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पेचीदा होता जा रहा है शाहीन बाग मामला, प्रदर्शनकारी चाहते हैं बातचीत तो शुरू करे सरकार

शशिधर पाठक, नई दिल्ली Published by: अनवर अंसारी Updated Thu, 20 Feb 2020 09:45 PM IST
सार

शाहीनबाग में महिलाओं का सीएए, एनपीआर, एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन बहुत पेचीदा रूप लेता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीनों वार्ताकारों के लिए इसका हल खोज पाना बहुत आसान नहीं है। हालांकि वार्ताकारों की नियुक्ति के बाद शाहीनबाग के वालंटियर्स उत्साह से भर गए हैं। 

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शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों का मार्च - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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वार्ताकार फिलवक्त चाह रहे हैं कि प्रदर्शनकारी शाहीन बाग की नोएडा जाने वाली मुख्य सड़क को छोड़कर किसी अन्य वैकल्पिक जगह पर चले जाएं। ताकि उनके प्रदर्शन से किसी को असुविधा न हो। वहीं प्रदर्शनकारियों के विभिन्न समूहों से छनकर आ रही सूचना के मुताबिक वह 15 दिसंबर 2020 से चल रहे प्रदर्शन का सम्मानजनक समाधान चाहते हैं।

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प्रदर्शनकारियों की इच्छा

अलीगढ़ से आने वाले और शाहीनबाग प्रदर्शन में लगातार मौजूद रहने वाले सूत्र का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद शाहीनबाग का प्रदर्शन तत्काल खत्म हो जाएगा। सूत्र का कहना है कि वहां धरनास्थल पर बैठने वाले वालंटियर्स सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर केंद्र सरकार से ठोस आश्वासन चाहते हैं। एमिटी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली छात्रा का कहना है कि सरकार के वरिष्ठ मंत्री का धरना दे रहे लोगों के बीच में आना या फिर मिलने के लिए उन्हें समय देना सरकार में बैठे लोगों का काम है। उन्हें यह पहल करनी चाहिए। 

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शाहीनबाग के प्रदर्शनकारी तो गृह मंत्री से मिलने उनके घर भी जाने का प्रयास कर रहे थे। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक निजी टीवी चैनल के कार्यक्रम में कहा है कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है।

लॉ एंड आर्डर से जुड़ा मामला है

एक वालंटियर का कहना है कि शाहीनबाग में धरना लॉ एंड ऑर्डर से जुड़ा मामला है। यह सीधे प्रशासन के कामकाज से जुड़ता है। सूत्र का कहना है कि देश के नागरिक को सरकार द्वारा बनाए गए किसी कानून या व्यवस्था के विरुद्ध अपना विरोध दर्ज कराने का संवैधानिक अधिकार है। 

उच्चतम न्यायालय ने भी इसे स्पष्ट कर दिया है। एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि वह शाहीन बाग में रहते हैं। केंद्र सरकार को इसे अपनी जिम्मेदारी मानकर पहल करनी चाहिए। वहां जाना चाहिए। लोगों से बात करनी चाहिए। आखिर केंद्र सरकार दोयम दर्जे का व्यवहार क्यों कर रही है? सूत्र का कहना है कि इससे पहले भी प्रदर्शन हुए हैं। केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारियों को मनाने, उनसे बातचीत की पहल की है।

पास में है पार्क, वहां चली जाएं धरना देने वाली महिलाएं


वार्ताकारों के पास शाहीन बाग के धरने को लेकर कई तरह के प्रस्ताव पहुंचने शुरू हो गए हैं। प्रस्ताव और एक विचार यह भी है कि शाहीनबाग के प्रदर्शनकारी पास में स्थिति एक पार्क में चले जाएं। वार्ताकारों ने भी दूसरे दिन इस तरह की कोशिश की। उन्होंने प्रयास किया कि महिलाएं मान जाएं। वह सड़क से हटक दूसरे स्थान पर चले जाएं। लेकिन धरना दे रही महिलाओं के साथ अभी इस विकल्प पर सहमति नहीं बन पा रही है।

70 दिनों से बंद कारोबार का क्या होगा?

शाहीनबाग का प्रदर्शन दो लोगों को बहुत परेशान कर रहा है। एक वह लोग, परिवार हैं, जिनकी उस सड़क पर दुकानें हैं। 15 दिसंबर के बाद से बंद हैं। तमाम दुकानों का कारोबार पूरी तरह से ठप है। दूसरे कामकाजी लोग हैं। कामकाजी लोग इसी रास्ते से ड्यूटी जाते हैं। 

मोटरसाइकिल, स्कूटर सवार तमाम लोग जान जोखिम में रखकर एक संकरा वैकल्पिक रास्ता तलाश लिए हैं, लेकिन इससे भी उनकी परेशानी बनी हुई है। बच्चे स्कूल जाते हैं। स्कूल की बसें बच्चों को लेकर आती-जाती हैं। एक अन्य वर्ग भी है जो दूसरे स्थानों इस सड़क पर आता जाता रहा है। 

उसे लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है और ट्रैफिक जाम से जूझ रहा है। बताते हैं यही लोग अदालत में याचिका दायर करके शाहीन बाग का धरना खत्म कराने का प्रयास कर रहे हैं। इन लोगों की परेशानी को उच्चतम न्यायालय भी समझ रहा है और नियुक्त वार्ताकार पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह, वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन भी।

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