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प. बंगाल: सीमावर्ती क्षेत्र पशु तस्करी के लिए कुख्यात, कमांडेंट नेगी ने बदली तस्वीर, अब कश्मीर में देंगे सेवा

एन. अर्जुन, कोलकाता। Published by: देव कश्यप Updated Fri, 14 Oct 2022 12:43 AM IST
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सार

जाबांज और दूरदर्शी सोच वाले बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर अंतर्गत 153वीं बटालियन के कमांडेंट जवाहर सिंह नेगी ने पशु तस्करी के लिए कुख्यात पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले की तस्वीर बदल दी है। अब उनका तबादला जम्मू कश्मीर हो गया है। नेगी अब राजौरी में बीएसएफ के सेक्टर मुख्यालय में सेवाएं देंगे।

The border area of West Bengal notorious for animal smuggling, Commandant Negi changed the picture
बीएसएफ के कमांडेंट जवाहर सिंह नेगी। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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भारत-बांग्लादेश का सीमावर्ती क्षेत्र पशु तस्करी के लिए कुख्यात रहा है। पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के बीओपी पानीतार, दोबिला, गोवर्धा, घोजाडांगा और कैजुरी के क्षेत्रों से कुछ साल पहले तक पशु से लेकर कई तरह की तस्करी होती थी। यह जिला सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अंतर्गत आता है। एक समय में तस्करी के लिए बदनाम इलाके की तस्वीर अब धीरे-धीरे बदलने लगी है। यहां पर अब तस्करी लगभग बंद हो गई है।

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कई युवाओं ने अपना रास्ता बदल लिया और मुख्यधारा में शामिल होकर अपना भविष्य संवार रहे हैं। यह सब कुछ संभव हो पाया जाबांज और दूरदर्शी सोच वाले बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर अंतर्गत 153वीं बटालियन के कमांडेंट जवाहर सिंह नेगी की बदौलत। नेगी मूल रूप से उत्तराखंड के देहरादून जिले के कालसी तेहसिल के झुटाया गांव के रहने वाले हैं, जिन्होंने मार्च, 2019 में इस बटालियन की कमान संभाली। नेगी का नाम सुनते ही सीमा पर तस्कर थर-थर कांपते हैं। आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि इस क्षेत्र में पशु तस्करी अब पूरी तरह से बंद हो चुकी है।
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अब कश्मीर में देंगे सेवाएं
कमांडेंट नेगी के अनुसार, बीते दो- ढ़ाई वर्षों में इस बटालियन की जिम्मेदारी के बाद से करीब 35 किलोमीटर सीमा इलाके से पशु तस्करी का कोई भी मामला सामने नहीं आया है। कुशल नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शी सोच के साथ आगे बढ़ने वाले कमांडेंट नेगी का तबादला अब जम्मू कश्मीर हो गया है। करीब तीन साल छह महीने तक 153वीं बटालियन का नेतृत्व करने वाले नेगी ने नवनियुक्त कमांडेंट को अपना कार्यभार सौंप दिया है। नेगी अब राजौरी में बीएसएफ के सेक्टर मुख्यालय में सेवाएं देंगे।

 बेहतर सीमा प्रबंधन के लिए नेगी को मिल चुके हैं कई पुरस्कार
153वीं वाहिनी के क्षेत्र में शून्य पशु तस्करी और अपराध दर नियंत्रित करने एवं बेहतर सीमा प्रबंधन के लिए नेगी को कई पुरस्कार भी मिल चुके हें। इसमें बीएसएफ महानिदेशक प्रशस्ति पत्र से लेकर कई आइजी प्रशस्ति पत्र भी शामिल हैं। नेगी इसका सारा श्रेय जवानों व अधिकारियों की कड़ी मेहनत को देते हैं। नेगी ने आते ही तस्करों के खिलाफ मुहिम छेड़ दी। बड़ी संख्या में तस्करों की धरपकड़ के साथ कई कुख्यात तस्करों को इलाका तक छुड़वा दिया। तस्कर अब उनका नाम सुनते ही थरथर कांपते हैं। पहली बार इसी साल अप्रैल में इलाके के एक कुख्यात तस्कर ने बीएसएफ के समक्ष आत्मसमर्पण तक कर दिया।

गौरतलब है कि कमांडेंट नेगी ने बार्डर इलाके में रहने वाले युवाओं व बच्चों का भविष्य संवारने के लिए फ्री कोचिंग की पहल भी की। 153 बटालियन ने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बार्डर आउट पोस्टों पर ही फ्री कोचिंग की व्यवस्था की। कमांडेंट नेगी की प्रेरणा से बड़ी संख्या में अवैध कार्यों में शामिल युवा आज प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और सैकड़ों युवा लाभान्वित हुए हैं।

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