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loksabha: क्या आईफोन-एंड्रॉयड फोन ग्राहकों से अलग-अलग किराया वसूल रही उबर-ओला? जानें सरकार ने क्या दिया जवाब

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Wed, 12 Mar 2025 06:50 PM IST
सार

लोकसभा में जवाब देते हुए उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि उपभोक्ता मामले विभाग के संज्ञान में यह बात आई है कि एएनआई टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड (ओला) और उबर इंडिया सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड (उबर) द्वारा एक ही सवारी के लिए एंड्रायड और आईओएस डिवाइस पर प्रदर्शित कैब किराए में कथित रूप से मूल्य असमानता बरती जा रही है। मामले को विस्तृत जांच के लिए महानिदेशक (जांच) को भेज दिया गया है। 

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प्रह्लाद जोशी - फोटो : PTI
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विस्तार
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संसद सत्र में लोकसभा सदस्य बालाशौरी वल्लभनेनी और चव्हाण रविंद्र वसंतराव ने उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री से पूछा कि क्या सरकार के संज्ञान में यह बात आई है कि विभिन्न कैब कंपनियां, विशेषकर 'उबर' और 'ओला', आईफोन तथा एंड्रॉयड फोन का उपयोग करने वाले ग्राहकों से अलग-अलग किराया वसूल कर रही हैं। क्या सरकार को उपभोक्ताओं से कुछ कैब कंपनियों के खिलाफ ऐसी शिकायतें मिली हैं कि वे एकसमान यात्रा दूरी के लिए अलग-अलग किराया वसूल कर रही हैं, जबकि उनका सवारी बैठाने का स्थान, आगमन का अनुमानित समय और सवारी को उतारने का समय एक ही है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि उपभोक्ता मामले विभाग के संज्ञान में यह बात आई है कि एएनआई टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड (ओला) और उबर इंडिया सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड (उबर) द्वारा एक ही सवारी के लिए एंड्रायड और आईओएस डिवाइस पर प्रदर्शित कैब किराए में कथित रूप से मूल्य असमानता बरती जा रही है। मामले को विस्तृत जांच के लिए महानिदेशक (जांच) को भेज दिया गया है। 

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लोकसभा सदस्य बालाशौरी वल्लभनेनी और चव्हाण रविंद्र वसंतराव ने बुधवार को पूछा, क्या सरकार ने व्यापार संबंधी अनुचित व्यवहार के प्रति अपनी शून्य सहनशीलता के दृष्टिगत कैब कंपनियों को किराया सुनिश्चित करने के लिए मापदंड तय करने/मुहैया कराने के मकसद से कोई निर्देश/नोटिस जारी किया है। क्या सरकार ने ऐसे गलत कृत्यों के कारण कैब कंपनियों के विरूद्ध कोई दंडात्मक कार्रवाई भी की है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने इस सवाल के जवाब में बताया, उपभोक्ता मामले विभाग के संज्ञान में यह बात आई है कि एएनआई टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड (ओला) और उबर इंडिया सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड (उबर) द्वारा एक ही सवारी के लिए एंड्रायड और आईओएस डिवाइस पर प्रदर्शित कैब किराए में कथित रूप से मूल्य असमानता बरती जा रही है। तदनुसार, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने इस वर्ष 10 जनवरी को एक पत्र जारी कर ओला और उबर से कथित भिन्न मूल्य निर्धारण के संबंध में जवाब मांगा था। ओला और उबर ने उक्त आरोपों से इनकार किया है। 
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चूंकि दोनों कंपनियों ने आरोपों से इनकार किया है, इसलिए मामले को विस्तृत जांच के लिए महानिदेशक (जांच) को भेज दिया गया है। वैश्वीकरण, प्रौद्योगिकियों, ई कॉमर्स बाजारों आदि के नए युग में उपभोक्ता संरक्षण को नियंत्रित करने वाले ढांचे को आधुनिक बनाने के मकसद से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 को निरस्त कर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 अधिनियमित किया गया। उपभोक्ताओं को ई कॉमर्स में अनुचित व्यापार प्रथाओं से बचाने के लिए, उपभोक्ता मामले विभाग ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के प्रावधानों के तहत उपभोक्ता संरक्षण  (ई कॉमर्स) नियम, 2020 को भी अधिसूचित किया है। ये नियम अन्य बातों के साथ साथ ई कॉमर्स संस्थाओं की जिम्मेदारियों को रेखांकित करते हैं। उपभोक्ता शिकायत निवारण के प्रावधानों सहित मार्केटप्लेस और इन्वेंट्री ई कॉमर्स संस्थाओं की देनदारियों को विनिर्दिष्ट करते हैं। 

