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ED: मिलावटी कफ सिरप केस में चौंकाने वाली लैब रिपोर्ट; मुनाफे के लिए यूं खरीदा कच्चा माल

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Wed, 03 Dec 2025 02:42 PM IST
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ED Cough Syrup Case Children effected Lab Report Raw Materials news and updates
नकली कफ सिरप (सांकेतिक) - फोटो : अमर उजाला
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मिलावटी कफ सिरप के चलते मध्यप्रदेश में 20 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी। चौंकाने वाली लैब रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं। आरोपियों ने मुनाफे के लिए बिना चालान उद्योग ग्रेड का कच्चा माल खरीदा था। उसी से कफ सिरप तैयार किया गया। तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल विभाग के अधिकारी मेसर्स श्रीसन फार्मास्युटिकल के मालिक के लगातार संपर्क में थे, लेकिन औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियमों के अनुसार, अनिवार्य वार्षिक निरीक्षण नहीं किए गए। कोल्ड्रिफ कफ सिरप में जहरीले ग्लाइकॉल यौगिक पाए गए हैं। 
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बता दें कि मध्यप्रदेश पुलिस ने मेसर्स श्रीसन फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरर के मालिक जी. रंगनाथन के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस, 2023) की धारा 105 (आईपीसी की धारा 304) के तहत मिलावटी कफ सिरप बनाने और बेचने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी। 
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इस केस में 20 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि चेन्नई के मेसर्स श्रीसन फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरर द्वारा निर्मित कोल्ड्रिफ कफ सिरप में जहरीले ग्लाइकॉल यौगिक शामिल हैं। इसके सेवन के बाद बच्चों में तीव्र गुर्दे की विफलता जैसे कई गंभीर लक्ष्ण सामने आए थे। प्रयोगशाला के निष्कर्षों ने डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) 48.6% w/v और एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) 46.28% w/v की उच्च सांद्रता की उपस्थिति की पुष्टि की, जो सुरक्षित सीमा से बहुत अधिक है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), चेन्नई क्षेत्रीय कार्यालय ने 2/12/2025 को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत मेसर्स श्रीसन फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरर के मालिक जी. रंगनाथन की 2.04 करोड़ रुपये (लगभग) की अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। अस्थायी रूप से कुर्क की गई संपत्तियों में जी रंगनाथन और उनके परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाले चेन्नई के कोडंबक्कम में दो आवासीय फ्लैट शामिल हैं।

ईडी ने अनुसूचित अपराधों वाली 2 एफआईआर के आधार पर पीएमएलए के तहत जांच शुरू की है। चेन्नई एसीबी द्वारा पीयू कार्तिगेयन, निदेशक (प्रभारी) और संयुक्त निदेशक, औषधि नियंत्रण, औषधि नियंत्रण विभाग के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 की धारा 7 के तहत औषधि नियंत्रण विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की गई। जांच से पता चला है कि मेसर्स श्रीसन फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरर ने अपनी विनिर्माण लागत को कम करने और मुनाफे को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर अनुचित व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा दिया। ईडी के मुताबिक, इस केस में अपराध की आय (पीओसी) सामने आई है। 

जांच में पता चला है कि निर्माता ने उचित गुणवत्ता जांच के बिना फार्मा ग्रेड कच्चे माल के बजाय दवाओं के निर्माण में उद्योग ग्रेड कच्चे माल का इस्तेमाल किया। रिकॉर्ड बनाने से बचने के लिए ऐसी सामग्री बिना चालान के नकद में खरीदी जा रही थी। तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल विभाग ने अपनी ड्यूटी ठीक तरह से नहीं निभाई। उक्त कंपनी को अनिवार्य वार्षिक निरीक्षण से छूट प्रदान की गई। ईडी ने पहले मेसर्स श्रीसन फार्मास्युटिकल के मालिक, औषधि नियंत्रण अधिकारियों, लाइसेंस प्राप्ति में शामिल एजेंटों और अन्य से जुड़े 10 ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया था। तलाशी अभियान के दौरान, वित्तीय गतिविधियों और मिलावटी निर्माण से संबंधित कई महत्वपूर्ण साक्ष्य जब्त किए गए। मामले में आगे की जांच जारी है।
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