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चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों को नववर्ष 2020 का है बेसब्री से इंतजार, जानें क्या है वजह

अमित शर्मा, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Harendra Chaudhary Updated Fri, 13 Dec 2019 07:46 PM IST
सार

  • दुनिया की स्वास्थ्य सेवाओं में लगभग 70 फीसदी है नर्स और मिडवाइफों की हिस्सेदारी
  • ज्यादातर देशों में इनके काम के घंटे ज्यादा और वेतन बहुत कम होता है

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upcoming year 2020 will be celebrated By world health organisation as nurse and midwife year
world health organisation florence nightingale - फोटो : AmarUjala
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साल 2019 को बीतने में अब कुछ ही दिन रह गए हैं। नए वर्ष के स्वागत को लेकर अभी से हर जगह तैयारियां चल रही हैं। इसी बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2020 को 'नर्स और मिडवाइफ वर्ष' के रुप में मनाने का फैसला किया है। इसे दुनिया के स्वास्थ्य सुविधाओं में दिन-रात लगी महिलाओं के लिए विशेष माना जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्पष्ट किया है कि इसका उद्देश्य स्वास्थ्य क्षेत्र में लगी महिलाओं को सम्मान देना और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े संगठनों में उन्हें उच्च पद पर आगे बढ़ाना है।

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इसी साल दुनिया के सभी प्रमुख देशों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में नर्सों की भूमिका के लिए 2020 को नर्सों और मिडवाइफ के वर्ष के रूप में मनाए जाने का निर्णय लिया गया था। 2020 फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्म का दो सौवां साल भी होगा। इस कारण से भी इस वर्ष को नर्स और मिडवाइफ वर्ष के रुप में मनाए जाने का महत्व बढ़ गया है।  
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation या WHO) के एक आंकड़े के मुताबिक दुनिया की स्वास्थ्य सेवाओं में कुल कार्यरत लोगों में लगभग 70 फीसदी नर्स और मिडवाइफ ही होती हैं। भारत सहित दुनिया के जिन देशों में एकल स्वास्थ्यकर्मी के सेंटर चलते हैं, वहां इनकी संख्या 80 फीसदी से भी ऊपर है। रोगों के उपचार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी इन्ही के कंधों पर होती है। लेकिन इतनी महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद उनका वेतन, काम करने की परिस्थितियां और काम करने के घंटे बेहद निराशाजनक हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दुनिया के किसी भी भाग में स्वास्थ्य सेवाओं को सफल बनाने के लिए नर्सों की भूमिका को प्रमुखता से स्वीकार किया जाना चाहिए। उनकी भूमिका नीति निर्माण स्तर तक होनी चाहिए। ऐसा न करने के कारण किसी भी देश की सरकार की स्वास्थ्य नीतियों के सफल होने की संभावना आधी रह जाती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि स्वास्थ्य संगठनों में 70 फीसदी महिलाओं की भागीदारी के बाद भी उन्हें किसी संगठन को नेतृत्व करने का अवसर कम ही मिल पाता है। लगभग 75 फीसदी शीर्ष पदों पर आज भी पुरुषों का कब्जा है। शायद इसीलिए स्वास्थ्य क्षेत्र को पुरुषों के द्वारा निर्देशित और महिलाओं द्वारा संचालित क्षेत्र कहा जाता है। एक दिन पूर्व विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस अधनोम घेब्रेयसस ने कहा कि महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाओं के शीर्ष संगठनों में प्रमुखता से टॉप भूमिका दिए जाने पर विचार किया जाना चाहिए क्योंकि इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर सकारात्मक असर पड़ता है।  

नाइटिंगेल के जन्म का 200वां साल   

दरअसल, वर्ष 2020 फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्म (12 मई 1820) का 200वां साल भी है। इसलिए इस वर्ष को नर्सों और मिडवाइफों के वर्ष के रुप में मनाकर नर्सों की अमूल्य सेवाओं के प्रति सम्मान प्रकट करना भी इसका एक बड़ा लक्ष्य है। फ्लोरेंस नाइटिंगेल को दुनिया की पहली आधुनिक नर्स कहा जाता है। वे रात के समय अपने हाथों में एक लैंप लेकर रोगियों की सेवा किया करती थीं। इसीलिए उन्हें 'दिये के साथ एक महिला' या 'The Lady With The Lamp' कहा जाता था। उनके नाम पर अनेक देशों ने अपने यहां पुरस्कार घोषित कर रखे हैं। भारत ने भी 1973 से राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार की शुरुआत कर रखी है।

इन्हें बचाने में सबसे ज्यादा कारगर होती हैं नर्सें

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया में प्रति वर्ष संचारी रोगों के कारण 4.1 करोड़ लोगों की मौत होती है। इनमें लगभग 1.5 करोड़ की उम्र सीमा 30 साल से 69 साल के बीच होती है। यानी यह वह आबादी होती है जो किसी भी देश के लिए कामगर की तरह काम करती है और उस देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद करती है। चूंकि, नर्सों की भूमिका संचारी रोगों के उपचार में बेहद कारगर होती है, अगर नर्सों की क्षमता को सही तरीके से उपयोग किया जाए तो इन मरने वाले लोगों की बड़ी समस्या से निबटा जा सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस तरह स्पष्ट होता है कि नर्सों के कामकाज करने की परिस्थितियों में सुधार से किसी भी देश की अर्थ व्यवस्था में सुधार आ सकता है।   

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