Budget Session: बजट सत्र का दूसरा चरण आज से, वक्फ विधेयक पर रहेंगी निगाहें; वित्त विधेयक को दी जाएगी मंजूरी
संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण आज से शुरू होकर चार अप्रैल तक चलेगा। इसमें वित्त विधेयक (बजट) को मंजूरी दी जाएगी। इसके अलावा,लोकसभा सीटों के परिसीमन के मुद्दे पर द्रमुक व दक्षिण के अन्य दलों ने हंगामे के संकेत दिए हैं।
विस्तार
संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार से शुरू होगा। चार अप्रैल तक चलने वाले इस चरण के दौरान वित्त विधेयक (बजट) को मंजूरी दी जाएगी। हालांकि, सबकी निगाहें वक्फ संशोधन विधेयक पर होंगी, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। वक्फ विधेयक को इस चरण में पास कराने के लिए सरकार ने सहयोगी दलों से बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके अलावा सरकार की योजना पिछले चरण में पेश किए आयकर विधेयक को भी कानूनी रूप देने की है। सत्र के दौरान द्रमुक समेत दक्षिण भारत के दलों ने लोकसभा परिसीमन के मुद्दे को तूल देने की घोषणा कर दी है। इस सत्र के दौरान सरकार की कोशिश दोनों सदनों में 35 लंबित विधेयकों को पारित कराने की है।
फिलहाल राज्यसभा में 26 और लोकसभा में नौ विधेयक लंबित हैं। इनमें से सरकार की प्राथमिकता सूची में आपदा प्रबंधन संशोधन, रेलवे संशोधन, आव्रजन व विदेशी विधेयक, बैंकिंग लॉ संशोधन विधेयकों को पारित कराने की है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेने वाला नया आय कर विधेयक इसी सत्र में पारित हो सकता है। विधेयक को विमर्श लिए चयन समिति को भेजा गया था। चयन समिति तीसरे सप्ताह में रिपोर्ट पेश कर सकती है।
द्रमुक व दक्षिण के अन्य दलों ने लोकसभा सीटों के परिसीमन पर हंगामे के दिए संकेत
द्रमुक के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की बैठक में जो प्रस्ताव पारित किए गए, उनमें जोर दिया गया कि परिसीमन संसद सत्र में मुद्दे का केंद्र है। द्रमुक परिसीमन के खिलाफ लड़ाई के लिए कर्नाटक और केरल सहित अन्य राज्यों के साथ समन्वय करेगी। द्रमुक दक्षिण के उन राज्यों से संपर्क करेगी, जहां परिसीमन के कारण संसदीय सीटों की संख्या घट सकती है। इसके अलावा द्रमुक सांसदों बैठक में हिंदी के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। प्रस्ताव में कहा गया कि परिसीमन से न सिर्फ दक्षिण के राज्य प्रभावित होंगे, बल्कि पश्चिम बंगाल, ओडिशा और पंजाब जैसे उत्तर भारतीय राज्यों की सीटें घट सकती हैं।
वक्फ विधेयक पर हंगामा तय
वक्फ विधेयक पर सरकार और विपक्ष दोनों ने अपनी तैयारी की है। इसे लेकर जेपीसी की बैठकों में भी हंगामा होता रहा है। मुस्लिम संगठन जद(यू) और तेदेपा जैसे सरकार के सहयोगी दलों पर दबाव बना रहे हैं कि वे इस विधेयक का विरोध करें। हालांकि, जेपीसी की बैठकों ने इन दलों ने सरकार का समर्थन किया है। ऐसे में संसद में इनके अलग राह लेने की उम्मीद कम है। फिर भी विधेयक पारित होने से पहले हंगामा तय है। मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि विधेयक के जरिये सरकार वक्फ संपत्तियों को हथियाना चाहती है। सरकार का कहना है कि उसका इरादा वक्फ से जुड़े संगठनों के कामकाज में पारदर्शिता लाना है।
तीन भाषा फॉर्मूले पर खींचतान के आसार
सत्र से पहले दक्षिण भारत के राज्यों में लोकसभा परिसीमन और तीन भाषा फॉर्मूले पर राजनीति गर्म है। खासतौर से तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक इन मामलों में हमलावर है।
राज्य के सीएम ने परिसीमन के बाद तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत के राज्यों की लोकसभा सीटों में कमी आने और दक्षिण भारतीय राज्यों पर हिंदी थोपने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। हालांकि, गृह मंत्री ने कहा है कि परिसीमन के बाद दक्षिण भारत की लोकसभा की एक भी सीट कम नहीं होगी। वहीं, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अध्यक्षता में द्रमुक सांसदों की बैठक में परिसीमन के मुद्दे को संसद के दोनों सदनों में प्रमुखता से उठाने को लेकर एक प्रस्ताव पारित हुआ।
जनसंख्या आधारित परिसीमन न हो
द्रमुक की मांग है कि परिसीमन होना ही है तो 1971 की जनगणना को आधार माना जाए और यह अगले 30 वर्षों के लिए लागू हो। इसके पीछे तर्क है कि दक्षिण के राज्यों ने परिवार नियोजन का सख्ती से पालन किया, जिसकी वजह से जनसंख्या को नियंत्रित करने में मदद मिली। अगर परिसीमन जनसंख्या के आधार पर होती है तो उन्हें संसदीय सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश जैसे अधिक आबादी वाले राज्यों को इसका फायदा होगा।