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Nepal Unrest: नेपाल में हिंसा के बाद दहशत का माहौल; पानीटंकी के रास्ते भारत लौटे लोग, बोले- अब जान वापस आई
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दार्जिलिंग
Published by: बशु जैन
Updated Wed, 10 Sep 2025 11:17 AM IST
सार
नेपाल में हिंसा से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। ऐसे में नेपाल गए पर्यटक और वहां रहने वाले भारतीय नागरिक पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के पानीटंकी में भारत-नेपाल सीमा पार कर भारत वापस आ गए। भारत आने के बाद नागरिकों ने कहा कि अब अच्छा लग रहा है।
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नेपाल भारत सीमा पर मौजूद भारतीय नागरिक।
- फोटो : ANI
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विस्तार
नेपाल में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ जेन जी के विरोध प्रदर्शन के चलते फैली हिंसा से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। ऐसे में नेपाल गए पर्यटक और वहां रहने वाले भारतीय नागरिक पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के पानीटंकी में भारत-नेपाल सीमा पार कर भारत वापस आ गए। भारत आने के बाद नागरिकों ने कहा कि अब अच्छा लग रहा है। ऐसा लग रहा है कि जान वापस आ गई है।
नेपाल से लौटे असम के निवासी कोहिला ने कहा कि वहां स्थिति नियंत्रण से बाहर है। हड़ताल 10-15 दिनों तक जारी रहेगी। हम असम से हैं और नेपाल से लौट रहे हैं। भारत लौटकर अच्छा लग रहा है। जान वापस आ गई। बुधवार को भारत-नेपाल सीमा पर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया। वहीं काठमांडो दूतावास ने भी भारतीयों से सतर्क रहने और घर से बाहर न निकलने की अपील की।
विदेश मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी
विदेश मंत्रालय (MEA) ने नेपाल के मौजूदा हालात को देखते हुए भारतीय नागरिकों के लिए यात्रा सलाह जारी की है। वहीं नेपाल में चल रहे रोजगार संकट ने जहां लगभग 5,000 युवा हर दिन विदेश में काम की तलाश में देश छोड़ रहे हैं। इसने अशांति को और बढ़ा दिया है।
हालात अस्थिर, पीएम ने दिया इस्तीफा
नेपाल में जेन जी के विरोध प्रदर्शनों के बीच स्थिति अस्थिर बनी हुई है। छात्रों और युवा नागरिकों का यह आंदोलन सरकार से अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग कर रहा है। देश के कई हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन री रहने के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया।
काठमांडो और पोखरा, बुटवल तथा बीरगंज सहित अन्य प्रमुख शहरों में 8 सितंबर को विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। प्रदर्शनकारी शासन में संस्थागत भ्रष्टाचार और पक्षपात को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि सरकार अपनी निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिक जवाबदेह और पारदर्शी हो। प्रदर्शनकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगे प्रतिबंध को हटाने की भी मांग कर रहे हैं, जिसे वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास मानते हैं।
सोशल मीडिया पर पाबंदी के बाद बढ़ा बवाल
फेसबुक और यूट्यूब समेत 26 सोशल मीडिया मंचों पर पाबंदी के बाद सोमवार को शुरू हुआ जेन-जी आंदोलन सोमवार देर रात सरकार की ओर से पाबंदी हटाने के बावजूद मंगलवार को और उग्र हो गया। राजधानी काठमांडो में कर्फ्यू और भारी सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए प्रदर्शनकारियों ने सिंह दरबार, संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, विशेष अदालत, राष्ट्रपति आवास, शीर्ष नेताओं के घर और विभिन्न दलों के दफ्तरों में आगजनी और तोड़फोड़ की।
सिंह दरबार पूरी तरह से राख हो गया है। इसमें पीएम व मंत्रियों के दफ्तर हैं। पीएम ओली के बालकोट और जनकपुर स्थित निजी घरों, पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड, संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग, पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक, ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का का बुढानीलकंठ घर और कांग्रेस महासचिव गगन थापा के रातोपुल निवास तक को निशाना बनाया। अब तक सुरक्षा बलों के साथ झड़पों में कम से कम 20 लोग मारे गए और 500 घायल हुए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए काठमांडो सहित कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया।
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नेपाल से लौटे असम के निवासी कोहिला ने कहा कि वहां स्थिति नियंत्रण से बाहर है। हड़ताल 10-15 दिनों तक जारी रहेगी। हम असम से हैं और नेपाल से लौट रहे हैं। भारत लौटकर अच्छा लग रहा है। जान वापस आ गई। बुधवार को भारत-नेपाल सीमा पर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया। वहीं काठमांडो दूतावास ने भी भारतीयों से सतर्क रहने और घर से बाहर न निकलने की अपील की।
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विदेश मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी
विदेश मंत्रालय (MEA) ने नेपाल के मौजूदा हालात को देखते हुए भारतीय नागरिकों के लिए यात्रा सलाह जारी की है। वहीं नेपाल में चल रहे रोजगार संकट ने जहां लगभग 5,000 युवा हर दिन विदेश में काम की तलाश में देश छोड़ रहे हैं। इसने अशांति को और बढ़ा दिया है।
हालात अस्थिर, पीएम ने दिया इस्तीफा
नेपाल में जेन जी के विरोध प्रदर्शनों के बीच स्थिति अस्थिर बनी हुई है। छात्रों और युवा नागरिकों का यह आंदोलन सरकार से अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग कर रहा है। देश के कई हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन री रहने के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया।
काठमांडो और पोखरा, बुटवल तथा बीरगंज सहित अन्य प्रमुख शहरों में 8 सितंबर को विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। प्रदर्शनकारी शासन में संस्थागत भ्रष्टाचार और पक्षपात को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि सरकार अपनी निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिक जवाबदेह और पारदर्शी हो। प्रदर्शनकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगे प्रतिबंध को हटाने की भी मांग कर रहे हैं, जिसे वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास मानते हैं।
सोशल मीडिया पर पाबंदी के बाद बढ़ा बवाल
फेसबुक और यूट्यूब समेत 26 सोशल मीडिया मंचों पर पाबंदी के बाद सोमवार को शुरू हुआ जेन-जी आंदोलन सोमवार देर रात सरकार की ओर से पाबंदी हटाने के बावजूद मंगलवार को और उग्र हो गया। राजधानी काठमांडो में कर्फ्यू और भारी सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए प्रदर्शनकारियों ने सिंह दरबार, संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, विशेष अदालत, राष्ट्रपति आवास, शीर्ष नेताओं के घर और विभिन्न दलों के दफ्तरों में आगजनी और तोड़फोड़ की।
सिंह दरबार पूरी तरह से राख हो गया है। इसमें पीएम व मंत्रियों के दफ्तर हैं। पीएम ओली के बालकोट और जनकपुर स्थित निजी घरों, पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड, संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग, पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक, ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का का बुढानीलकंठ घर और कांग्रेस महासचिव गगन थापा के रातोपुल निवास तक को निशाना बनाया। अब तक सुरक्षा बलों के साथ झड़पों में कम से कम 20 लोग मारे गए और 500 घायल हुए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए काठमांडो सहित कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया।