महिला आरक्षण विधेयक: 'केंद्र ने इसे अनुच्छेद 370 की तरह प्राथमिकता क्यों नहीं दी,' स्टालिन ने पूछा सवाल
तमिलनाडु मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने महिला आरक्षण विधेयक को मौजूदा स्वरूप के लिए चुनावी हथकंडा करार देते हुए कहा कि 2029 में ही लागू होने वाली किसी चीज के लिए अभी विधेयक को अपनाना अजीब चाल है।

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तमिलनाडु मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने महिला आरक्षण विधेयक को मौजूदा स्वरूप के लिए चुनावी हथकंडा करार देते हुए कहा कि 2029 में ही लागू होने वाली किसी चीज के लिए अभी विधेयक को अपनाना अजीब चाल है। इसके लिए समय सीमा की कोई गारंटी नहीं है।

द्रमुक प्रमुख स्टालिन ने यह सुनिश्चित करने को लेकर भी जोर दिया कि क्या इसमें पिछड़े वर्गों की महिलाओं के लिए भी आरक्षण है। उन्होंने यह भी मांग की कि केंद्र तमिलनाडु और पूरे दक्षिण भारत के लोगों को आश्वस्त करे कि परिसीमन अभ्यास उन राज्यों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा जो अपनी आबादी को नियंत्रित करने में कामयाब रहे हैं।
उन्होंने कहा, परिसीमन तमिलनाडु और दक्षिण भारत के सिर पर लटकी तलवार की तरह है। दक्षिण भारत के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को कम करने की राजनीतिक साजिश को नाकाम किया जाना चाहिए। स्टालिन ने यहां एक बयान में जनगणना के आधार पर परिसीमन का जिक्र किया और कहा कि 'राजनीतिक रूप से सतर्क तमिलनाडु' के साथ विश्वासघात करने के प्रयास को नाकाम किया जाना चाहिए।
महिला विधेयक को चुनावी हार की आशंका से पहले शुरू किया गया हथकंडा करार देते हुए द्रमुक प्रमुख ने कहा कि जनगणना और परिसीमन नहीं हुआ है तो से पहले 2029 में लागू होने वाले इस विधेयक को अभी अपनाना अजीब चाल है, जिसके लिए इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि यह कब होगा।
स्टालिन ने जानना चाहा कि केंद्र ने महिला विधेयक को पारित कराने में उतनी दिलचस्पी क्यों नहीं दिखाई, जिस तरह से उसने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 फीसदी आरक्षण लाने के लिए विधेयक पारित किए। लोग भाजपा शासन को समझ गए हैं, जो पिछले नौ वर्षों से इस मामले पर उदासीन होने के बाद अब विधेयक लाकर उनकी आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रही है, यह एक चुनावी हथकंडा है।