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Stock Market: शेयर बाजार में गिरावट से 91 लाख एनपीएस कर्मियों को फटका, 7 दिन में 3% का नुकसान
सार
Stock Market: अगर इन सात दिनों का हिसाब देखेंगे तो पाएंगे कि यूटीआई की यूनिट की वैल्यू घटकर 46.54 रुपये से घटकर 45.19 रुपये पर पहुंच गई है। एलआईसी की यूनिट 45.73 रुपये से घटकर 45.44 रुपये रह गई है। हालांकि एसबीआई की यूनिट वैल्यू (45.77 रुपये से 46.24 रुपये) कुछ बढ़ी है।
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भारतीय शेयर बाजार
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
शेयर बाजार में लगातार हो रही गिरावट से जहां एक तरफ निवेशकों को भारी नुकसान हो रहा है, वहीं एनपीएस में शामिल सरकारी कर्मियों को भी इससे फटका लगा है। नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के अध्यक्ष मंजीत सिंह पटेल के मुताबिक, पिछले सात दिनों में 91 लाख से अधिक एनपीएस कर्मियों को 3 प्रतिशत का नुकसान हो चुका है। सात दिन पहले के हमारे एनपीएस अकाउंट से 28000 रुपये घटकर 44.71 लाख रुपये से 44.43 लाख रुपये रह गए हैं। शेयर मार्केट के गिरने से यह नुकसान हो रहा है। कोरोना संक्रमण के दौरान भी एनपीएस कर्मियों को बहुत नुकसान हुआ था।
बतौर डॉ. पटेल, अगर इन सात दिनों का हिसाब देखेंगे तो पाएंगे कि यूटीआई की यूनिट की वैल्यू घटकर 46.54 रुपये से घटकर 45.19 रुपये पर पहुंच गई है। एलआईसी की यूनिट 45.73 रुपये से घटकर 45.44 रुपये रह गई है। हालांकि एसबीआई की यूनिट वैल्यू (45.77 रुपये से 46.24 रुपये) कुछ बढ़ी है। ताजा अपडेट, सोमवार देर रात तक मिल सकेगा। कुल मिलाकर केवल सात दिन में ही 91 लाख से अधिक एनपीएस कर्मियों को लगभग 3 फीसदी का नुकसान हो चुका है। इसके पीछे के आंकड़े और भी बुरे हैं। पिछले दिनों कार्मिक मंत्रालय के साथ हुई मीटिंग में भी 'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' ने इस बात पर फोकस किया था कि कर्मचारी अंशदान पर जीपीएफ के ब्याज के बराबर ब्याज की गारंटी दे कर उस पैसे को शेयर बाजार की अनिश्चितता से बचाया जाए।
कर्मचारी नेता के अनुसार, अगर ब्याज अधिक हो तो सरकार अपने अंशदान में एडजस्ट कर ले और यदि कम हो तो उसको पूरा करे। सेवानिवृत्ति/अनिवार्य सेवानिवृत्ति/स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर कर्मचारी अंशदान की वापसी करके, सरकारी अंशदान को वापस करने के बदले ओपीएस के अनुसार पेंशन देने की व्यवस्था की जाए। तभी सरकारी कर्मचारी अपना आंदोलन बंद करेंगे, उससे पहले यह संभव नहीं है। ऐसा करने से सरकार को न केवल उसका अंशदान मिलना संभव होगा, बल्कि बिना किसी विशेष बोझ के पेंशन के वित्तीय मसले को भी सुलझाया जा सकेगा। सरकार को इस बाबत आगे बढ़ना चाहिए।
कार्मिक मंत्रालय भारत सरकार के बुलावे पर पिछले दिनों ऑल इंडिया एनपीएस एम्पलाइज फेडरेशन ने डीओपीटी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स एवं पेंशन ग्रीवेंस के सेक्रेटरी वी श्रीनिवास के साथ पेंशन से संबंधित कई मुद्दों पर व्यापक विचार विमर्श किया था। कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति, अनिवार्य सेवा निवृत्ति और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के मामलों में कर्मचारी अंशदान की वापसी और सरकारी अंशदान को सरकार को वापस करने पर पुरानी पेंशन के नियम अनुसार, पेंशन की गारंटी दिए जाने के लिए अपने तर्क प्रस्तुत किए।
पटेल ने बताया, बिहार से हर रोज सैकड़ों फोन आ रहे हैं, जहां बहुत से सरकारी कर्मचारी एनपीएस में 13 से 15 साल की रेगुलर नौकरी करने के बाद रिटायर हुए हैं, जबकि उनकी कुल सेवा 25 वर्षों से भी अधिक की रही है। बिहार के कर्मियों का कहना है कि उन्हें 1500 रुपये से 3000 रुपये तक की पेंशन मिल रही है। यही नहीं, बिहार सरकार ने अभी तक केंद्र सरकार के 30 मार्च 2021 के डेथ एंड डिसेबिलिटी में ओपीएस के विकल्प की सुविधा वाले नियम को भी लागू नहीं किया है। इस बाबत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आग्रह किया गया है कि हजारों कर्मचारी एवं उनके परिवार दुखी और असहाय हैं। सभी कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ देकर उनके बुढ़ापे की सामाजिक आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करें।
