार्य है और बहुस्तरीय बांधों के संचालन के लिए समन्वित प्रणाली लागू की गई है।

संयुक्त नियंत्रण प्रणाली पहले से लागू
केंद्र सरकार ने बताया कि अगस्त 2025 में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फ्लड प्लेन जोनिंग पर तकनीकी निर्देश भी भेजे गए हैं, ताकि दीर्घकालिक और गैर-संरचनात्मक उपायों से बाढ़ के जोखिम को कम किया जा सके। पानी छोड़ने के लिए संयुक्त नियंत्रण प्रणाली पर उठे प्रश्नों के जवाब में मंत्रालय ने कहा कि ऐसी व्यवस्था पहले से मौजूद है। तकनीकी समिति में केंद्रीय और राज्य दोनों के प्रतिनिधि शामिल हैं और बांधों का संचालन संयुक्त रूप से किया जाता है।

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