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Supreme Court: केंद्र ने फिर की ट्रिब्यूनल सुधार कानून पर सुनवाई टालने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Thu, 06 Nov 2025 01:50 PM IST
सार

सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार से नाराज है और अदालत ने साफ कहा, अब या तो बहस पूरी करें, या फैसला आ जाएगा। सीजेआई ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, 'अगर आप 24 नवंबर के बाद सुनवाई चाहते हैं तो साफ-साफ बताइए। मैं 23 नवंबर को रिटायर हो रहा हूं, फिर हम फैसला कब लिखेंगे?'

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SC irked over Centre’s request to defer hearing on pleas against tribunal reforms law
सुप्रीम कोर्ट (फाइल तस्वीर) - फोटो : ANI
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार पर कड़ा रुख दिखाया, जब केंद्र ने ट्रिब्यूनल सुधार कानून 2021 के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई टालने की मांग की। अदालत ने कहा कि यह कोर्ट के साथ 'बहुत अनुचित' व्यवहार है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने पिछले दिनों यह याचिका दी थी कि मामला पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजा जाए। अदालत ने उस पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि सरकार ने यह मांग सुनवाई के अंतिम चरण में रखकर गलत किया है।
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क्या है पूरा मामला?
ट्रिब्यूनल सुधार (विवेकशीलता और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 2021 में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए थे। इस कानून के तहत कुछ अपीलीय ट्रिब्यूनल, जैसे फिल्म सर्टिफिकेशन अपीलीय ट्रिब्यूनल, को खत्म कर दिया गया था। इसके साथ ही, ट्रिब्यूनल के सदस्यों की नियुक्ति और कार्यकाल से जुड़ी कई शर्तें भी बदली गईं। इसी कानून को मद्रास बार एसोसिएशन समेत कई संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनका कहना है कि यह कानून न्यायपालिका की स्वतंत्रता और शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांतों के खिलाफ है।

अदालत की नाराजगी क्यों?
गुरुवार को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत में कहा कि अटॉर्नी जनरल अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में व्यस्त हैं, इसलिए शुक्रवार की सुनवाई आगे बढ़ा दी जाए। इस पर मुख्य न्यायाधीश गवई ने सख्त लहजे में कहा, 'हमने उन्हें पहले भी दो बार समय दिया है। यह अदालत के साथ न्याय नहीं है।' उन्होंने आगे कहा, 'अगर आप 24 नवंबर के बाद सुनवाई चाहते हैं तो साफ-साफ बताइए। मैं 23 नवंबर को रिटायर हो रहा हूं, फिर हम फैसला कब लिखेंगे?' सीजेआई ने यह भी पूछा कि अगर अटॉर्नी जनरल व्यस्त हैं, तो सरकार के इतने सारे एएसजी क्यों नहीं पेश हो सकते? उन्होंने कहा कि अदालत ने शुक्रवार का दिन केवल इस मामले के लिए खाली रखा है ताकि वीकेंड में फैसला तैयार किया जा सके।

आखिरकार, अदालत ने तय किया कि शुक्रवार को वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार (मद्रास बार एसोसिएशन की ओर से) की बहस सुनी जाएगी, और सोमवार को अटॉर्नी जनरल को अपना पक्ष रखने का आखिरी मौका दिया जाएगा। सीजेआई ने आगे कहा कि, 'अगर वे नहीं आते, तो हम सुनवाई बंद कर देंगे।'

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कई प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट ने ठहराया था असंवैधानिक
2021 में जब केंद्र ट्रिब्यूनल सुधार अध्यादेश लायी थी, तो सुप्रीम कोर्ट ने इसके कई प्रावधान रद्द कर दिए थे। अदालत ने कहा था कि, ट्रिब्यूनल सदस्यों और अध्यक्षों का कार्यकाल कम से कम पांच साल होना चाहिए। न्यूनतम आयु 50 वर्ष तय करना गलत है, ताकि युवा वकील भी नियुक्त हो सकें। सरकार केवल दो नामों की सूची में से किसी एक को चुनने का अधिकार नहीं रख सकती। लेकिन केंद्र ने बाद में जो ट्रिब्यूनल सुधार अधिनियम, 2021 पारित किया, उसमें वही प्रावधान फिर से शामिल कर दिए गए, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट पहले ही असंवैधानिक ठहरा चुका था। इसी पर अदालत ने अब दोबारा कड़ा रुख अपनाया है और संकेत दिया है कि वह इस कानून की वैधता पर जल्द फैसला सुनाना चाहती है।
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