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Meghalaya: सीतारमण बोलीं- पेड़ों की जड़ों से बने पुलों को मिले यूनेस्को की मान्यता; सीमावर्ती गांव भी पहुंचीं

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, शिलांग। Published by: निर्मल कांत Updated Sun, 13 Jul 2025 03:54 PM IST
सार

Meghalaya: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मेघालय के लिविंग रूट ब्रिज को यूनेस्को में शामिल कराने के प्रयासों का समर्थन किया और स्थानीय लोगों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने पीईएस योजना के लाभार्थियों से भी मुलाकात की और सीमावर्ती गांव सोहबर का भी दौरा किया। 

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Sitharaman backs Meghalaya's efforts to get UNESCO recognition for living root bridges
लीविंग रूट ब्रिट पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण - फोटो : पीटीआई
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मेघालय राज्य के पूर्वी खासी हिल्स जिले में जीवित पेड़ों की जड़ों से बने पुलों (लिविंग रूट ब्रिज) को यूनेस्को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के प्रयासों का समर्थन किया। सीतारमण ने शनिवार को गांव के लोगों और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के सहयोग से इस पहल को आगे बढ़ाने की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहचान केवल दिखावे के लिए नहीं, बल्कि दुनिया को यह दिखाने के लिए होनी चाहिए कि यह परंपरा पहले यहीं शुरू हुई थी। उन्होंने कहा कि यह परंपराएं अन्य स्थानों पर भी अपनाई जा सकती हैं। 

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बांग्लादेश सीमा पर ज्यादातर लीविंग रूट ब्रिज
खासी और जयंतिया जनजातियों के लोग पीढ़ियों से इन लीविंग रूट ब्रिज को बना रहे हैं। ये पुल इंसान, प्रकृति और नवाचार के अनोखे मेल को दिखाते हैं। ऐसे पुल मेघालय के दक्षिणी इलाकों में बांग्लादेश की सीमा के पास ज्यादा देखने को मिलते हैं।

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लीविंग रूट ब्रिट पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण - फोटो : पीटीआई
मेघालय सरकार ने भेजा था यूनेस्को को प्रस्ताव
मेघालय सरकार ने 2018 में इन पुलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा था। यह प्रस्ताव 'सांस्कृतिक परिदृश्य' श्रेणी में भेजा गया था। इसमें इन पुलों के पर्यावरणीय, सांस्कृतिक और निर्माण से जुड़े महत्व को समझाया गया था। लेकिन इस प्रक्रिया में देरी हो गई क्योंकि जरूरी दस्तावेज पूरे नहीं थे और स्थानीय लोगों की भागीदारी को और बढ़ाने की जरूरत थी।

सीतारमण ने पीईएस योजना के लाभार्थियों से की मुलाकात
वित्त मंत्री ने शनिवार को गांव के वरिष्ठ नागरिकों, स्थानीय नेताओं और 'पारिस्थितिकी तंत्र सेवा भुगतान' (पीईएस) योजना का लाभ उठाने वाले लोगों से मुलाकात की। यह योजना विश्व बैंक, क्रेडिटनस्टाल्ट फर विडेराउफबाउ (केएफडब्ल्यू-पुनर्निर्माण के लिए ऋण देने वाली संस्था) और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की मदद से चल रही है। इसका मकसद पर्यावरण से जुड़ी पारंपरिक जानकारी को बचाना और उसे नए जमाने के तरीकों से आगे बढ़ाना है।

अंतिम गांव सोहबर का भी किया दौरा
निर्मला सीतारमण ने पूर्वी खासी हिल्स जिले के सीमावर्ती गांव सोहबर का भी दौरा किया। वह इस गांव की यात्रा करने वाली पहली केंद्रीय मंत्री बनीं हैं। उन्होंने कहा, सीमावर्ती गांव भारत का अंतिम छोर नहीं हैं, बल्कि शुरुआत हैं। 

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वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के लिए चुना गया सोहबर गांव
सोहबर को मेघालय के उन 92 गांवों में शामिल किया गया है, जिन्हें 'वाइब्रेंट विलेज' कार्यक्रम के दूसरे चरण में चुना गया है। मंत्री ने सोहबर में सड़क, टेलीकॉम और डिजिटल कनेक्टिविटी, टेलीविजन कवरेज और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के विकास पर जोर दिया। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि गांव के पांच किलोमीटर के दायरे में बैंक, एटीएम या वित्तीय संस्था की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि ग्रामीण विकास और उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा सके। 

रामकृष्ण मिशन आश्रम स्कूल का दौरा करेंगी वित्त मंत्री
अपने चार दिन के मेघालय दौरे के अंतिम दिन रविवार को वह सोहरा स्थित रामकृष्ण मिशन आश्रम स्कूल जाएंगी। यह संस्था दशकों से इस क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

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