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UPS: 15 दिन शेष, आगे बढ़ेगी यूपीएस अपनाने की समय सीमा, 30 लाख NPS कर्मियों में से 50 हजार भी राजी नहीं

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Mon, 16 Jun 2025 08:23 PM IST
सार

अभी तक केंद्र सरकार में लगभग 30 लाख एनपीएस कर्मियों में से महज पचास हजार कर्मचारियों ने भी यूपीएस में शामिल होने का विकल्प नहीं दिया। एकीकृत पेंशन योजना का विकल्प देने की आखिरी तिथि 30 जून है। माना जा रहा है कि सरकार अंतिम तिथि को आगे बढ़ा सकती है। 

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UPS: deadline to adopt UPS will be extended even 50 thousand out of 30 lakh NPS employees are not ready
यूपीएस - फोटो : istock
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विस्तार
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केंद्र सरकार की नई पेशन योजना 'एकीकृत पेंशन योजना' (यूपीएस) अपनाने को लेकर कर्मचारियों में उत्साह नजर नहीं आ रहा। एकीकृत पेंशन योजना का विकल्प देने की आखिरी तिथि 30 जून है। यानी 15 दिन शेष बचे हैं। हालत यह है कि अभी तक केंद्र सरकार में लगभग 30 लाख एनपीएस कर्मियों में से महज पचास हजार कर्मचारियों ने भी यूपीएस में शामिल होने का विकल्प नहीं दिया। ऐसे में कर्मचारियों का कहना है कि सरकार, कम से कम तीन माह के लिए यूपीएस में शामिल होने का विकल्प देने की अवधि को आगे बढ़ा सकती है। इसके साथ ही केंद्र सरकार, अपने कर्मचारियों को यूपीएस के फायदों से अवगत कराने और एनपीएस व यूपीएस को लेकर उनके सवालों का जवाब देने के लिए ट्रेनिंग का कोई नया मेकेनिज्म तैयार करने पर विचार कर रही है। कुछ विभागों में कर्मचारियों को यूपीएस के बारे में बताया जा रहा है। कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि फिलहाल यूपीएस के प्रति, कर्मियों की बेरुखी को देखते हुए सरकार, इसके प्रावधानों में कोई बदलाव भी कर सकती है। 

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तीन माह तक तिथि आगे बढ़ानी पड़ेगी
'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल कहते हैं, यूपीएस के प्रति दो-तीन फीसदी, सरकारी कर्मियों का भी रूझान नहीं है। विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में यूपीएस की सही से ट्रेनिंग देने वाले ट्रेनर का अभाव है। ओपीएस बहाली या यूपीएस में बदलाव, अपनी इस मांग को लेकर कई राज्यों का दौरा कर चुके पटेल बताते हैं, पीओ और डीडीओ को ट्रेनिंग तक नहीं दी गई है। अनेक अधिकारी ऐसे हैं, जिनके पास कर्मियों के सवालों का जवाब नहीं होता। जो कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं, अब उनके खाते बंद हो गए हैं। ऐसे में वे ऑनलाइन यूपीएस में कैसे स्विच करेंगे। इस प्रक्रिया में कई सारी दिक्कतें हैं। आईटी विभाग को ऑनलाइन ट्रेनिंग पर फोकस करना चाहिए। अब ऐसा तो है नहीं कि अगले 15 दिन में तीस लाख एनपीएस कर्मचारी, यूपीएस का विकल्प दे देंगे। सरकार को कम से कम, तीन माह तक तिथि आगे बढ़ानी पड़ेगी। 
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कर्मचारियों को मंजूर नहीं है यूपीएस 
'कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स' के महासचिव एसबी यादव बताते हैं कि कर्मचारियों को यूपीएस मंजूर नहीं है। सरकार ने इसे जबरदस्ती कर्मचारियों पर थोपा है। कर्मचारियों की एक ही मांग रही है और वह है 'ओपीएस'। पुरानी पेंशन बहाली के अलावा कर्मियों को कोई दूसरी योजना नहीं चाहिए। यही वजह है कि इतने दिन बाद भी कर्मियों ने यूपीएस की तरफ जाने का विकल्प नहीं अपनाया। अगर तीस लाख कर्मियों में से पचास हजार कर्मचारी भी यूपीएस का विकल्प नहीं चुनते हैं तो इसका मतलब है कर्मचारी इस योजना को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। अब सरकार के पास इस योजना को अपनाने की अंतिम तिथि को आगे बढ़ाने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है। ऐसा संभव है कि कर्मचारियों के हितों को देखते हुए सरकार, यूपीएस में कोई परिवर्तन कर दे। ओपीएस बहाली सहित दूसरी मांगों के लिए 'कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स' की तरफ से कैबिनेट सचिव को एक दिवसीय हड़ताल का नोटिस दिया गया है। यह एक दिवसीय हड़ताल 9 जुलाई को होगी। 

यूपीएस पर कर्मचारियों का रूझान बहुत फीका 
स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी.श्रीकुमार ने कहा, यूपीएस को लेकर केंद्र सरकार के कर्मचारियों का रूझान बहुत फीका है। कर्मचारी, यूपीएस में शामिल नहीं होना चाहते। अभी तक महज दो तीन फीसदी एनपीएस कर्मचारी भी यूपीएस में नहीं आ रहे। इसकी आखिरी तारीख 30 जून है। केंद्र सरकार ने केल्कुलेटर भी जारी किया है। केंद्र सरकार के कर्मचारी, एनपीएस और यूपीएस के झंझट में नहीं पड़ना चाहते। उनकी एक ही मांग है, पुरानी पेंशन बहाली। ओपीएस बहाली को लेकर दोबारा से कर्मचारी संगठन, लामबंद होने की तैयारी कर रहे हैं। सरकार ने एनपीएस कर्मियों को 30 जून तक यूपीएस में शामिल होने का विकल्प दिया है। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत 20 मई को एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) कैलकुलेटर लॉन्च किया गया था। इसका मकसद, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को वह सुविधा मुहैया करानी है, जिसके द्वारा वे एनपीएस और नई स्कीम 'यूपीएस' दोनों के तहत मिलने वाले पेंशन लाभों की तुलना कर सकते हैं। इसके बावजूद कर्मचारी, मन नहीं बना पा रहे। 