पटेल के अनुसार, पिछले वर्ष जून से ही शेयर मार्केट औंधे मुंह गिरता जा रहा है। फॉरेन इन्वेस्टर्स लगातार शेयर बेच रहे हैं। खरीददार गायब हैं। ऐसे में अगर कोई है जो मार्केट को सहारा दे रहा है, वो है हर महीने 91 लाख एनपीएस कर्मचारियों की सेलरी का 10 प्रतिशत हिस्सा और सरकार का 14 प्रतिशत हिस्सा, जो शेयर मार्केट में जा रहा है। यह रकम तकरीबन 12000 करोड़ रुपये प्रति माह बैठती है। सरकार को समझना चाहिए कि ऐसी विकट परिस्थितियों में जिस पैसे से मार्केट क्रैश होने से बचा हुआ है, कम से कम उन सरकारी कर्मचारियों के अंशदान पर तो जीपीएफ के बराबर ब्याज की गारंटी दे देनी चाहिए।
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बतौर डॉ. पटेल, अगर इन सात दिनों का हिसाब देखेंगे तो पाएंगे कि यूटीआई की यूनिट की वैल्यू घटकर 46.54 रुपये से घटकर 45.19 रुपये पर पहुंच गई है। एलआईसी की यूनिट 45.73 रुपये से घटकर 45.44 रुपये रह गई है। हालांकि एसबीआई की यूनिट वैल्यू (45.77 रुपये से 46.24 रुपये) कुछ बढ़ी है। ताजा अपडेट, सोमवार देर रात तक मिल सकेगा। कुल मिलाकर केवल सात दिन में ही 91 लाख से अधिक एनपीएस कर्मियों को लगभग 3 फीसदी का नुकसान हो चुका है। इसके पीछे के आंकड़े और भी बुरे हैं। पिछले दिनों कार्मिक मंत्रालय के साथ हुई मीटिंग में भी 'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' ने इस बात पर फोकस किया था कि कर्मचारी अंशदान पर जीपीएफ के ब्याज के बराबर ब्याज की गारंटी दे कर उस पैसे को शेयर बाजार की अनिश्चितता से बचाया जाए।
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कर्मचारी नेता के अनुसार, अगर ब्याज अधिक हो तो सरकार अपने अंशदान में एडजस्ट कर ले और यदि कम हो तो उसको पूरा करे। सेवानिवृत्ति/अनिवार्य सेवानिवृत्ति/स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर कर्मचारी अंशदान की वापसी करके, सरकारी अंशदान को वापस करने के बदले ओपीएस के अनुसार पेंशन देने की व्यवस्था की जाए। तभी सरकारी कर्मचारी अपना आंदोलन बंद करेंगे, उससे पहले यह संभव नहीं है। ऐसा करने से सरकार को न केवल उसका अंशदान मिलना संभव होगा, बल्कि बिना किसी विशेष बोझ के पेंशन के वित्तीय मसले को भी सुलझाया जा सकेगा। सरकार को इस बाबत आगे बढ़ना चाहिए।
कार्मिक मंत्रालय भारत सरकार के बुलावे पर पिछले दिनों ऑल इंडिया एनपीएस एम्पलाइज फेडरेशन ने डीओपीटी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स एवं पेंशन ग्रीवेंस के सेक्रेटरी वी श्रीनिवास के साथ पेंशन से संबंधित कई मुद्दों पर व्यापक विचार विमर्श किया था। कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति, अनिवार्य सेवा निवृत्ति और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के मामलों में कर्मचारी अंशदान की वापसी और सरकारी अंशदान को सरकार को वापस करने पर पुरानी पेंशन के नियम अनुसार, पेंशन की गारंटी दिए जाने के लिए अपने तर्क प्रस्तुत किए।
पटेल ने बताया, बिहार से हर रोज सैकड़ों फोन आ रहे हैं, जहां बहुत से सरकारी कर्मचारी एनपीएस में 13 से 15 साल की रेगुलर नौकरी करने के बाद रिटायर हुए हैं, जबकि उनकी कुल सेवा 25 वर्षों से भी अधिक की रही है। बिहार के कर्मियों का कहना है कि उन्हें 1500 रुपये से 3000 रुपये तक की पेंशन मिल रही है। यही नहीं, बिहार सरकार ने अभी तक केंद्र सरकार के 30 मार्च 2021 के डेथ एंड डिसेबिलिटी में ओपीएस के विकल्प की सुविधा वाले नियम को भी लागू नहीं किया है। इस बाबत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आग्रह किया गया है कि हजारों कर्मचारी एवं उनके परिवार दुखी और असहाय हैं। सभी कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ देकर उनके बुढ़ापे की सामाजिक आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करें।
पटेल के अनुसार, पिछले वर्ष जून से ही शेयर मार्केट औंधे मुंह गिरता जा रहा है। फॉरेन इन्वेस्टर्स लगातार शेयर बेच रहे हैं। खरीददार गायब हैं। ऐसे में अगर कोई है जो मार्केट को सहारा दे रहा है, वो है हर महीने 91 लाख एनपीएस कर्मचारियों की सेलरी का 10 प्रतिशत हिस्सा और सरकार का 14 प्रतिशत हिस्सा, जो शेयर मार्केट में जा रहा है। यह रकम तकरीबन 12000 करोड़ रुपये प्रति माह बैठती है। सरकार को समझना चाहिए कि ऐसी विकट परिस्थितियों में जिस पैसे से मार्केट क्रैश होने से बचा हुआ है, कम से कम उन सरकारी कर्मचारियों के अंशदान पर तो जीपीएफ के बराबर ब्याज की गारंटी दे देनी चाहिए।