कोल्डरिफ सिरप कांड: श्रीसन फार्मा के प्रमोटर के चेन्नई फ्लैट ईडी ने अटैच किए, जांच में बड़ी लापरवाही उजागर
चेन्नई में श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के प्रमोटर जी रंगनाथन और उनके परिवार के दो फ्लैट एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत अटैच किए गए हैं। मामले में जांच में पता चला कि कंपनी ने फार्मा-ग्रेड के बजाय इंडस्ट्री-ग्रेड कच्चा माल इस्तेमाल किया, गुणवत्ता जांच नहीं की और कैश में खरीददारी कर रिकॉर्ड नहीं बनाए।
विस्तार
चेन्नई में श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के प्रमोटर जी रंगनाथन और उनके परिवार के दो फ्लैट एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत अटैच कर दिए गए हैं। इन फ्लैटों का मूल्य 2.04 करोड़ रुपये बताया गया है। श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स वही कंपनी है, जिसके कोल्डरिफ कफ सिरप के सेवन से मध्य प्रदेश में कम से कम 20 बच्चों की मौत हुई थी। रंगनाथन को अक्तूबर में मध्य प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया कि श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स ने असामान्य व्यापारिक प्रथाओं का इस्तेमाल किया ताकि निर्माण लागत कम कर अधिक मुनाफा कमाया जा सके। ईडी ने कहा कि यह मुनाफा अपराध से प्राप्त धन माना जाएगा।
जांच में कौन-कौन सी बातें आई सामने?
बता दें कि मामले में जांच में यह भी पता चला कि कंपनी ने फार्मा-ग्रेड के बजाय इंडस्ट्री-ग्रेड कच्चा माल इस्तेमाल किया और गुणवत्ता जांच नहीं की। साथ ही, कच्चा माल कैश में खरीदा गया और चालान नहीं बनाए गए, ताकि रिकॉर्ड न बने। इतना ही नहीं तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल विभाग के अधिकारियों के संपर्क में रहने के बावजूद वार्षिक निरीक्षण नहीं किए गए, जैसा कि दवा नियमों के तहत अनिवार्य है।
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मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामला दर्ज
ईडी ने यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग के तहत दर्ज किया, जिसके आधार दो एफआईआर हैं। पहला मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा दायर एफआईआर, जिसमें बताया गया कि कोल्डरिफ सिरप में टॉक्सिक ग्लाइकोल यौगिक पाए गए, जिससे बच्चों में किडनी फेलियर हुआ और कम से कम 20 बच्चों की मौत हुई। पुलिस के लैब परीक्षण में डायएथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकोल (ई़जी) की मात्रा सुरक्षित सीमा से बहुत अधिक पाई गई।
वहीं दूसरा एफआईआर तमिलनाडु डीवीएसी के शिकायत के आधार पर। टीएनएफडीए के निदेशक प्रभारी पीयू कार्तिकेयन के खिलाफ रिश्वत लेने का मामला। कार्तिकेयन को जुलाई में गिरफ्तार किया गया था। दोनों राज्यों ने दो-दो ड्रग इंस्पेक्टरों को सस्पेंड किया और एमपी में एफडीए के एक डिप्टी डायरेक्टर को भी निलंबित किया। इसके अलावा तमिलनाडु ने इस कंपनी को बंद करने का आदेश भी दिया। ईडी ने कहा कि श्रीसन फार्मा के लापरवाह और मिलावटी निर्माण की वजह से यह जहर वाला सिरप तैयार हुआ और बच्चों की मौत हुई।
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