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Karnataka HC: कर्नाटक हाईकोर्ट से प्रज्वल रेवन्ना को झटका, उम्रकैद की सजा रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Wed, 03 Dec 2025 02:03 PM IST
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पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना।
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स / एजेंसी
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जनता दल-सेक्युलर (जेडीएस) से निष्कासित नेता प्रज्वल रेवन्ना को कर्नाटक हाईकोर्ट से झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने प्रज्वल को दुष्कर्म के मामले में निचली अदालत से मिली आजीवन कारावास की सजा को रद्द करने से इनकार कर दिया।
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल को इसी साल की शुरुआत में दुष्कर्म से जुड़े एक मामले में बंगलूरू की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसी फैसले को चुनौती देते हुए प्रज्वल ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका डाली थी।
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पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल को इसी साल की शुरुआत में दुष्कर्म से जुड़े एक मामले में बंगलूरू की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसी फैसले को चुनौती देते हुए प्रज्वल ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका डाली थी।
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किस मामले में दोषी करार दिए गए थे प्रज्वल?
कर्नाटक की हासन संसदीय सीट से पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर 48 साल की एक महिला मजदूर से दुष्कर्म का आरोप है। इस मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद रेवन्ना ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सजा को रद्द करने या सुनवाई पूरी होने तक उन्हें अंतरिम जमानत देने की मांग की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने उनकी इस याचिका को 'जुर्म की गंभीरता' देखते हुए ठुकरा दिया था।
कर्नाटक की हासन संसदीय सीट से पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर 48 साल की एक महिला मजदूर से दुष्कर्म का आरोप है। इस मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद रेवन्ना ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सजा को रद्द करने या सुनवाई पूरी होने तक उन्हें अंतरिम जमानत देने की मांग की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने उनकी इस याचिका को 'जुर्म की गंभीरता' देखते हुए ठुकरा दिया था।
हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए क्या कहा?
हाईकोर्ट की जस्टिस केएस मुद्गल और जस्टिस वेंकटेश नाइक की बेंच ने यह आदेश जारी करते हुए कहा कि अब तक प्रज्वल के खिलाफ जो भी बातें रिकॉर्ड पर हैं और जुर्म की गंभीरता को मापते हुए (रेवन्ना पर दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के मामलों से जुड़ी तीन एफआईआर) कोर्ट का यह मत है कि इस अपील पर सजा को रद्द करना या जमानत देना ठीक नहीं है। बेंच ने कहा कि जिन मामलों में सुनवाई जारी है, उनमें अंतरिम जमानत के लिए कानूनी मानक अलग हैं, जबकि सजा के एलान के बाद अंतरिम जमानत के मानक अलग हैं। जब एक दोषसिद्धी हो चुकी है तब बेगुनाह होने का अनुमान आरोपी के पक्ष में नहीं लगाया जा सकता।
हाईकोर्ट की जस्टिस केएस मुद्गल और जस्टिस वेंकटेश नाइक की बेंच ने यह आदेश जारी करते हुए कहा कि अब तक प्रज्वल के खिलाफ जो भी बातें रिकॉर्ड पर हैं और जुर्म की गंभीरता को मापते हुए (रेवन्ना पर दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के मामलों से जुड़ी तीन एफआईआर) कोर्ट का यह मत है कि इस अपील पर सजा को रद्द करना या जमानत देना ठीक नहीं है। बेंच ने कहा कि जिन मामलों में सुनवाई जारी है, उनमें अंतरिम जमानत के लिए कानूनी मानक अलग हैं, जबकि सजा के एलान के बाद अंतरिम जमानत के मानक अलग हैं। जब एक दोषसिद्धी हो चुकी है तब बेगुनाह होने का अनुमान आरोपी के पक्ष में नहीं लगाया जा सकता।