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Tamil Nadu: वक्फ कानून पर तमिलनाडु के मंत्री की दो टूक, कहा- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही होगा कोई फेरबदल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चेन्नई Published by: बशु जैन Updated Sat, 27 Sep 2025 03:51 PM IST
सार

तमिलनाडु के अल्पसंख्यक और अनिवासी तमिल कल्याण मंत्री एसएस नासर ने कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम से संबंधित याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं। जब तक अंतिम फैसला नहीं सुनाया जाता, तब तक राज्य वक्फ बोर्ड का पुनर्गठन वक्फ संशोधन अधिनियम के अनुसार नहीं किया जाएगा।

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TN minister bluntly on Waqf law, said - any changes will be made only after the decision of the Supreme Court
तमिलनाडु के मंत्री एसएम नासर। - फोटो : एक्स/@Avadi_Nasar
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विस्तार
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वक्फ कानून को लेकर तमिलनाडु के अल्पसंख्यक और अनिवासी तमिल कल्याण मंत्री एसएस नासर ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु वक्फ बोर्ड में तब तक फेरबदल नहीं किया जाएगा, जब तक सुप्रीम कोर्ट अपना अंतिम फैसला नहीं सुना देता।
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नासर ने कहा कि चूंकि वक्फ संशोधन अधिनियम से संबंधित याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय में लंबित हैं। जब तक अंतिम फैसला नहीं सुनाया जाता, तब तक राज्य वक्फ बोर्ड का पुनर्गठन वक्फ संशोधन अधिनियम के अनुसार नहीं किया जाएगा। इसे केंद्र सरकार ने जल्दबाजी में लागू किया था।
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मंत्री ने कहा कि डीएमके सरकार ने वक्फ कानून के साथ छेड़छाड़ का लगातार विरोध किया और राज्य सरकार संशोधन को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट भी गई। शीर्ष अदालत ने 15 सितंबर 2025 को वक्फ संशोधन अधिनियम के चुनिंदा प्रावधानों पर रोक लगाते हुए एक अंतरिम आदेश पारित किया है।

पांच अप्रैल को राष्ट्रपति ने दी थी मंजूरी
केंद्र सरकार ने आठ अप्रैल को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया था। इससे पहले पांच अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस अधिनियम को मंजूरी दी थी। लोकसभा और राज्यसभा ने क्रमशः तीन और चार अप्रैल को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को पारित किया था। कानून के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने अंतरिम आदेश पारित किया। प्रमुख प्रावधानों पर रोक लगाते हुए शीर्ष अदालत ने कानून पर पूरी तरह से रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि इसके पक्ष में संवैधानिकता की पूर्वधारणा है।

याचिकाकर्ताओं का क्या कहना है?
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम ऐतिहासिक कानूनों और सांविधानिक सिद्धांतों से पूरी तरह अलग है और इसका मकसद वक्फ की संपत्ति पर गैर-कानूनी तरीके से नियंत्रण करना है।  25 अप्रैल को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का बचाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट में 1,332 पन्नों का प्रारंभिक हलफनामा दाखिल किया। इस हलफनामे में अदालत से अनुरोध किया गया कि वह इस कानून पर कोई 'सामूहिक रोक' न लगाए, क्योंकि यह कानून संसद ने पारित किया है और इसे संविधान-सम्मत माना जाना चाहिए।
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