मोकामा विधानसभा सीट पर मतदान के बाद सियासी हलचल तेज़ हो गई है। पहली किश्त के मतदान के साथ ही इस सीट पर बहुबलियों की सियासत, जातीय समीकरण और अपराध-प्रभाव के संकेत उभरकर सामने आ रहे हैं। गिरते बहुबलियों का असर, मतदाताओं में बढ़ती अनिश्चितता और आगामी परिणाम का दबाव ये सभी बातें मोकामा के चुनावी माहौल को गहरा कर रही हैं।
बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान के बाद अब नजरें टिकी हैं मोकामा विधानसभा सीट (Mokama Assembly Seat) पर, जो इस बार भी सबसे हॉट और संवेदनशील सीट मानी जा रही है। यहां का माहौल सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक भी है क्योंकि मोकामा की सियासत हमेशा से बाहुबली नेताओं, जातीय समीकरणों और स्थानीय मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। मतदान के बाद इलाके में मतदाताओं की प्रतिक्रियाएं बेहद दिलचस्प रही हैं। कुछ लोग विकास और सुरक्षा के मुद्दे पर वोट देने की बात कर रहे हैं, जबकि कई मतदाता जातीय समीकरणों और उम्मीदवारों की छवि को लेकर स्पष्ट राय दे रहे हैं।
अनंत सिंह (Anant Singh) के समर्थक जहां अब भी अपनी पकड़ मजबूत मानते हैं, वहीं दूसरी ओर जनसुराज पार्टी और जेडीयू-आरजेडी गठबंधन अपने-अपने समीकरणों के हिसाब से माहौल बनाने की कोशिश में हैं।जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या के बाद यह सीट और भी चर्चाओं में आ गई है। चुनाव आयोग ने इस घटना के बाद सुरक्षा बढ़ाने के आदेश दिए हैं और पूरे क्षेत्र में अतिरिक्त फोर्स तैनात की गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस बार मोकामा में “डर और उम्मीद” दोनों का माहौल है। एक तरफ लोग बदलाव की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पुराने समीकरण फिर से लौटते दिख रहे हैं।