यूपीएस पूरी तरह से अनिश्चित है, डॉ पटेल 
'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल कहते हैं, यूपीएस के मौजूदा प्रावधान, कर्मियों को रास नहीं आ रहे। कई माह बीत चुके हैं, लेकिन यूनिफाइड पेंशन स्कीम का चयन करने वालों की संख्या महज दो तीन फीसदी भी नहीं पहुंच सकी है। मतलब 'यूपीएस' फेल हो चुकी है। वजह साफ है कि यूपीएस पूरी तरह से अनिश्चित है, क्योंकि 20-25 साल पहले यह तय कर पाना किसी के लिए संभव नहीं है कि रिटायरमेंट के समय एनपीएस और यूपीएस में से क्या बेहतर होगा। इतनी लंबी अवधि में 'पे' कमीशन, महंगाई भत्ता और दूसरे 'अलाउंस' सब कुछ अनिश्चित होता है। जो लोग रिटायरमेंट के करीब हैं या रिटायर हो चुके हैं, केवल वही यह निर्णय ले सकते हैं कि क्या ठीक रहेगा।

16 साल तो जिंदा ही रहना पड़ेगा 
बतौर डॉ. पटेल, सबसे बड़ी बात ये है कि अगर कोई कच्ची कैलकुलेशन करके फैसला ले भी लेता है तो रिटायरमेंट के बाद वह कितने साल जिंदा रहेगा, यूनिफाइड पेंशन स्कीम में यह सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर है। सामान्य अनुमान के मुताबिक, अगर कोई कर्मचारी 30 से 35 साल की नौकरी के बाद रिटायर होता है और वह यूपीएस से अपना अंशदान भी निकाल लेता है तो उसको अंतिम औसत सेलरी का 50 प्रतिशत की जगह 30 प्रतिशत ही पेंशन मिलेगी। यदि उस कर्मचारी की मौत जल्दी हो गई तो उसकी पत्नी को केवल 18 प्रतिशत पेंशन ही मिलेगी। उसकी मौत के बाद, सब बंद हो जाएगा। इस हिसाब से देखें तो पाते हैं कि एनपीएस के बराबर भी पेंशन लेने के लिए कम से कम रिटायर्ड व्यक्ति को 16 साल तो जिंदा ही रहना पड़ेगा। अब यह गारंटी तो कोई नहीं दे सकता कि कोई व्यक्ति अनिवार्य तौर से उक्त अवधि तक जीवित ही रहेगा। 

ये भी पढें: OPS: ओपीएस बहाली और NPS-UPS की समाप्ति के लिए हड़ताल करेगा 'कॉन्फेडरेशन', कैबिनेट सचिव को दिया नोटिस

सेवानिवृत्ति से ठीक पहले विकल्प के चयन का रास्ता 
अगर सरकार को यूपीएस को जिंदा देखना है तो उसे सेवाकाल के दौरान के स्थान पर केवल सेवानिवृत्ति से ठीक पहले इस विकल्प के चयन का रास्ता खोलना पड़ेगा। उस समय रिटायर होने वाला व्यक्ति अपने परिवार की स्थिति और अपने स्वास्थ्य आदि कारणों से फैसला लेने में सक्षम हो जाता है। पटेल ने इसे एक उदाहरण के जरिए समझाया है। जैसे कोई व्यक्ति 2008 से 34 साल की नौकरी कर 2043 में रिटायर हो तो एनपीएस में कुल कॉरपस लगभग 3.50 करोड़ होगा और अंतिम बेसिक सेलरी 370000 होगी। लगभग 28 प्रतिशत डीए होगा। उसे एनपीएस में 2.10 करोड़ रुपये मिलेंगे। सत्तर हजार रुपये प्रति महीना पेंशन मिलेगी। उसके न रहने पर पत्नी को भी 70000 रुपये ही पेंशन मिलेगी। दोनों के न रहने पर 1.40 करोड़ रुपए नॉमिनी को मिल सकते हैं। 

फायदा तभी, जब कर्मचारी लंबी जिंदगी जीये  
अगर यही व्यक्ति यूपीएस में रिटायर हुआ है तो कुल कॉरपस 2.91 करोड़ होगा। इसमें कर्मचारी का अंशदान 1.45 करोड़ हुआ। अगर वह, एकमुश्त अमाउंट (32 लाख) के अलावा अपना हिस्सा यानी 1.15 करोड़ भी निकाल ले तो उसको कर्मचारी अंशदान तो पूरा यानी 1.15+0.32 = 1.47 करोड़ मिल जाएगा, लेकिन पेंशन 110000 प्लस डीए मिलेगा। यह तभी फायदेमंद हो सकता है जब वह कर्मचारी लंबी जिंदगी जीये। अगर उस व्यक्ति का जीवन, जल्द खत्म हो गया तो उसकी पत्नी को 66600+डीए ही मिलेगा। नॉमिनी के लिए कोई फंड नहीं होगा। अगर पत्नी भी जल्द चल बसी तो सब बंद हो जाएगा। दूसरी ओर, एनपीएस का नॉमिनी फंड जो कि 1.40 करोड़ था, वो फिर भी बचा रहता।

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