तिरुप्परनकुंद्रम: विरोध के बीच हुआ दरगाह के वार्षिक उत्सव का झंडारोहण, हिंदू श्रद्धालुओं ने जताई नाराजगी
मदुरै की तिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी पर दरगाह के वार्षिक उत्सव का झंडारोहण विरोध के बीच हुआ। हिंदू श्रद्धालुओं ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने दरगाह को अनुमति दी, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद कार्तिगै दीपम नहीं जलाया गया। विरोध में रोड रोको हुआ और प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया।
विस्तार
तमिलनाडु के मदुरै में स्थित तिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी एक बार फिर धार्मिक और प्रशासनिक विवाद का केंद्र बन गई है। यहां पहाड़ी पर स्थित दरगाह के वार्षिक उत्सव की शुरुआत झंडारोहण के साथ हो गई, लेकिन इसी दौरान एक वर्ग के हिंदू श्रद्धालुओं ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। श्रद्धालुओं का आरोप है कि प्रशासन ने एक समुदाय को अनुमति दी, जबकि अदालत के आदेश के बावजूद कार्तिगै दीपम जलाने की अनुमति नहीं दी गई।
राजस्व विभाग के अधिकारी की अनुमति के बाद 21 दिसंबर की रात हजरत सिकंदर बादुशाह औलिया दरगाह में झंडारोहण किया गया। यह झंडारोहण छह जनवरी 2026 को होने वाले ‘संथनकूडू’ उत्सव से जुड़ा है। इसी फैसले से नाराज हिंदू श्रद्धालुओं और कुछ राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाया कि जब हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ, तो दरगाह को कैसे अनुमति दी गई।
रोड रोको और गिरफ्तारी
प्रशासनिक फैसले के विरोध में रविवार रात श्रद्धालुओं और भाजपा के कार्यकर्ताओं ने ‘रोड रोको’ आंदोलन किया। प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय अधिकारियों पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस ने हस्तक्षेप किया और प्रदर्शन कर रहे लोगों को हिरासत में ले लिया। इस दौरान इलाके में तनाव का माहौल बना रहा।
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हाईकोर्ट आदेश का मुद्दा
विवाद की जड़ 1 दिसंबर को मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ के एकल न्यायाधीश का आदेश है। अदालत ने दरगाह के पास स्थित दीपथून यानी पत्थर के खंभे पर कार्तिगै दीपम जलाने की अनुमति दी थी। इसके बावजूद दीपम नहीं जलाया गया। इसे लेकर कुछ श्रद्धालुओं ने स्थानीय प्रशासन के खिलाफ अवमानना याचिका भी दाखिल की है।
दोहरे मापदंड का आरोप
हिंदू मुन्नानी और भाजपा नेताओं ने प्रशासन पर सीधा आरोप लगाया कि एक ही स्थान पर दो अलग-अलग धार्मिक गतिविधियों के लिए अलग नियम अपनाए जा रहे हैं। उनका कहना है कि दरगाह के उत्सव को अनुमति मिलना और दीपम के लिए अदालती आदेश का पालन न होना, प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने इस फैसले को आस्था के साथ भेदभाव बताया।
इस बीच पुलिस ने सोमवार को हिंदू श्रद्धालुओं को पहाड़ी पर स्थित काशी विश्वनाथर मंदिर के दर्शन की अनुमति दी। सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक दर्शन की इजाजत दी गई, लेकिन कड़ी तलाशी की शर्त रखी गई। प्रशासन का कहना है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। हालांकि, धार्मिक गतिविधियों को लेकर तिरुप्परनकुंद्रम में तनाव अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
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