Samwad 2025: आतंक का खात्मा, कश्मीर का विकास और पीओके की वापसी; राजनाथ ने पाकिस्तान को दिए ये पांच कड़े संदेश
देहरादून में अमर उजाला संवाद 2025 कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पाकिस्तान पर जमकर हमला बोला। उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद पर रोक पाने में विफल रहने पर जमकर लताड़ लगाई है। इस दौरान रक्षा मंत्री ने ये भी कहा- अगर पाकिस्तान से आतंक के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है तो हम मदद के लिए तैयार हैं।
विस्तार
'आतंकियों के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई'
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा- हमने एटिट्यूड और एक्शन को बदला है। पहलगाम में आतंकियों ने जिस तरह धर्म पूछकर लोगों को निशाना बनाया, उसने देश को झकझोर दिया। उन्होंने धर्म पूछकर मारा, लेकिन हमने उनका धर्म पूछकर नहीं, उनका कर्म देखकर मारा। यह देश की सामाजिक एकता पर हुआ हमला था। धर्म पूछकर मारने के पीछे उनका उद्देश्य था भारत की सांस्कृतिक एकता को नुकसान पहुंचाना। हमने उनके आतंकी ढांचे को तबाह कर दिया। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के मुख्यालयों पर पहली बार किसी ने हमला किया है, तो वह भारत है। यह आतंकियों के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।
'आतंकवाद का लक्ष्य कभी सफल नहीं हो सकता है'
रक्षा मंत्री ने आगे कहा- इतिहास ने यह बार-बार साबित किया है कि आतंकवाद का कितना भी बड़ा लक्ष्य हो, वह सफल नहीं हो सकता। यह सोचना भी कदापि उचित नहीं है कि कोई आतंकवादी किसी देश के लिए स्वतंत्रता सेनानी हो सकता है। आतंकवाद की कोख से क्रांति नहीं, बर्बादी और नफरत ही पैदा होती है। हमने हमेशा देखा है कि पाकिस्तान जैसे देश आतंकवाद को समर्थन देते आए हैं। भारत की पहचान लोकतंत्र की जननी के रूप में, जबकि पाकिस्तान की पहचान आतंकवाद को जन्म देने वाले के रूप में हो रही है। हम आतंकियों को नहीं, बल्कि आतंकी ढांचे को भी पूरी तरह से खत्म करें, यह जरूरी है।
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दुनिया में पाकिस्तान को बेनकाब करना जरूरी- राजनाथ
वहीं पाकिस्तान के आतंक समर्थित चेहरे को लेकर उन्होंने कहा- यह बात पूरी दुनिया के सामने आ रही है कि पाकिस्तान को फंडिंग का मतलब है कि आतंकवाद को फंडिंग। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान को मिलने वाली विदेशी आर्थिक मदद को बंद करना होगा। आतंकवाद को खाद-पानी नहीं मिलना चाहिए। इसमें संयुक्त राष्ट्र की भूमिका अहम है, लेकिन उसके निर्णयों पर सवालिया निशान लग रहे हैं। पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी समिति में उपाध्यक्ष बनाया गया है। यह बिल्ली से दूध की रखवाली करवाने वाली बात है। इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात क्या हो सकती है। यह वही पाकिस्तान है, जिसकी जमीन का इस्तेमाल वैश्विक आतंकवाद के लिए होता रहा है। यहां हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकी खुलेआम घूमते हैं और जहर उगलते हैं। उसे आप वाइस चेयरमैन बनाते हैं। आतंकी के जनाजे में पाकिस्तानी फौज के अफसर फातिहा पढ़ते नजर आते हैं, यह क्रूर मजाक से कम नहीं है।
'आतंक नहीं खत्म कर पा रहा पाकिस्तान तो हम मदद को तैयार'
कोई भी इंसान अपनी जड़ों को उजाड़ना नहीं चाहता। पाकिस्तान के पास स्पष्ट दिशा नहीं है, इसलिए वहां आतंकवाद धंधा बन चुका है। हमेशा किसी न किसी बाहरी शक्ति के दबाव में वह आता रहा है। पाकिस्तान की पीठ पर आज एक नहीं, कई बैताल बैठे हैं जो उसे प्रगति की राह पर नहीं जाने दे रहे। भारत चाहता है कि आतंकवाद पाकिस्तान से नहीं, बल्कि पूरी दुनिया से खत्म हो। पाकिस्तान को हमारी सलाह है कि अगर आपसे आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है तो हम आपकी मदद करने को भी तैयार हैं। भारत की सेनाएं सरहर के इस पार और उस पार कार्रवाई करने में सक्षम हैं। ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान ने भी यह देख लिया। पाकिस्तान जिद्दी बच्चे की तरह यह मानता नहीं। दुनिया पाकिस्तान पर कूटनीतिक, रणनीतिक और आर्थिक दबाव बनाए।
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'जम्मू-कश्मीर में जमीनी-स्तर पर सुशासन दिख रहा है'
इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा- आप सभी ने देखा होगा कि जब तक जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू था, तब तक सभी कहते थे कि कश्मीर भारत में तो है, लेकिन वह भारत से इंटिग्रेट नहीं है। अब 370 हटने के बाद वह भारत से पूरी तरह इंटिग्रेट हो गया है। जम्मू-कश्मीर में लाखों पर्यटक आए। जमीनी स्तर पर वहां सुशासन दिख रहा है। जम्मू-कश्मीर को भारत का मस्तक कहा जाता है, जब यह मस्तक चमकने लगा तो पड़ोसी को चमक बर्दाश्त नहीं हुई और उसने आतंकी वारदात को अंजाम दिया। आतंकियों को तो हमने जवाब दे दिया, लेकिन इस तरह की घटना भविष्य में न हो, यह भारतीय सुरक्षा से जुड़ा अहम मुद्दा है। अब जनता के स्तर पर भी सतर्क होने का समय आ गया है। आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा अभिशाप है। मानवीय सभ्यता के सबसे अहम मूल्यों का यह दुश्मन है। आतंकवाद हमारे लोकतंत्र और सह-अस्तित्व के समक्ष बड़ा खतरा है। यह विकृत मानसिकता है। मानवता पर कलंक है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई मानवता के मूलभूत मूल्यों की रक्षा की लड़ाई है। मानवता के सामने जितनी भी भयावह बीमारियां आईं, वह देर-सवेर खत्म हुई। आतंकवाद भी महामारी है, उसे मरना ही है। लेकिन इसे अपनी मौत मरने को नहीं छोड़ा जा सकता। यह चुनौती देता रहेगा। इसलिए आतंकवाद की समस्या का अब स्थायी समाधान बहुत आवश्यक है।यह भी पढ़ें - Samwad 2025: 'वह दिन दूर नहीं, जब पूरा कश्मीर एक होगा', अमर उजाला संवाद में बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह