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Truckers Strike: 1.68 लाख मौतों पर भारी सियासत, कैसे बचेगी सड़क दुर्घटना में मरने वालों की जान

Amit Sharma Digital अमित शर्मा
Updated Tue, 02 Jan 2024 08:40 PM IST
सार
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में बताया था कि लोगों में सड़कों पर चलने के दौरान जिम्मेदार व्यवहार की कमी है। कड़े कानून बनाकर, वाहनों के चलने की गति पर नियंत्रण लगाकर और लोगों में जिम्मेदार व्यवहार को बढ़ावा देकर इन मौतों में कमी लाई जा सकती है...
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Truckers Strike: Nitin Gadkari told in Parliament that people lack responsible behavior while driving on roads
Truckers Strike - फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar

विस्तार
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देश में हर साल लगभग 1.68 लाख लोगों की जान सड़क दुर्घटनाओं में चली जाती है। यानी हर तीन मिनट में एक या हर दिन 462 लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा देते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सही समय पर चिकिस्ता सुविधा उपलब्ध कराई जा सके, तो इनमें से बहुत सी जानें बचाई जा सकती हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में बताया था कि लोगों में सड़कों पर चलने के दौरान जिम्मेदार व्यवहार की कमी है। कड़े कानून बनाकर, वाहनों के चलने की गति पर नियंत्रण लगाकर और लोगों में जिम्मेदार व्यवहार को बढ़ावा देकर इन मौतों में कमी लाई जा सकती है। सड़क नियमों को लेकर केंद्र सरकार ने जिन प्रावधानों में बड़े बदलाव किए हैं, उन्हें इन मौतों को रोकने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम माना जा रहा है। लेकिन इस बेहद गंभीर मुद्दे पर विपक्ष के कुछ नेताओं के आक्रामक तेवर और बस-ट्रक चालकों-ऑपरेटरों के विरोध ने सरकार की इस महत्वपूर्ण कोशिश की सफलता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिए हैं।

देश के बस-ट्रक चालकों की हड़ताल इनमें से ही कुछ के विरोध में हैं। नए कानून में वाहन चालक द्वारा दुर्घटना होने पर पीड़ित को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध न कराने पर उन पर गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज करने और दस साल तक की सजा देने का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है। दुर्घटना होने पर जमानत मिलने को भी कठिन बनाया गया है। चालकों का सबसे ज्यादा विरोध इसी बात को लेकर है। उनका कहना है कि कोई भी चालक जानबूझकर दुर्घटना नहीं करता। यदि गलती से होने वाली दुर्घटनाओं में भी इस तरह कड़ी सजा दी जाने लगी, तो बस-ट्रक चालकों का जीवन संकट में पड़ जाएगा।

चालकों का तर्क यह भी है कि हमेशा वाहन चालकों की ही गलती नहीं होती। कई बार दुर्घटना में पीड़ित वाहन चालक, दोपहिया चालक या पैदल यात्री जल्दी आगे निकलने की होड़ में गलती कर देते हैं, जिससे दुर्घटना हो जाती है। यदि ऐसी स्थिति में भी चालकों को कड़ी सजा दी जाने लगेगी, तो लोग वाहनों को चलाना बंद कर देंगे। इससे बेरोजगारी पैदा होगी, आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई पर असर पड़ेगा और इस स्थिति में सबका नुकसान होगा। उन्होंने इसी तरह के कुछ अन्य बिंदुओं पर भी अपना विरोध जताया है।

जिम्मेदारी से नहीं बच सकते चालक

परिवहन मामलों के विशेषज्ञ पीसी कपूर ने अमर उजाला से कहा कि बस-ट्रक चालकों, ऑपरेटरों का यह तर्क स्वीकार्य नहीं है। वाहन चालकों को सड़क पर चलने वाले किसी भी व्यक्ति की सुरक्षा के लिए सतर्क रहना ही चाहिए। वे यह नहीं कह सकते कि सामने वाले चालक की गलती से दुर्घटना होने पर उन्हें दंड नहीं दिया जाना चाहिए। सड़कों पर कई बार बच्चे, मानसिक-शारीरिक दिव्यांग व्यक्ति, वृद्ध व्यक्ति या पशु भी चलते हैं। कई बार उनसे सड़क नियमों को जानने, मानने या उसके पालन करने की उम्मीद नहीं की जा सकती। लेकिन इसका यह अर्थ कतई नहीं लगाया जा सकता है कि ऐसे लोगों की सड़क दुर्घटना होने पर वाहन चालकों को दंडित नहीं किया जाना चाहिए।

इसी प्रकार कई बार सड़कों पर किसी बेजान वस्तु के होने, गड्ढा होने या कोई पत्थर गिरने से भी सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। इनके कारण दुर्घटना होने पर किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। परिवहन विशेषज्ञों का मानना है कि निर्धारित गति सीमा में ही रहकर वाहन चलाने से ऐसी दुर्घटनाओं से बचने की संभावना बढ़ जाती है। जबकि अनियंत्रित होकर या शराब पीकर वाहन चलाने से हर प्रकार की वाहन दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।

हड़ताल पर उतरे चालकों-ऑपरेटरों को समझना होगा कि जिन 1.68 लाख लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु होती है, या जिनमें स्थाई विकलांगता आ जाती है, उससे एक पूरे परिवार का जीवन हमेशा के लिए प्रभावित हो जाता है। बहुत मामलों में स्वयं वाहन चालकों का जीवन और उनके परिवार की जिंदगी भी प्रभावित हो जाती है।

वाहन चालकों को यह समझना होगा कि वाहन चलाने के लिए ड्राइविंग सीट पर बैठने के साथ ही सड़क पर चलने वाले किसी भी व्यक्ति, वस्तु से सुरक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है। वह कोई व्यक्ति, बच्चा, पशु या बेजान वस्तु भी हो सकती है। इसके लिए नियंत्रित गति सीमा में सड़क नियमों का पालन करते हुए वाहन चलाना ही सबकी सुरक्षा निर्धारित कर सकता है।

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