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Karur Stampede: 'अभिनेता विजय की TVK एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी नहीं है', हाईकोर्ट से बोला चुनाव आयोग
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चेन्नई
Published by: पवन पांडेय
Updated Fri, 17 Oct 2025 04:10 PM IST
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सार
Election Commission On TVK: मद्रास हाईकोर्ट में टीवीके की मान्यता रद्द करने की मांग खारिज कर दी गई। दरअसल, करूर भगदड़ की घटना के बाद मामले में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि अभिनेता विजय की पार्टी को अभी तक मान्यता नहीं मिली है।

चुनाव आयोग (फाइल फोटो)
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को मद्रास हाई कोर्ट को बताया कि अभिनेता विजय की राजनीतिक पार्टी तमिलागा वेट्री कजगम (टीवीके) एक 'मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल' नहीं है। यह जानकारी मुख्य न्यायाधीश एम.एम. श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति जी. अरुल मुरुगन की पीठ के सामने पेश की गई। यह मामला एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान उठा, जिसे सी. सेल्वकुमार ने दायर किया था। इस याचिका में 27 सितंबर को करूर में टीवीके की रैली के दौरान हुई भगदड़ के बाद पार्टी की मान्यता खत्म करने की मांग की गई थी। इस दर्दनाक हादसे में 41 लोगों की जान चली गई थी।
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हाईकोर्ट में पहुंचा करूर भगदड़ का मामला
पीठ ने आदेश दिया कि 27 सितंबर की भगदड़ से जुड़े सभी मामलों को प्रशासनिक पक्ष के जरिए एक विशेष पीठ के पास भेजा जाए। यह व्यवस्था उन मामलों को छोड़कर होगी जो सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। मामले में चुनाव आयोग के वकील निरंजन राजगोपाल ने अदालत को बताया कि टीवीके अभी तक मान्यता प्राप्त पार्टी नहीं है। ऐसे में इसकी मान्यता रद्द करने की याचना का कोई आधार नहीं बनता। मूल रूप से यह याचिका मदुरै बेंच में दायर की गई थी, लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त को पक्षकार बनाए जाने के कारण इसे मुख्य पीठ के पास स्थानांतरित कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट की जांच के दायरे में मामला
विजय के खिलाफ एफआईआर में बदलाव की मांग पर अदालत ने कहा कि इस पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सीबीआई जांच से जुड़े आदेश के तहत ही फैसला होगा। यानी इस हिस्से पर हाईकोर्ट कोई अलग आदेश नहीं देगा।
क्या है याचिकाकर्ता की मांगें?
सेल्वकुमार ने याचिका में कुछ अहम मांगें रखीं। जिसमें चुनाव आयोग राज्य भर में राजनीतिक रैलियों और चुनाव अभियानों में महिलाओं और बच्चों के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगाए और अपने 5 फरवरी 2024 के दिशा-निर्देशों को सख्ती से लागू करे। सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से अनिवार्य रूप से लिखित आश्वासन लिया जाए कि वे इन नियमों का पालन करेंगे, और उल्लंघन की स्थिति में उनकी मान्यता रद्द की जाए। टीवीके की नेतृत्व टीम पर जिम्मेदारी तय की जाए, क्योंकि कथित रूप से पार्टी ने महिलाओं और बच्चों को रैली में शामिल किया जिससे यह दुखद हादसा हुआ। मृतकों के परिजनों को कम से कम 1 करोड़ रुपये का मुआवजा और घायलों को अनुपातिक राहत दी जाए।
यह भी पढ़ें - Politics: निवेश को लेकर कर्नाटक-आंध्र के IT मंत्रियों में छिड़ी जुबानी जंग, इशारों में साधा एक-दूसरे पर निशाना
यह मामला राजनीतिक और कानूनी दोनों स्तरों पर गंभीर बन गया है। हादसे की जांच अब सीबीआई कर रही है और साथ ही हाईकोर्ट में भी कई याचिकाएं लंबित हैं। इस बीच, टीवीके की मान्यता को लेकर कोई भी कार्रवाई संभव नहीं है क्योंकि पार्टी को अभी तक औपचारिक मान्यता मिली ही नहीं है।

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हाईकोर्ट में पहुंचा करूर भगदड़ का मामला
पीठ ने आदेश दिया कि 27 सितंबर की भगदड़ से जुड़े सभी मामलों को प्रशासनिक पक्ष के जरिए एक विशेष पीठ के पास भेजा जाए। यह व्यवस्था उन मामलों को छोड़कर होगी जो सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। मामले में चुनाव आयोग के वकील निरंजन राजगोपाल ने अदालत को बताया कि टीवीके अभी तक मान्यता प्राप्त पार्टी नहीं है। ऐसे में इसकी मान्यता रद्द करने की याचना का कोई आधार नहीं बनता। मूल रूप से यह याचिका मदुरै बेंच में दायर की गई थी, लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त को पक्षकार बनाए जाने के कारण इसे मुख्य पीठ के पास स्थानांतरित कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट की जांच के दायरे में मामला
विजय के खिलाफ एफआईआर में बदलाव की मांग पर अदालत ने कहा कि इस पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सीबीआई जांच से जुड़े आदेश के तहत ही फैसला होगा। यानी इस हिस्से पर हाईकोर्ट कोई अलग आदेश नहीं देगा।
क्या है याचिकाकर्ता की मांगें?
सेल्वकुमार ने याचिका में कुछ अहम मांगें रखीं। जिसमें चुनाव आयोग राज्य भर में राजनीतिक रैलियों और चुनाव अभियानों में महिलाओं और बच्चों के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगाए और अपने 5 फरवरी 2024 के दिशा-निर्देशों को सख्ती से लागू करे। सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से अनिवार्य रूप से लिखित आश्वासन लिया जाए कि वे इन नियमों का पालन करेंगे, और उल्लंघन की स्थिति में उनकी मान्यता रद्द की जाए। टीवीके की नेतृत्व टीम पर जिम्मेदारी तय की जाए, क्योंकि कथित रूप से पार्टी ने महिलाओं और बच्चों को रैली में शामिल किया जिससे यह दुखद हादसा हुआ। मृतकों के परिजनों को कम से कम 1 करोड़ रुपये का मुआवजा और घायलों को अनुपातिक राहत दी जाए।
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यह मामला राजनीतिक और कानूनी दोनों स्तरों पर गंभीर बन गया है। हादसे की जांच अब सीबीआई कर रही है और साथ ही हाईकोर्ट में भी कई याचिकाएं लंबित हैं। इस बीच, टीवीके की मान्यता को लेकर कोई भी कार्रवाई संभव नहीं है क्योंकि पार्टी को अभी तक औपचारिक मान्यता मिली ही नहीं है।