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High Court : एल्विश यादव को हाईकोर्ट से झटका, सांप से जहर निकालने के मामले में दर्ज एफआईआर नहीं होगी रद्द

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Mon, 12 May 2025 01:05 PM IST
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सार

यूट्यूबर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर एल्विश यादव को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। रेव पार्टी में सांपों का प्रदर्शन करने के मामले में दर्ज एफआईआर की चार्जशीट को चुनौती देने वाली याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दी है। इस मामले में गाजियाबाद की सीजेएम कोर्ट ने एल्विश को समन जारी किया है। उन्होंने इसको खारिज करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 

Elvish Yadav gets a setback from the High Court, FIR registered in the case of extracting poison from snake
एल्विश यादव - फोटो : इंस्टाग्राम@elvish_yadav
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इलाहाबाद हाईकोर्ट से यूट्यूबर एल्विश यादव को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे में दाखिल चार्जशीट और जारी समन आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दी है। ऐसे में अब उन्हें रेव पार्टी में ड्रग्स व सांप के जहर का लोगों को नशा कराने के आरोप में दर्ज मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने सोमवार को याचिका खारिज कर दी।

गौतम बुद्ध नगर, नोएडा, थाना सेक्टर-49 में एल्विश यादव के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की कई धाराओं में व रेव पार्टी में ड्रग्स और सांप के जहर का लोगों को सेवन कराने व अन्य कई आरोप में मुकदमा दर्ज है। आरोपपत्र में कहा गया था कि यूट्यूब वीडियो बनाने के लिए सांपों और सांप के जहर का दुरुपयोग किया गया है। साथ ही रेव पार्टियों का आयोजन करने और विदेशियों को बुलाने और उन्हें सांप के जहर और अन्य नशीली दवाओं का सेवन कराने का आरोप लगाया है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम), गौतमबुद्ध नगर ने चार्जशीट का संज्ञान लेते हुए समन आदेश जारी किया था। एल्विश यादव ने समन आदेश और चार्जशीट को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

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याची अधिवक्ता ने दलील दी कि शिकायतकर्ता वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए सक्षम व्यक्ति नहीं था। आवेदक से कोई सांप, ड्रग्स आदि बरामद नहीं हुआ है। आवेदक और अन्य सह-अभियुक्तों के बीच किसी भी तरह का कोई संबंध नहीं है। वहीं, अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने दलील दी कि जांच में सामने आया है कि यादव ने उन लोगों तक सांप पहुंचाया था, जिनसे बरामदगी हुई थी। न्यायालय ने पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी।

अलग-अलग कई धाराओं में दर्ज है एफआईआर

एल्विश यादव के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और आईपीसी व एनडीपीएस अधिनियम की कई धाराओं में मामला दर्ज है। इसी मामले में नोएटा सेक्टर-49 में एक थाने में दर्ज एफआईआर में एल्विश के खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई है। साथ ही अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा समन भी जारी किया गया है।

एल्विश ने किया ये दावा

एल्विश की ओर से इस चार्जशीट और कार्यवाही को यह कहते हुए चुनौती दी गई है कि एल्विश के खिलाफ जानकारी देने वाला वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए सक्षम नहीं था। यह दलील दी गई है कि आवेदक यानी कि एल्विश के पास से कोई सांप या नशीला पदार्थ बरामद नहीं हुआ है। वहीं एल्विश और अन्य सह-अभियुक्तों के बीच कोई संबंध स्थापित नहीं हुआ है। एल्विश की ओर से ये भी कहा गया है कि सूचना देने वाला व्यक्ति अब पशु कल्याण अधिकारी नहीं है, लेकिन उसने खुद को पशु कल्याण अधिकारी बताते हुए एफआईआर दर्ज कराई है।

एल्विश का दावा- आरोपों को साबित करने में फेल रही पुलिस

एल्विश की ओर से कोर्ट में यह भी दलील दी गई कि आवेदक एक प्रभावशाली व्यक्ति है और टेलीविजन पर कई रियलिटी शो में दिखाई देता है। ऐसे में एफआईआर में एल्विश का नाम होने से मीडिया का इस ओर बहुत ध्यान गया। मीडिया की खबरों के चलते ही पुलिस अधिकारियों ने आवेदक को गिरफ्तार करने के तुरंत बाद धारा 27 और 27 ए एनडीपीएस अधिनियम को लागू करके मामले को और अधिक संवेदनशील बनाने का प्रयास किया। हालांकि, पुलिस अतिरिक्त आरोपों को साबित करने में फेल रही है। जिसके बाद उन्हें हटा दिया गया।
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