SC Updates: सुप्रीम कोर्ट- NIA कोर्ट 6 माह में केस निपटाएं; नॉन-बायोडिग्रेडेबल वकील बैंड प्रतिबंध याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार आवश्यक न्यायिक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराएगी। साथ ही सुनिश्चित करेगी कि एनआईए अदालतें दिन रात काम कर राष्ट्र विरोधी अपराध करने वालों के खिलाफ मुकदमे छह महीने में खत्म करें। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने दुर्दांत अपराधियों के मुकदमे शीघ्र खत्म किए जाने की वकालत करते हुए कहा कि यदि मुकदमा छह महीने में पूरा हो जाता है, तो आरोपी को लंबी सुनवाई के आधार पर जमानत नहीं मिल पाएगी। पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी से कहा, आप बस आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार करें और मुकदमा शीघ्र पूरा हो, ताकि राष्ट्र के विरुद्ध अपराध करने वालों या जघन्य अपराधों में शामिल लोगों को जमानत न मिले। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अदालतें छह महीने में मुकदमा पूरा करने के लिए दिन-रात काम करें। एएसजी ने दलील दी कि केंद्रीय गृह सचिव इस मामले से अवगत हैं और विशेष एनआईए अदालतों और विशेष कानूनों के लिए समर्पित अन्य अदालतों की स्थापना के मुद्दे पर विभिन्न राज्य सरकारों के साथ बैठक की गई है।
तो क्या अब हमें रूमालों के इस्तेमाल पर भी नजर रखनी चाहिए: शीर्ष कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की सभी अदालतों में वकीलों के लिए नॉन बायोडिग्रेडेबल वकील बैंड पर प्रतिबंध की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। सीजेआई जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि तो क्या अब हमें रूमालों के इस्तेमाल पर भी नजर रखनी चाहिए? वकील बैंड को वकील टाई की जगह पहनते हैं। याचिकाकर्ता साक्षी विजय एक वकील की पत्नी है। उन्होंने इस्तेमाल किए गए वकील बैंड के संग्रह, पृथक्करण, निपटान और रीसाइक्लिंग के लिए एक समान और पर्यावरण के अनुकूल प्रणाली की मांग की। साक्षी ने कहा, दिवाली की सफाई के दौरान मुझे कई बेकार पड़े वकीलों के बैंड मिले। ये नॉन बायोडिग्रेडेबल सामग्री से बने थे।
साक्षी ने पीठ को बताया कि ऐसे कपड़े के बैंडों के लगातार इस्तेमाल से पर्यावरणीय अपशिष्ट बढ़ता है और इसके लिए नियमन की आवश्यकता है। उन्होंने पीठ से आग्रह किया कि वह हस्तक्षेप करे और पर्यावरणीय आधार पर इन कपड़े के सामानों को नियंत्रित करे। साक्षी विजय जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। इस पर सीजेआई ने कहा, आखिर हमारा काम क्या-क्या है। ब्यूरो
16 राज्य बार काउंसिलों में चुनावों की निगरानी के लिए पैनल गठित
सुप्रीम कोर्ट ने 16 राज्य बार काउंसिलों के चुनावों की निगरानी के लिए एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के जज की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त पर्यवेक्षी समिति का गठन किया। अदालत ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया न्यायसंगत, निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने राज्य बार काउंसिलों के चुनाव कई चरणों में कराने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि प्रत्येक बार निकाय में 31 मार्च, 2026 तक एक नया निर्वाचित निकाय होना चाहिए। पीठ ने कहा कि उच्चाधिकार प्राप्त समिति की अध्यक्षता शीर्ष न्यायालय के सेवानिवृत्त जज करेंगे। इसमें हाईकोर्ट के एक पूर्व चीफ जस्टिस और एक प्रतिष्ठित वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल होंगे, जो बार निकाय चुनाव लड़ते हैं।
यूपी और तेलंगाना में 31 जनवरी को मतदान : पीठ ने उत्तर प्रदेश और तेलंगाना जैसी कुछ राज्य बार काउंसिलों के नाम लिए, जहां 31 जनवरी को मतदान होगा। इसी तरह, आंध्र प्रदेश, दिल्ली और त्रिपुरा जैसी अन्य बार काउंसिलों में फरवरी में दूसरे चरण में चुनाव होंगे। तीसरे और चौथे चरण के मतदान के लिए अन्य बार काउंसिलों के नाम भी घोषित किए गए।