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Supreme Court: 'गलत जांच' मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर 'सुप्रीम' रोक, एमपी पुलिस से भी जवाब तलब

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Thu, 27 Nov 2025 05:59 PM IST
सार

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक आदेश पर रोक लगाते हुए सख्त टिप्पणी की है। दरअसल, एक पुलिस अधिकारी के खिलाफ दर्ज केस में लापरवाही से जांच की गई और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। इस मामले में शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश पुलिस से जवाब तलब किया है।

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SC stays MP HC order penalising police officer for carrying out 'misguided investigation'
सुप्रीम कोर्ट (फाइल तस्वीर) - फोटो : ANI
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें एक पुलिस अधिकारी पर गलत और पक्षपातपूर्ण जांच करने के आरोप में एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। यह मामला दो नाबालिग लड़कियों के अपहरण और हत्या से जुड़ा है, जिसमें कोर्ट ने आरोपी को बरी करते हुए कहा था कि पुलिस की जांच दुर्भावनापूर्ण और लापरवाह थी।
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ पुलिस निरीक्षक चैन सिंह उइके की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें दो लड़कियों के अपहरण और हत्या के दोषी व्यक्ति की मौत की सजा को पलट दिया गया था और कहा गया था कि पुलिस जांच दुर्भावनापूर्ण थी। पीठ ने कहा, 'अगले आदेश तक, उच्च न्यायालय की तरफ से दिए निर्णय और आदेश के पैराग्राफ 57(iii) पर रोक रहेगी।'

याचिकाकर्ता की दलील
अधिवक्ता अश्विनी दुबे ने कोर्ट को बताया कि पुलिस अधिकारी को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। जांच गलत होने का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं दिया गया। सीधे जुर्माना और कठोर टिप्पणी करना न्याय के विरुद्ध है।

क्या है पूरा मामला?
4 अप्रैल 2022 को बालाघाट जिले के राजीव सागर डैम के पास दो बच्चियों (उम्र पांच और तीन वर्ष) के शव मिले थे। पुलिस जांच में आरोप लगाया गया कि दोनों बच्चियां अपने चाचा के साथ गई थीं। चाचा को गिरफ्तार कर अपहरण और हत्या का मामला बनाया गया। 31 जनवरी 2024 को निचली अदालत ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई। लेकिन हाईकोर्ट ने सजा रद्द करते हुए कहा, जांच लापरवाहीपूर्ण थी और एक निर्दोष व्यक्ति को साढ़े तीन साल तक जेल में रहना पड़ा।

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हाईकोर्ट की टिप्पणी और जुर्माने पर होगा 'सुप्रीम' फैसला
अब सुप्रीम कोर्ट आगे सुनवाई करते हुए यह तय करेगा कि हाईकोर्ट की टिप्पणियां हटाई जाएं या बरकरार रहें। इसके साथ ही जुर्माना वसूल किया जाए या नहीं। फिलहाल पुलिस अधिकारी को बड़ी राहत मिली है और मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
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