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SC: 'खनन गतिविधियों के लिए यमुना नदी पर बनाया तटबंध', सुप्रीम कोर्ट ने सीईसी को दिए जांच के आदेश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Mon, 12 May 2025 02:22 PM IST
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सार
हरियाणा के कालेसर वाइल्डलाइफ सेंक्चुअरी के पास यमुना नदी पर बांध बनाकर अवैध खनन को बढ़ावा देने के आरोपों की जांच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) को सौंपी है। कोर्ट ने संबंधित राज्यों से प्रतिक्रिया भी मांगी।

यमुना किनारे खनन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : अमर उजाला

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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के कालेसर वाइल्डलाइफ सेंक्चुअरी के पास यमुना नदी पर बांध बनाकर अनियंत्रित खनन गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोपों की जांच के लिए केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) को निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए CEC को इसकी जांच करनी चाहिए और अपनी रिपोर्ट पेश करनी चाहिए।
यह याचिका अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल द्वारा दाखिल की गई थी, जिन्होंने दावा किया कि नदी के प्रवाह को हरियाणा से उत्तर प्रदेश की ओर मोड़ने के लिए बांध बनाया गया, ताकि अनियंत्रित खनन गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्माण कालेसर वाइल्डलाइफ सेंक्चुअरी के पास किया गया है, जिससे पर्यावरण और वन्य जीवन को खतरा है।
कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता की ओर से हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार के वकीलों को आवेदन की प्रति उपलब्ध कराई जाए, ताकि वे इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकें।
गौरतलब है कि CEC का गठन मई 2002 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किया गया था, ताकि पर्यावरण संरक्षण, अतिक्रमण हटाने, कार्य योजना क्रियान्वयन और प्रतिपूरक वनीकरण जैसे मामलों की निगरानी की जा सके। मामले की अगली सुनवाई मई के अंतिम सप्ताह में होगी।
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न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए CEC को इसकी जांच करनी चाहिए और अपनी रिपोर्ट पेश करनी चाहिए।
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यह याचिका अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल द्वारा दाखिल की गई थी, जिन्होंने दावा किया कि नदी के प्रवाह को हरियाणा से उत्तर प्रदेश की ओर मोड़ने के लिए बांध बनाया गया, ताकि अनियंत्रित खनन गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्माण कालेसर वाइल्डलाइफ सेंक्चुअरी के पास किया गया है, जिससे पर्यावरण और वन्य जीवन को खतरा है।
कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता की ओर से हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार के वकीलों को आवेदन की प्रति उपलब्ध कराई जाए, ताकि वे इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकें।
गौरतलब है कि CEC का गठन मई 2002 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर किया गया था, ताकि पर्यावरण संरक्षण, अतिक्रमण हटाने, कार्य योजना क्रियान्वयन और प्रतिपूरक वनीकरण जैसे मामलों की निगरानी की जा सके। मामले की अगली सुनवाई मई के अंतिम सप्ताह में होगी।