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Firecrackers: 'सभी राज्यों में ग्रीन पटाखे ही फूटेंगे', शिवकाशी के पटाखा निर्माताओं ने बताई इसकी वजह
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चेन्नई
Published by: नितिन गौतम
Updated Wed, 15 Oct 2025 02:20 PM IST
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सार
तमिलनाडु फायरवर्क्स एंड एमोर्सेज मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष जी अबीरुबेन ने बताया कि पारपंरिक पटाखे अब सिर्फ अवैध पटाखा निर्माताओं द्वारा ही बनाए जा रहे हैं। शिवकाशी के छोटे पटाखा निर्माता भी अब सीएसआईआर के फार्मूले पर ही ग्रीन पटाखे बना रहे हैं।

दुकान पर रखे ग्रीन पटाखे
- फोटो : एएनआई
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विस्तार
देश में पटाखे बनाने के लिए प्रसिद्ध तमिलनाडु के शिवकाशी के पटाखा निर्माताओं का कहना है कि न सिर्फ दिल्ली एनसीआर बल्कि सभी राज्यों में ग्रीन पटाखे ही फूटेंगे। उन्होंने बताया कि शिवकाशी में पटाखे बनाने वाले अधिकतर निर्माता अब ग्रीन पटाखे बनाना शुरू कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली और एनसीआर में दिवाली के मौके पर ग्रीन पटाखे जलाने की मंजूरी दे दी। हालांकि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तें भी लगाई हैं।
पटाखों से होने वाले प्रदूषण में आएगी 50 फीसदी तक की कमी
शर्तों के तहत दिवाली वाले दिन और दिवाली से एक दिन पहले कुछ घंटों के लिए ही ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति होगी। हालांकि ग्रीन पटाखों की बिक्री 18 अक्तूबर से लेकर 21 अक्तूबर तक होगी। ग्रीन पटाखे काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च- नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSIR-NEERI) द्वारा विकसित किए गए हैं। सामान्य पटाखों में कुछ विशेष एडिटिव्स मिलाकर ग्रीन पटाखे बनाए जाते हैं और इनमें सामान्य स्तर से 30-35 प्रतिशत कम उत्सर्जन होता है और भविष्य में इसमें 50 फीसदी की कमी लाई जाएगी।
ये भी पढ़ें- Green Patakha: दिल्ली में ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति, क्या स्वास्थ्य पर भारी पड़ी राजनीति?
शिवकाशी में ही 95 प्रतिशत पटाखों का होता है निर्माण
शिवकाशी स्थित श्री बालाजी फायर वर्क्स इंडस्ट्रीज के मालिक आर बालाजी ने बताया कि विशेष एडिटिव्स मिलाकर पटाखों को ग्रीन बनाने की प्रक्रिया आसान है और बीते चार वर्षों में हमारी फैक्ट्री में 100 फीसदी ग्रीन पटाखे ही बने हैं। तमिलनाडु फायरवर्क्स एंड एमोर्सेज मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष जी अबीरुबेन ने बताया कि पारपंरिक पटाखे अब सिर्फ अवैध पटाखा निर्माताओं द्वारा ही बनाए जा रहे हैं। शिवकाशी के छोटे पटाखा निर्माता भी अब सीएसआईआर के फार्मूले पर ही ग्रीन पटाखे बना रहे हैं। देश के 95 प्रतिशत पटाखों का निर्माण शिवकाशी में होता है।
अबीरुबेन ने बताया कि सीएसआईआर की एनईईआरआई लैब की मदद से बन रहे ग्रीन पटाखों में सिर्फ कम प्रदूषण होता है बल्कि ये इस्तेमाल में भी सुरक्षित हैं। ग्रीन पटाखों के निर्माण में 40 फीसदी लागत पटाखा निर्माता देते हैं और बाकी की 60 फीसदी लागत केंद्र सरकार की तरफ से दी जाती है। कुछ परीक्षणों में प्रदूषण का स्तर 75-80 प्रतिशत तक कम करने में मदद मिली है, लेकिन अभी इन पटाखों की सुरक्षा जांच होनी बाकी है।

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पटाखों से होने वाले प्रदूषण में आएगी 50 फीसदी तक की कमी
शर्तों के तहत दिवाली वाले दिन और दिवाली से एक दिन पहले कुछ घंटों के लिए ही ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति होगी। हालांकि ग्रीन पटाखों की बिक्री 18 अक्तूबर से लेकर 21 अक्तूबर तक होगी। ग्रीन पटाखे काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च- नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSIR-NEERI) द्वारा विकसित किए गए हैं। सामान्य पटाखों में कुछ विशेष एडिटिव्स मिलाकर ग्रीन पटाखे बनाए जाते हैं और इनमें सामान्य स्तर से 30-35 प्रतिशत कम उत्सर्जन होता है और भविष्य में इसमें 50 फीसदी की कमी लाई जाएगी।
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शिवकाशी में ही 95 प्रतिशत पटाखों का होता है निर्माण
शिवकाशी स्थित श्री बालाजी फायर वर्क्स इंडस्ट्रीज के मालिक आर बालाजी ने बताया कि विशेष एडिटिव्स मिलाकर पटाखों को ग्रीन बनाने की प्रक्रिया आसान है और बीते चार वर्षों में हमारी फैक्ट्री में 100 फीसदी ग्रीन पटाखे ही बने हैं। तमिलनाडु फायरवर्क्स एंड एमोर्सेज मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष जी अबीरुबेन ने बताया कि पारपंरिक पटाखे अब सिर्फ अवैध पटाखा निर्माताओं द्वारा ही बनाए जा रहे हैं। शिवकाशी के छोटे पटाखा निर्माता भी अब सीएसआईआर के फार्मूले पर ही ग्रीन पटाखे बना रहे हैं। देश के 95 प्रतिशत पटाखों का निर्माण शिवकाशी में होता है।
अबीरुबेन ने बताया कि सीएसआईआर की एनईईआरआई लैब की मदद से बन रहे ग्रीन पटाखों में सिर्फ कम प्रदूषण होता है बल्कि ये इस्तेमाल में भी सुरक्षित हैं। ग्रीन पटाखों के निर्माण में 40 फीसदी लागत पटाखा निर्माता देते हैं और बाकी की 60 फीसदी लागत केंद्र सरकार की तरफ से दी जाती है। कुछ परीक्षणों में प्रदूषण का स्तर 75-80 प्रतिशत तक कम करने में मदद मिली है, लेकिन अभी इन पटाखों की सुरक्षा जांच होनी बाकी है।
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