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Supreme Court: रियायत के लिए हाईकोर्ट के सदस्य ने जज से किया था संपर्क, अब सुप्रीम कोर्ट ने दिए जांच के आदेश

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Wed, 27 Aug 2025 03:18 PM IST
सार

सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी के जस्टिस शरद कुमार शर्मा के गंभीर आरोपों पर जांच का आदेश दिया है। शर्मा ने दावा किया कि उन्हें उच्च न्यायपालिका के एक सदस्य ने एक पक्ष के पक्ष में आदेश देने के लिए संपर्क किया। यह मामला केएलएसआर इंफ्राटेक की दिवालियापन प्रक्रिया से जुड़ा है।

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supreme court order probe investigation after Chennai-based NCLAT judicial member claim approached for favour
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण के एक जज द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों पर जांच के आदेश दिए हैं। चेन्नई स्थित एनसीएलएटी के न्यायिक सदस्य जस्टिस शरद कुमार शर्मा ने दावा किया है कि उन्हें उच्च न्यायपालिका के एक सदस्य ने एक मामले में पक्षपातपूर्ण आदेश देने के लिए संपर्क किया। यह घटना तब सामने आई जब उन्होंने खुद को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया और इसे एक आदेश में दर्ज किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है और शीर्ष अदालत के सेक्रेटरी जनरल को जांच का जिम्मा सौंपा है।
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जस्टिस शर्मा ने 13 अगस्त को पारित आदेश में कहा कि उन्हें उच्च न्यायपालिका के एक सम्मानित सदस्य ने प्रभावित करने की कोशिश की। इस कारण उन्होंने खुद को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया। आदेश में लिखा गया कि हम व्यथित हैं कि हमारे एक न्यायिक सदस्य से देश की उच्च न्यायपालिका के एक सम्मानित सदस्य ने किसी पक्ष के पक्ष में आदेश देने की मांग की। इसलिए मैं इस मामले की सुनवाई से अलग होता हूं। इसके बाद मामले को एनसीएलएटी अध्यक्ष के पास भेजा गया ताकि उचित पीठ के समक्ष इसकी सुनवाई हो सके।
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मामला किससे जुड़ा है?
यह विवाद हैदराबाद की रियल एस्टेट कंपनी केएलएसआर इंफ्राटेक से जुड़ा है, जिसके खिलाफ कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया चल रही है। 14 जुलाई 2023 को हैदराबाद एनसीएलटी ने कंपनी के खिलाफ एएस मेट कॉर्प प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर कार्रवाई करते हुए कंपनी के बोर्ड को निलंबित कर दिया और एक अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया। इस आदेश को केएलएसआर इंफ्राटेक के निलंबित निदेशक ए. एस. रेड्डी ने एनसीएलएटी में चुनौती दी। सुनवाई पूरी होने के बाद 18 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया गया और दोनों पक्षों को लिखित दलीलें दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया गया था।

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जस्टिस शर्मा के पहले के फैसले
जस्टिस शर्मा 31 दिसंबर 2023 को उत्तराखंड हाईकोर्ट से रिटायर हुए थे और 19 फरवरी 2024 को एनसीएलएटी में न्यायिक सदस्य बने। उन्होंने इससे पहले भी कई मामलों की सुनवाई से खुद को अलग किया था। उदाहरण के लिए, बायजूस से जुड़े दिवालियापन मामले में उन्होंने कहा था कि वह बीसीसीआई के लिए वकील रह चुके हैं, इसलिए सुनवाई से हट रहे हैं। इसी तरह जेप्पीआर सीमेंट्स और रामलिंगा मिल्स से जुड़े मामलों में भी उन्होंने खुद को अलग कर लिया था। इस बार का मामला हालांकि कहीं ज्यादा गंभीर है क्योंकि इसमें न्यायपालिका पर ही दबाव डालने का आरोप शामिल है।

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सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
सुप्रीम कोर्ट ने इसे न्यायिक आचरण और स्वतंत्रता से जुड़ा गंभीर मामला माना है। अदालत ने कहा है कि जांच पूरी होने के बाद ही अगला कदम तय किया जाएगा। इस जांच से न केवल एनसीएलएटी की कार्यप्रणाली बल्कि पूरी न्यायिक व्यवस्था पर उठे सवालों का जवाब मिलेगा। यह मामला न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर व्यापक बहस छेड़ सकता है। फिलहाल सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की आगे की कार्यवाही पर टिकी हैं।

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