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UP BJP President: यूपी बीजेपी को जल्द मिलेगा नया अध्यक्ष, दिनेश शर्मा, केपी मौर्या में किसकी दावेदारी मजबूत

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Wed, 03 Dec 2025 01:26 PM IST
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UP BJP President Race Dinesh Sharma Keshav Prasad Maurya news and updates
दिनेश शर्मा, योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य। (बाएं से दाएं) - फोटो : PTI (फाइल फोटो)
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उत्तर प्रदेश भाजपा को बहुत जल्द नया प्रदेश अध्यक्ष मिल सकता है। पार्टी इस बार प्रदेश में ब्राह्मण या ओबीसी चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। इन नामों में यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री और वर्तमान राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा का नाम काफी आगे है। संगठन में लंबी पारी खेल चुके शर्मा पार्टी नेतृत्व के काफी करीबी बताए जाते हैं। हालांकि, पार्टी ओबीसी या दलित चेहरों को भी इस पद पर उतारकर 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों में सपा के पीडीए समीकरण को ध्वस्त करने की योजना पर भी काम कर सकती है। ओबीसी चेहरे केशव प्रसाद मौर्य, बीएल वर्मा और दलित चेहरे  रामशंकर कठेरिया को भी प्रदेश अध्यक्ष का दावेदार माना जा रहा है।
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पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने कुछ नामों पर विचार कर इस पर अपनी अंतिम राय बना ली है। पार्टी के संगठन महासचिव बीएल संतोष, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और यूपी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी लखनऊ में एक बैठक कर इसकी औपचारिकताओं को पूरा करने की योजना पर विचार कर लिया है। कहा जा रहा है कि इस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी विचार-विमर्श किया गया है। आरएसएस नेता अरुण कुमार भी इस बैठक का हिस्सा रहे थे।    
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ब्राह्मण चेहरे दिनेश शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी प्रदेश के ब्राह्मणों को अपने साथ जोड़ने की मजबूत कोशिश कर सकती है। प्रदेश में ब्राह्मणों की आबादी 12 से 15 प्रतिशत के बीच मानी जाती है। वे भाजपा के कोर वोटर साबित हुए हैं। पिछले लोकसभा चुनावों में ब्राह्मणों की भाजपा से कुछ नाराजगी होने की बातें कही जा रही थीं। अब 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी एक ब्राह्मण को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर समाज के इस सबसे मुखर वर्ग को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर सकती है।

दिनेश शर्मा पार्टी संगठन से जुड़े रहे हैं और कई अहम पदों पर काम कर चुके हैं। वे 1993 में ही प्रदेश के भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं। वे  लखनऊ के मेयर, विधान परिषद में नेता सदन और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के तौर पर काम कर चुके हैं। वे गुजरात-हरियाणा के साथ-साथ कई प्रदेशों के भाजपा प्रभारी भी रह चुके हैं। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ और अन्य सभी नेताओं से उनका बेहतर तालमेल उनकी दावेदारी को मजबूत कर रहा है।     

केशव प्रसाद मौर्य भाजपा के जिताऊ चेहरे रहे हैं। 2017 में भाजपा की प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के समय वही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। ऐसे में माना यही जा रहा है कि 2027 में एक बार फिर भाजपा उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर ओबीसी और ईबीसी वर्ग को अपने साथ जोड़ने की मजबूत कोशिश कर सकती है। कल्याण सिंह के करीबी माने जाने वाले बीएल वर्मा भी ओबीसी समीकरण को साधने के लिए भाजपा की पसंद बन सकते हैं। 

यूपी में भाजपा दलितों के बीच अपनी पैठ मजबूत करने की योजना बनाती है तो पार्टी के पूर्व दलित सांसद रामशंकर कठेरिया उसकी पहली पसंद बन सकते हैं। पिछले लोकसभा चुनावों में दलितों के एक वर्ग के भाजपा से टूटने के कारण उसे लोकसभा में नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसे में पार्टी कठेरिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दलितों को लुभाने की कोशिश कर सकती है। जिस तरह मायावती एक बार फिर मजबूत होने की कोशिश कर रही हैं, भाजपा के लिए दलित मतदाताओं को साधे रहना अधिक आवश्यक हो गया है। कठेरिया इसमें पार्टी की मदद कर सकते हैं।   
 
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