चीन ने जम्मू-कश्मीर को लेकर चिंता जताई और हमने पक्ष रख दिया : विदेश मंत्री एस जयशंकर
- अपनी बात रखकर विदेश मंत्री लौट आए हैं, लेकिन निगाह कल पर टिकी है
- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान भी भारत के पक्ष में है
- पाकिस्तान की कोशिश जम्मू-कश्मीर की आवाम को भड़का कर इसी तरह का हालात पैदा करने की है
विस्तार
तीन दिन की चीन की विदेश यात्रा से लौटे विदेश मंत्री एस जयशंकर की गिनती सुपर डिप्लोमैट में होती है। इसी अंदाज में उन्होंने कश्मीर में अनुच्छेद 370, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही हलचल को लेकर उठे सवालों का जवाब दिया है। चीन से लौटकर आए जयशंकर ने कहा कि उन्होंने (चीन) अपनी चिंताएं जताईं और हमने अपना पक्ष रखा।
उन्होंने बताया कि चीन ने वार्ता के दौरान भारत के समक्ष पाक अधिकृत कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र की स्थिति को लेकर अपना पक्ष रखा। वहीं विदेश मंत्री ने इस पर साफ कहा कि जम्मू-कश्मीर की पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से लगती नियंत्रण रेखा और चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा की स्थिति में कोई बदलाव नहीं है। अपनी यह बात रखकर विदेश मंत्री लौट आए हैं, लेकिन निगाह कल पर टिकी हैं।
क्यों है चीन की चिंता?
दरअसल पाक अधिकृत कश्मीर में चीन की महत्वकांक्षाएं अपना आकार ले रही हैं। पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से लेकर पाक अधिकृत कश्मीर से होते हुए चीन कनेक्टिविटी पर काम कर रहा है। ऐसे में आक्साई चिन और लद्दाख के क्षेत्र पर भी चीन की निगाह है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने अपनी काफी जमीन चीन को दे रखी है। चीन की यह चिंता केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के एक बयान के बाद आई है।
बता दें, पिछले दिनों संसद के सत्र में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि जब वह जम्मू-कश्मीर की बात करते हैं तो इसमें पाक अधिकृत कश्मीर और अक्साई चिन भी आता है। शाह यहीं नहीं रुके थे। उन्होंने यह भी कहा था कि वह (शाह) इसके लिए जान तक दे सकते हैं।
ऐसे में भारत के गृहमंत्री के इस बयान को चीन ने काफी गंभीरता से लिया है। इसी क्रम में भारत ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को स्थिति स्पष्ट करने के लिए चीन यात्रा पर भेजा। फिलहाल भारत की निगाह कश्मीर में अमन की बहाली और आवाम की जिंदगी को पटरी पर लाने पर टिकी है।
कहां है असल का खतरा?
कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत के पक्ष में अभी दुनियाभर के देश हैं। अमेरिका ने जम्मू-कश्मीर में भारत की वैधानिक पहल को नई दिल्ली (भारत) का आंतरिक मामला बताया है। वहीं रूस के विदेशमंत्री सर्गेई लावरोव ने पाकिस्तान के अपने समकक्ष से बात करते हुए उन्हें भारत के साथ तनाव कम करने की सलाह दी है।
भारत ने दुनिया के देशों से इस बदलाव को अपना आंतरिक मामला बताया है और पाकिस्तान के साथ शिमला समझौता तथा लाहौर घोषणा पत्र के तहत आपसी मामले को द्विपक्षीय स्तर पर निपटाने की शर्त दोहराई है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान भी भारत के पक्ष में आया है, लेकिन विदेश मंत्रालय की निगाह एक खतरे पर टिकी है।
विदेश मंत्रालय के अधिकारी जम्मू-कश्मीर में अमन और जनसमर्थन चाहते हैं। भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से राज्य में अब तक कोई हिंसा न भड़कने पर राहत की सांस ली है। लेकिन यह स्थिति राज्य में उच्च स्तर की सतर्कता पर है। सरकार चाहती है कि वहां निगरानी और सुरक्षा बलों की निगहबानी में ढील दिए जाने के बाद भी इसी तरह की स्थिति बनी रहे। इसे लेकर सरकार उच्च स्तर पर संवेदनशील बनी हुई है।
असल चिंता मानव अधिकार की है?
जम्मू-कश्मीर को लेकर अहम चिंता मानव अधिकार की है। सूत्र बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जम्मू-कश्मीर के वैधानिक बदलाव को लेकर कोई बड़ी चिंता नहीं है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से लेकर हर अंतरराष्ट्रीय फोरम पर भारत को अपनी सुनिश्चित सफलता दिखाई पड़ रही है। लेकिन कश्मीर घाटी में आने वाले समय में मानव अधिकारों के लिए चुनौती बनने वाली स्थिति अधिक चिंता पैदा कर रही है।
सूत्रों का कहना है कि राज्य में सुरक्षा के स्तर पर ढील देने, कर्फ्यू जैसे हालात समाप्त होने के बाद कदाचित विरोध प्रदर्शन, पत्थरबाजी की घटनाएं होने से स्थिति बिगड़ सकती है। क्योंकि इस दौरान सुरक्षा बलों द्वारा हालात काबू में करने के लिए की गई कार्रवाई से मानव अधिकार उल्लंघन के नाम पर दुनियाभर में सवाल खड़े हो सकते हैं।
दुनिया भर की मीडिया इसे मुद्दा बना सकती है। बताते हैं पाकिस्तान की कोशिश जम्मू-कश्मीर की आवाम को भड़का कर इसी तरह के हालात पैदा करने की है। वहीं भारत इस बाबत पूरी सतर्कता बरतकर चल रहा है।
विदेश मंत्रालय की नई वेबसाइट लॉन्च
यह नागरिक सेवाओं, व्यापार और वाणिज्य, अंतरराष्ट्रीय-प्रवासी संबंध और विकास में साझेदारी के 20 प्रमुख संकेतकों को ट्रैक करेगा। इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यह वेबसाइट भारत सरकार के प्रयासों और कामों को ज्यादा जवाबदेह और पारदर्शिता के साथ सुशासन मुहैया करने के लिए लक्ष्य का एक हिस्सा है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को और आगे बढ़ाने का काम करेगी।