नियमों के प्रावधानों के अनुसार, कोई भी ई कॉमर्स इकाई अपने प्लेटफार्म पर दी जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं की कीमत में इस तरह से हेरफेर नहीं करेगी, जिससे उपभोक्ताओं पर कोई अनुचित मूल्य अधिरोपित करके अनुचित लाभ प्राप्त किया जा सके। इसमें प्रचलित बाजार की स्थिति, वस्तु या सेवा की आवश्यक प्रकृति, कोई असाधारण परिस्थिति जिसके तहत वस्तु या सेवा की पेशकश की जाती है और यह निर्धारित करने में कोई अन्य प्रासंगिक विचार हो कि क्या वसूला गया मूल्य उचित है। समान वर्ग के उपभोक्ताओं के बीच भेदभाव नहीं करेगी या अधिनियम के तहत उपभोक्ताओं के अधिकारों को प्रभावित करने वाला कोई मनमाना वर्गीकरण नहीं करेगी। 

इन नियमों में यह भी प्रावधान है कि कोई भी ई कॉमर्स इकाई अपने कारोबार के दौरान, अपने प्लेटफार्म पर या अन्यथा कोई अनुचित व्यापार प्रथा नहीं अपनाएगी। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के प्रावधानों के तहत, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) जो एक कार्यकारी एजेंसी है, की स्थापना की गई है। इस एजेंसी को हस्तक्षेप करने, अनुचित व्यापार प्रथाओं से होने वाले उपभोक्ता नुकसान को रोकने और क्लास एक्शन प्रारंभ करने के लिए बनाया गया है। इसमें उत्पादों को वापस मंगाना, वापस करना और रिफंड शामिल है। इसका मुख्य कार्य जनता के हित के लिए हानिकारक झूठे या भ्रामक विज्ञापनों को रोकना और विनियमित करना है। 

उपभोक्ता संरक्षण को सुदृढ़ करने के लिए, सीसीपीए ने 30 नवंबर 2023 को 'डार्क पैटर्न' का निवारण और विनियमन के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत 2023 जारी किए हैं। ये दिशा निर्देश ई कॉमर्स क्षेत्र में पहचाने गए 13 विशिष्ट डार्क पैटर्न को संबोधित और विनियमित करते हैं, जिनका उद्देश्य उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाली भ्रामक प्रथाओं को रोकना है। इसके अलावा, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने 23 नवंबर 2022 को 'ऑनलाइन उपभोक्ता समीक्षाएं, उनके संग्रह, मॉडरेशन और प्रकाशन के लिए सिद्धांत व आवश्यकता' पर ढांचा अधिसूचित किया है। यह ढांचा ई कॉमर्स में नकली और भ्रामक समीक्षाओं को संबोधित कर उपभोक्ता हितों की रक्षा करता है। हालांकि मानक स्वैच्छिक है, लेकिन हर उस ऑनलाइन प्लेटफार्म पर लागू होते हैं जो उपभोक्ता समीक्षाएं प्रकाशित करता है। मानक के मार्गदर्शक सिद्धांत, ईमानदारी, सटीकता, गोपनीयता, सुरक्षा, पारदर्शिता, पहुंच और जवाबदेही है। 


 

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